7 माह से वेतन नहीं मिलने से सरकारी क्षेत्र के एचईसी में मज़दूरों की स्वतःस्फूर्त हड़ताल

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यूनियनों को किनारे करके हड़ताल श्रमिकों ने किया है। जबतक वेतन नहीं, तबतक कोई भी समझौता उन्हें मान्य नहीं है। मज़दूरों ने यूनियनों को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया है।

राँची (झारखंड)। एशिया के सबसे बड़े भारी उद्योग हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) में 2 दिसंबर से हड़ताल जारी है। 7 माह से बकाया वेतन भुगतान की माँग के साथ श्रमिकों ने टूल डाउन कर दिया है। निगम के तीनों प्लांटों में काम ठप है। निगम मुख्यालय में पोस्टेड कर्मी भी आंदोलन में साथ रहे हैं।

दरअसल भारत सरकार के उपक्रम एचईसी में श्रमिकों को जून माह से नवंबर तक, यानी छह माह से वेतन नहीं मिला। दिसंबर 7वां माह शुरू हो गया। इससे श्रमिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा था। उधर एचईसी में मौजूद आठो यूनियनें हड़ताल से बचती रहीं। ऐसे में पीड़ित श्रमिकों ने खुद कमान संभाली और हड़ताल पर चले गए।

वेतन पर हिलाहवाली; तीनों निदेशकों से इस्तीफे की माँग

7 दिसंबर को श्रमायुक्त के समक्ष एचईसी प्रबंधन की ओर से बताया कि कंपनी की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है। कर्मियों को प्रबंधन 31 दिसंबर तक एक माह का वेतन देने का प्रयास करेगी।

एचईसी प्रबंधन के इस पक्ष के बाद से कर्मियों ने तीनों निदेशकों को इस्तीफा देने की सलाह दी है। हटिया कामगार यूनियन के नेता लालदेव सिंह ने कहा कि तीनों निदेशकों के तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। तीनों निदेशक को अपने इस्तीफा में कहना चाहिए कि उनसे एचईसी नहीं चल रहा है। निदेशक इस्तीफा देंगे, तो भारी उद्योग मंत्रालय पर दबाव पड़ेगा।

अब वेतन भुगतान के बाद ही शुरू होगा काम

एचईसी कर्मचारियों का कहना है कि एचईसी प्रबंधन ने मंत्रालय से वेतन भुगतान के लिए 50 करोड़ का आर्थिक सहयोग मांगा है। प्रबंधन के आग्रह को मंत्रालय गंभीरता से नहीं ले रहा है, ऐसे में डायरेक्टर इस्तीफा देंगे, तो मंत्रालय पर दबाव बनेगा। क्योंकि अब कर्मी बिना वेतन के काम पर नहीं लौटेंगे, यह तीनों प्लांट के कर्मचारियों ने निर्णय ले लिया है।

आरोप : प्रबंधन बंद कराना चाहता है एचईसी

हड़ताल का आह्वान कर्मियों ने खुद से लिया है। अब जबतक वेतन नहीं मिलता, तबतक कर्मी किसी भी समझौता के लिए राजी नहीं है। श्रमिक संगठनों को भी कर्मियों ने अपने निर्णय से अवगत करा दिया है। कर्मियों का कहना है कि वर्तमान आंदोलन में किसी की राजनीति नहीं चलेगी। कर्मचारियों को वेतन चाहिए, किसी संगठन का आश्वासन या नेतृत्व नहीं।

ऐसे में एचईसी प्रबंधन को वेतन भुगतान के लिए हर संभव प्रयास में जुट जाना चाहिए। अगर प्रबंधन पैसों का इंतजाम नहीं करता है, तो यह साफ है कि प्रबंधन के ही आला अफसर एचईसी को बंद कराना चाहते है। तभी कर्मियों को वेतन देने के बजाए प्लांटों में काम ठप करवा दिया है।

हड़ताल स्वतः स्फूर्त, श्रमिक संगठन भी साथ आने को विवश

एचईसी में आठ श्रमिक संगठन सक्रिय है। मगर टूल डाउन हड़ताल अचानक बिना श्रमिक संगठनों की सहमति के कुछ कर्मचारियों ने शुरू किया। ये वैसे कर्मचारी थे, जो लंबे समय से वेतन नहीं मिलने की वजह से टूट चुके थे। वे अपने बच्चों की फीस जमा नहीं कर पा रहे थे। बेहतर भोजन परिवार को देने में असमर्थ हो गए थे।

श्रमिक संगठन वेतन को लेकर आंदोलन करने से बच रहे थे। ऐसे में परेशान श्रमिकों ने पहले एचएमबीपी में हो हल्ला शुरू किया। फिर उनको एचएमबीपी के साथ-साथ एफएफपी और एचएमटीपी के कर्मचारियों का भी साथ मिल गया। अंततः श्रमिकों ने 2 दिसंबर को तीनों प्लांट में टूल डाउन हड़ताल शुरू कर दी। इसकी सूचना प्रबंधन और श्रमिक संगठनों को पहले से नहीं थी।

प्रबंधन डराने के प्रयास में जुटा

अब जब कर्मचारी एकजुट होकर अपने वेतन की मांग कर रहे है। जबतक वेतन नहीं, तबतक काम शुरू नहीं, का नारा लगा रहे है। प्रबंधन भी श्रमिकों की मांग को सही ठहरा रहा है। प्रबंधन ने पहले अपील पत्र जारी कर श्रमिकों को डराने का प्रयास किया। फिर श्रमायुक्त को पत्र लिखकर श्रमिकों के आंदोलन को गलत बताते हुए, समझौता बैठक बुलवाया। जिसमें प्रबंधन आश्वासन की बदौलत हड़ताल को खत्म कराने का असफल प्रयास किया।

इसके बाद से कर्मचारी और आक्रोशित हो गए है। कर्मचारियों को एकजुट होता देख, अब कई श्रमिक संगठन आंदोलन में शामिल होने योजना पर काम शुरू कर दिया है। वहीं अब कांग्रेस और भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियों के नेता भी कर्मियों के आंदोलन में शामिल होकर अपनी राजनीति चमकाने में जुट गए है।

एसोसिएशन ने सीएमड़ी से स्थिति स्पष्ट करने को कहा

एचईसी एस एंड ई एसोसिएशन की आपातकालीन बैठक 8 दिसंबर की सुबह हुई। जिसमें सहमती बनी कि कर्मचारियों का आंदोलन सही है। ऐसे में प्रबंधन के तीनों निदेशकों के साथ तत्काल बैठक कर स्थिति को स्पष्ट किया जाए।

सीएमडी को फौरन एचईसी आकर स्थिति पर स्पष्टीकरण करना चाहिए। प्रबंधन एक रोडमैप बताए कि उनके पास कंपनी को चलाने के लिए क्या योजना है। बकाया वेतन का लेकर भी प्रबंधन अपना रुख स्पष्ट करे।

बैठक में अध्यक्ष रंजन नायक, ब्रजेश कुमार सिंह, रौशन कुमार, नितिन सावंत, आलोक रंजन, मनीष जैन आदि उपस्थित थे।

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