निजीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष

“यूपी बिजली कर्मचारी आंदोलन 2024” के तहत बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने लखनऊ में आयोजित बिजली पंचायत में “करो या मरो” की भावना के साथ निर्णायक संघर्ष का ऐलान किया। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को रोकना और यूपीएसईबी पुनर्गठन की मांग को लागू करना है।
बिजली पंचायत में यह तय हुआ कि बिडिंग प्रक्रिया शुरू होते ही अनिश्चितकालीन आंदोलन का आरंभ होगा, जो तब तक जारी रहेगा जब तक बिजली का निजीकरण पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के प्रत्येक जिले और परियोजना स्थल पर बिजली पंचायतें आयोजित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री से अपील
बिजली पंचायत में पारित एक प्रस्ताव के तहत, कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण रोकने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया अरबों-खरबों की परिसंपत्तियों को “चंद कॉरपोरेट घरानों” को सौंपने का षड्यंत्र है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि 2016-17 में 41% एटी एंड सी हानि को घटाकर 2023-24 में 17% तक लाने में कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई है।
संघर्ष समिति का दावा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने दावा किया कि जब 7 वर्षों में लाइन हानियां 24% तक कम की जा सकती हैं, तो अगले एक वर्ष में इसे 12% तक घटाने का लक्ष्य पूरा करना संभव है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निजीकरण की एकतरफा प्रक्रिया को रोकने की अपील की, ताकि कर्मचारी अपने कार्यों में पूरी लगन से जुटे रह सकें।
निजीकरण के विरोध में समर्थन
बिजली पंचायत में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉईज फेडरेशन ऑफ इंडिया और अन्य संगठनों ने निजीकरण के विरोध में एक स्वर में कर्मचारियों का समर्थन किया। यूपी बिजली कर्मचारी आंदोलन 2024 को श्रमिक संगठनों और उपभोक्ता परिषद का भी पूरा समर्थन मिला। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता, बिजली कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे।
आंदोलन की रूपरेखा
बिजली पंचायत में निर्णय लिया गया कि यदि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होती है, तो कर्मचारी लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और ऊर्जा निगमों के प्रबंधन की होगी। आंदोलन की विस्तृत रूपरेखा उचित समय पर घोषित की जाएगी।
यूपीएसईबी पुनर्गठन की मांग
पंचायत ने मांग की कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए यूपीएसईबी (उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड) का पुनर्गठन किया जाए। इसके अलावा, ओबरा डी और अनपरा ई परियोजनाओं को यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपने की मांग की गई।
निजीकरण का विरोध क्यों?
बिजली पंचायत में यह कहा गया कि ग्रेटर नोएडा, आगरा और अन्य राज्यों में बिजली निजीकरण पूरी तरह विफल हो चुका है। ऐसे में इसे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य पर थोपा जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है।
समझौते का उल्लंघन
पंचायत ने 2018 और 2020 के दौरान सरकार और कर्मचारियों के बीच हुए समझौतों का हवाला देते हुए कहा कि निजीकरण का निर्णय उन समझौतों का सीधा उल्लंघन है। इन समझौतों में स्पष्ट कहा गया था कि बिजली वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिया जाएगा।
राष्ट्रीय समर्थन
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक प्रशांत चौधरी ने चेतावनी दी कि यदि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को वापस नहीं लिया गया, तो पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और अभियंता अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे। यूपी बिजली कर्मचारी आंदोलन 2024 प्रदेश और देश के बिजली कर्मियों के सामूहिक प्रयास का प्रतीक है। इसका उद्देश्य न केवल निजीकरण को रोकना है, बल्कि बिजली व्यवस्था को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना भी है। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक बिजली का निजीकरण पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाता।