श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भागे मालदीव; नाराज जनता का मार्च, पहुंची पीएम आवास

राष्ट्रपति के देश छोड़कर भागने से जनता में गुस्सा बेहद तीखा हो गया है। सेना से मुठभेड़ के बीच प्रदर्शन तेज हो चुका है, जनता संसद मार्च के साथ पीएम आवास में घुस चुकी है।
संकटग्रस्त जनता के शानदार आंदोलन के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश से फरार होकर मालदीव पहुंच गए हैं। श्रीलंका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश छोड़ने की पुष्टि की है।
राष्ट्रपति के आज बुधवार तड़के देश छोड़ने की वजह से एक बार फिर गुस्सायी जनता सड़कों पर उतार गई है। राजधानी कोलंबो में भारी संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के फरार होने के बाद लोगों में नाराजगी है। लोग संसद की ओर मार्च कर रहे हैं।
राष्ट्रपति के फरार होने के बाद श्रीलंका में आपातकाल लागू हो गया है। इसके बावजूद लोग सुरक्षा घेरा तोड़कर पीएम आवास में घुस गए हैं। सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। प्रदर्शनकारियों ने सेना की गाड़ी को भी रोक दिया है।
सरकार ने की भागने में मदद, देना था इस्तीफा
श्रीलंकाई एयरफोर्स मीडिया डायरेक्टर ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे व परिवार को मालदीव जाने के लिए रक्षा मंत्रालय से इमीग्रेशन, कस्टम और बाकी कानूनों को लेकर पूरी अनुमति दी गई थी। 13 जुलाई की सुबह उन्हें एयरफोर्स का एक एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराया गया था।
दूसरी तरफ, स्पीकर ने बताया कि अभी तक श्रीलंका के राष्ट्रपति की तरफ से इस्तीफे के पत्र नहीं भेजा गया है। आज उन्हें अपनी घोषणा के मुताबिक इस्तीफा देना था।
माना जा रहा है कि हिरासत में लिए जाने की संभावना से बचने के लिए वह पद छोड़ने से पहले विदेश भाग गए। मालदीव सरकार के प्रतिनिधियों ने माले के वेलाना एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। हवाईअड्डे के एक अधिकारी ने कहा कि मालदीव पहुंचने पर उन्हें पुलिस सुरक्षा के तहत एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।
राष्ट्रपति राजपक्षे, उनकी पत्नी और दो अंगरक्षक कल रात कोलंबो इंटरनेशल एयपोर्ट से माले जाने वाले सैन्य विमान में सवार हुए। रिपोर्ट्स की मानें तो उनके छोटे भाई और पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे भी देश छोड़कर जा चुके हैं।
एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि निकटतम पड़ोसी भारत में उतरने की कोशिश थी, लेकिन इसके लिए एक सैन्य उड़ान की मंजूरी सुरक्षित नहीं मानी गई। मंगलवार को समुद्र के रास्ते से भागने पर भी विचार किया गया।
भागे या भगाए गए?
गोटाबाया 8 जुलाई के बाद से कोलंबो में नहीं दिख रहे थे। वे मंगलवार यानी 12 जुलाई को नौसेना के जहाज से भागने की फिराक में थे, लेकिन पोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने पासपोर्ट पर सील लगाने के लिए वीआईपी सुईट में जाने से इनकार कर दिया था।
खबर है कि गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा देने से पहले शर्त रखी थी कि उन्हें देश से बाहर जाने दिया जाए। इसके कुछ घंटे बाद ही उनके देश छोड़ने की खबरें सामने आई। राजपक्षे ने 12 जुलाई को अपने इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर सीनियर अधिकारी को सौंप दिया था। यह लेटर 13 जुलाई को संसद स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को सौंपा जाना था।
ऐसे में अब सवाल उठता है कि गोटबाया भागे या भगाए गए।
अमेरिका भागने की थी तैयारी
गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका छोड़कर अमेरिका भागना चाहते थे, लेकिन अमेरिका ने उन्हें वीजा नहीं दिया। राजपक्षे के पास श्रीलंका और अमेरिका की दोहरी नागरिकता थी, लेकिन 2019 में राष्ट्रपति चुनाव से पहले उन्होंने अपनी अमेरिका की नागरिकता छोड़ दी थी।
दरअसल, श्रीलंका के संविधान में सिंगल सिटीजनशिप का प्रवाधान है। ऐसे में उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ श्रीलंका का नागरिक होना जरूरी था।
भारत सरकार ने भागने में मदद से किया इनकार
खबर आई कि भारत सरकार ने राजपक्षे भाइयों के श्रीलंका से भागने में मदद की है। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने खबरों का खंडन किया जिनमें कहा गया था कि भारत ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई बेसिल राजपक्षे की भागने में मदद की है. उच्चायोग ने इन खबरों को निराधार बताया।
श्रीलंका में संकट बेहद गहरा
आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है। कोरोना महामारी के दौरान पर्यटन के प्रभावित होने और ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर सरकार के अदूरदर्शी फैसलों ने संकट को विकराल बनाने में योगदान दिया।
इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई। कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया। स्थिति ऐसी हो गई कि श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल और खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई। बेहद जरूरी दवाएं तक समाप्त हो गईं।
सरकार को पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात करने की जरूरत पड़ गई। हालांकि इससे भी स्थिति में सुधार नहीं आया और हालात लगातार बिगड़ते चले गए।
यूनाइटेड नेशंस ने 10 जून को कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीम के चलते श्रीलंका की 75 फीसदी से ज्यादा आबादी का भोजन कम हो गया है। 27 जून को श्रीलंका सरकार ने कहा कि अब देश में ईंधन नहीं बचा है। इसका हवाला देकर पेट्रोल की बिक्री बंद कर दी गई।
एक जुलाई को सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि महंगाई लगातार नौवें महीने बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
9 जुलाई को त्रस्त जनता के कारवां ने राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास पर धावा बोला और कब्जा कर लिया। राजपक्षे चोर दरवाजे से भाग खड़े हुए और अंततः देश छोड़कर विदेश में शरण लिया और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का मामला अभी संदिग्ध बना हुआ है।
उधर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के घर को भी भीड़ ने आग लगा दी। इसके बाद विक्रमसिंघे ने भी पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
इस बीच आज राष्ट्रपति के देश छोड़कर फरार होने से जनता में गुस्सा बेहद तीखा हो गया है और सेना से मुठभेड़ के बीच जनता संसद मार्च के साथ पीएम आवास को घेर लिया है।