दक्षिण अफ्रीका: सरकार के निरंकुश फरमान से 100 सोना खदान मज़दूरों की भूख-प्यास से मौत

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दक्षिण अफ्रीका में सरकार ने अवैध खनन बंद करने के नाम पर 100 से ज्यादा मज़दूरों की जान ले ली। वहाँ सोने की खदान के अंदर फंसे 100 से ज्‍यादा मजदूरों की भूख-प्‍यास से तड़पकर मौत हो गई है, 500 से ज्‍यादा खनिक मजदूर अभी भी अंदर फंसे हुए हैं।

यह घटना जोहांसबर्ग से लगभग 145 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित स्टिलफोंटेन शहर के निकट बफेल्सफोंटेन में स्थित सोने की खदानों में हुई है। पहले शव के पोस्टमार्टम से पता चला है कि उसकी मौत भूख की वजह से हुई है। ये मजदूर महीनों से खदान में फंसे हुए थे।

यूनियन ने बताया नरसंहार, कहा अधिकारी हैं जिम्मेदार

इस घटना से जुड़ी जानकारी ट्रेड यूनियन जनरल इंडस्ट्रीज वर्कर्स ऑफ साउथ अफ्रीका की ओर से मोबाइल फोन के जरिए भेजे गए वीडियो से मिली। इसमें प्लास्टिक में लिपटे शव दिखे। इसके बाद प्रशासन ने रेस्क्यू शुरू किया। हालांकि तबतक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी।

यूनियन ने सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में इसे भयावह बताते हुए नरसंहार कहा और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।

खबर के मुताबिक अवैध खनन बंद करने के नाम पर सरकार ने ऑपरेशन उमगोडी या “छेद बंद करो” का फरमान जारी किया था। इसके बाद मनमाने तरीके से पुलिस ने खदान से बाहर निकलने में इस्तेमाल होने वाली रस्सियों को हटा दिया। जिससे सभी मजदूर अंदर ही फंस गए। पुलिस ने खदान के अंदर भोजन की सप्लाई भी रोक दी, और भूख-प्यास की वजह से मजदूरों की जान चली गई।

500 मज़दूरों के फंसे होने की संभावना

माइनिंग अफेक्टेड कम्युनिटीज यूनाइटेड इन एक्शन ग्रुप के मुताबिक राहत कार्य में अब तक 26 मजदूरों को जीवित और 18 शवों को भी बाहर निकाला जा चुका है। हालांकि, यह खदान इतनी गहरी है कि वहां अभी भी लगभग 500 मजदूर फंसे हो सकते हैं। खदान की गहराई 2.5 किमी बताई जा रही है। मजदूरों की मौत ने खदान की सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने पिछले साल भोजन, पानी और दवाइयों की आपूर्ति यह कहते हुए रोक दी थी कि खनिक जानबूझकर और बिना मंजूरी के शाफ्ट में घुसे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि खदान में कार्रवाई शुरू होने के बाद 100 से अधिक अवैध खनिक जमीन के अंदर मारे गए हैं। अधिकारियों ने अभी तक इस आंकड़े की पुष्टि नहीं की है।

वीडीओ में दिखा भयावह दृश्य

वीडियो को एक ट्रेड यूनियन जनरल इंडस्ट्रीज वर्कर्स ऑफ साउथ अफ्रीका ने जारी किया है। वीडियों में दर्जनों पुरुष एक गंदे फर्श पर बैठे हैं। उनके चेहरे ब्लर कर दिए गए हैं। इसमें एक आदमी को कहते सुना जा सकता है कि ‘हम आपको उन लोगों के शव दिखाने जा रहे हैं, जो जमीन के अंदर मर गए।… क्या आप देख रहे हैं कि लोग कैसे संघर्ष कर रहे हैं। कृपया हमें मदद कीजिए।’

एक अन्य वीडियो में एक आदमी को कहते सुना जा सकता है, ‘ये भूख है। लोग भूख के चलते मर रहे हैं।’ फिर वह बताता है कि 96 लोग मर चुके हैं और मदद की अपील करता है। यूनियन का दावा है कि ये वीडियो शनिवार को शूट किए गए थे। यूनियन ने सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में इसे भयावह बताते हुए नरसंहार कहा और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।

दक्षिण अफ्रीकी सरकार का जानलेवा फरमान

दक्षिण अफ्रीका सरकार ने अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ़ ऑपरेशन उमगोडी या “छेद बंद करो” का फरमान जारी किया था। स्थानीय रूप से “ज़ामा ज़ामास” के नाम से चिन्हित खनिकों को भूखा मारने की अपनी योजना के तहत, पुलिस ने खदान की ओर जाने वाले सभी मार्गों को बंद कर दिया।

बीते साल नवंबर में पुलिस प्रवक्ता एथलेंडा माथे के अनुसार, इसका उद्देश्य खनिकों को अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करना और अवैध खनन गतिविधियों को कम करना है, जिससे इस देश को सालाना एक बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान होता है।

दक्षिण अफ्रीका के उत्तर-पश्चिमी प्रांत में एक अवैध सोने की खदान में फंसे और उन तक भोजन और पानी सहित आवश्यक आपूर्ति बंद कर करने से पैदा स्थिति की जानकारी के बावजूद सरकार ने सैकड़ों अवैध खनिकों को बचाने से इनकार कर दिया था, जो अंततः मौत के शिकार हो गए।

पुलिस कार्यवाही से हुआ नरसंहार

जानकारी के मुताबिक पुलिस ने खदान को सील करने की कोशिश की। इसके बाद से यहां मजदूरों और पुलिस के बीच गतिरोध बना रहा। पुलिस का कहना है कि मजदूर गिरफ्तारी के डर से बाहर नहीं आना चाहते थे।

वहीं मज़दूरों का कहना है कि पुलिस ने खदान से बाहर निकलने में इस्तेमाल होने वाली रस्सियों को हटा दिया। इसके बाद सभी मजदूर अंदर ही फंस गए। पुलिस ने खदान के अंदर भोजन की सप्लाई भी रोक दी, ताकि सभी मजदूर बाहर निकल आए।

भूख और प्यास से मौत

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पहली मौत का कारण भूख बताया गया है। खदान में भोजन और पानी की सप्लाई बंद होने से सभी मजदूरों की मौत हुई है। मजदूरों की मौत ने खदान की सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यूनियन ने इसे भयावह बताते हुए नरसंहार कहा और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।

अवैध खनन का चलन: ज़िम्मेदार कौन?

दक्षिण अफ्रीका में अवैध खनन एक आम समस्या है। बड़ी कंपनियां जब खदानों को बेकार समझ कर छोड़ देती हैं तो स्थानीय खनिक वहां बचा हुआ सोना निकालने की कोशिश करते हैं। यह खतरनाक स्थिति उनके जीवन के लिए खतरा बन जाती है।

मुख्यतः भयावह गरीबी झेलते मज़दूर जान जोखिम में डालकर सोना निकालने का काम करते हैं। जबकि सरकार मुनाफाखोरों के हित में इन खदानों को वैध या अवैध घोषित करती है। सरकार के तानाशाहीपूर्ण अमानवीय फरमान ने मज़दूरों से ज़िंदगी छीन ली।

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