मुश्किल में सूरत का कपड़ा उद्योग, सरकार से मदद की गुहार

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छह लाख लोग काम करते हैं सूरत के टेक्सटाइल सेक्टर में

नई दिल्ली: सूरत का कपड़ा उद्योग मुश्किल का सामना कर रहा है. इस उद्योग को श्रमिक नहीं मिल रहे हैं. व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन में घर लौटे श्रमिक परिवहन सेवाओं के अभाव में सूरत नहीं लौट पा रहे हैं.

लॉकडाउन में सरकार ने ट्रेनों की सेवाएं बंद कर दी थी. बाद में कुछ ट्रेनें शुरू की गई हैं, लेकिन वे बहुत कम हैं. सूरत के कपड़ा व्यवसायी उड़ीसा से श्रमिकों को बुलाने के तरीके तलाश रहे हैं. उन्होंने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार से श्रमिकों के लिए विशेष ट्रेन चलाने का आग्रह करें.

सूरत में पांडेसरा बुनकर कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा, “हमने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार से आग्रह करें कि ओडिशा से विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाए ताकि श्रमिकों को सूरत पहुचांया जा सके.” उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि श्रमिक सुरक्षित रूप से वापस लौट आए और काम शुरू करें. सूरत पहुंचने में एक बस को 72 घंटे लगते हैं जबकि ट्रेन को 42 घंटे लगते हैं. यदि वे वापस लौटते हैं, तो इससे हमें बहुत मदद मिलेगी.”

कुछ दिन पहले, मजदूरों से भरी एक बस ओडिशा से आने के दौरान दुर्घटना का शिकार हो गई. इस हादसे में आठ श्रमिकों की मौत हो गई. इसलिए, यहां के व्यवसायी ओडिशा से सूरत तक की ट्रेनों के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं. मयूर गोलवाला, सचिव, सचिन गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (GIDC) ने कहा, “यहाँ उद्योग में लगभग छह लाख लोग काम करते हैं. इनमें से लगभग 50 प्रतिशत श्रमिक ओडिशा के हैं.”

उन्होंने कहा कि अगर ओडिशा से ट्रेन सेवा शुरू होती है, तो बड़ी संख्या में मजदूर वापस आ सकेंगे. राज्य सरकार को केंद्र से ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने का आग्रह करना चाहिए. इससे उद्योग का कामकाज जो 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक चल रहा है, वह 60 फीसदी तक पहुंच जाएगा.

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