खरखोदा (सोनीपत): मारुति श्रमिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का फिर दमन, गिरफ़्तारी; देर शाम मज़दूरों की रिहाई

जापानी सुजुकी के इशारे पर भाजपा सरकार द्वारा मजदूरों का दमन जारी। सूचना के बावजूद धारा 144 लगाकर मज़दूरों पर लाठी चार्ज; गिरफ्तार श्रमिकों को देर शाम दूर ले जाकर छोड़ा।
सोनीपत (हरियाणा)। लंबे समय से संघर्षरत मारुति के अस्थाई व बर्खास्त मज़दूरों को एक बार फिर हरियाणा सरकार और उसकी पुलिस के दमन का शिकार होना पड़ा। आज 6 अप्रैल को मारुति सुजुकी अस्थाई मज़दूर संघ और मारुति सुजुकी स्ट्रगलिंग कमेटी ने अपने हक के लिए हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखोदा चलने का आह्वान किया था। इसकी सूचना प्रशासन को पूर्व में ही दी जा चुकी थी।
मज़दूरों का यह आह्वान बेरोजगारी के खिलाफ था, मारुति सुजुकी द्वारा गैरकानूनी रूप से मज़दूरों से काम करवा कर निकाल देने के खिलाफ था, तरह-तरह के ट्रेनिंग के नाम पर मज़दूरों के शोषण के खिलाफ था, मारुति सुजुकी के नए प्लांट खरखोदा में मारुति में कार्य कर चुके मज़दूरों की पक्की नौकरी के लिए था, 2012 से मानेसर प्लांट से बर्खास्त मज़दूरों की कार्यबहाली के लिए था।

जैसे ही अस्थाई और बर्खास्त मारुति श्रमिक आज सुबह खरखोड़ा पहुंचे और परशुराम वाटिका में प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आगे बढ़े, उन्हें पुलिस ने विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार कर लिया। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में धारा 144 (BNS 168) लागू कर दिया ताकि श्रमिकों का कोई भी जमावड़ा रोका जा सके। मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ और मारुति सुजुकी संघर्ष समिति की पूरी कमिटियों सहित अन्य श्रमिकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
मारुति सुजुकी का नया खरखोड़ा संयंत्र, जो 10 लाख वार्षिक क्षमता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माण संयंत्र बनने जा रहा है, केवल फिक्स्ड टर्म श्रमिकों और अन्य अस्थायी श्रमिकों को नियुक्त करता है। आज के प्रदर्शन की एक प्रमुख मांग थी कि इस संयंत्र में 10,000 स्थायी श्रमिकों की नियुक्ति की जाए और जो लोग मारुति सुजुकी के विभिन्न संयंत्रों में काम कर चुके हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाए।

कार्यक्रम की पूर्व सूचना के बावजूद बार-बार दमन
मज़दूरों ने अपने इस शांतिपूर्ण कार्यक्रम की सूचना काफी पहले सोनीपत जिला प्रशासन को दे दी थी। मज़दूरों का कार्यक्रम खरखोदा परशुराम वाटिका पार्क में मज़दूर सभा करने की और हजारों मजदूरों के हस्ताक्षर से युक्त ज्ञापन एसडीम महोदय के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री को भेजने की थी।
लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार को यह कतई मंजूर नहीं था। जापानी सुजुकी के इशारे पर वह बार-बार मजदूरों का दमन कर रही है। यहां पर भी पूर्व सूचना के बावजूद अचानक प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी और जैसे ही मज़दूर खरखोदा में एकत्रित होने लगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

नेतृत्वकारी साथियों सहित 40 साथियों को पुलिस गाड़ियों में भरकर उठा ले गई, विभिन्न स्थानों और थानों में उन्हें रखा और देर शाम शहर से काफी दूर-दूर ले जाकर अलग-अलग साथियों को छोड़ दिया। जबकि हजारों की संख्या में पहुँच रहे मज़दूरों को अलग-अलग जगहों से पुलिस ने लठियों के दम पर खदेड़ दिया। हरियाणा की भाजपा सरकार और उसकी पुलिस-प्रशासन का यह घोर निंदनीय कृत्य है।
इससे पूर्व सन 2012 से गैरकानूनी रूप से बर्खास्त मारुति सुजुकी मानेसर के मज़दूरों का धरना आईएमटी मानेसर तहसील पर चल रहा था। 30 जनवरी को अस्थाई मज़दूरों के मांग के साथ मानेसर चलो का आह्वान था। लेकिन 29 फिर 30 और फिर 31 जनवरी को हरियाणा सरकार का दमन का पाटा चला। पुलिस ने मानेसर और गुरुग्राम में भी मारुति श्रमिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर धारा 144 के बहाने दमन किया था और यह जारी है।

दमन के बीच संघर्ष जारी है
पिछले करीब चार माह से मज़दूरों को कहीं भी इकट्ठा होने, यहां तक की धर्मशाला में भी रुकने ना देने के लिए हरियाणा की पुलिस मुस्तैद रही, इसके बावजूद मजदूरों का संघर्ष लगातार जारी है। बीते 19 मार्च को मारुति अस्थाई व बर्खास्त मज़दूरों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया और देश के प्रधान मंत्री के नाम संबोधित हजारों मज़दूरों के पत्र प्रधान मंत्री कार्यालय में जमा किया।
इस बीच मज़दूर चंडीगढ़ हाईकोर्ट भी गए। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने स्थानीय चुनाव के बहाने धरने की अनुमति नहीं दी। बीते दिनों हाई कोर्ट ने पुनः जिला प्रशासन को 5 दिन के भीतर गुड़गांव क्षेत्र में धरना प्रदर्शन की अनुमति देने का निर्देश दिया, लेकिन फिर भी प्रशासन खामोश रहा।
और इधर गुड़गांव से काफी दूर सोनीपत जिले में जब मज़दूर इकट्ठा हुए तो वहां भी जापानी सुजुकी के इशारे पर हरियाणा की भाजपा सरकार ने दमन का रास्ता तैयार किया।
संघर्षरत मज़दूरों की अपील :
आज जो हमारा शांतिपूर्ण कार्यक्रम खरखौदा परशुराम वाटिका में होना था, उसे एक बार फिर से मारुति मारुति मैनेजमेंट और प्रशासन की मिलीभगत से विफल करने की साजिश रची गई।
हमारे साथियों को पकड़वाया गया, यहां तक कि हमारी कमेटी के साथियों को भी प्रशासन और पुलिस के माध्यम से दिन भर थाने में रखा गया।
साजिश के तहत हमारे साथियों को अलग-अलग दूर-दूर स्थानों पर छोड़ दिया गया, ताकि हम एकजुट न हो सकें। ये हमारे साथ बहुत बड़ा अन्याय है। लेकिन साथियों, ये सब हमें रोक नहीं सकता! हम आगे की रणनीति कमेटी के दिशा-निर्देश से तय होगी।
साथियों, चाहे जो भी हो जाए, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं! हमारी लड़ाई न्याय, हक और इज़्ज़त की है। हम एकजुट रहेंगे और डटकर मुकाबला करेंगे।
मज़दूरों की मांगें-
इस प्रदर्शन के लिए संघर्षरत मारुति मज़दूरों की मांग है कि-
- मारुति खरखोदा प्लांट में गैर कानूनी तरीके से उत्पादन करवाना बंद करो, प्लांट में 10000 स्थाई मज़दूरों की भर्ती करो!
- ये भर्ती मारुति प्रशिक्षित अस्थाई मजदूर से ही की जाए!
- समान कार्य पर समान वेतन दिया जाए!
- स्थाई कम पर ट्रेनी, अप्रेंटिस जैसी गैर कानूनी अस्थाई रोजगार चलाना बंद करो! यह रोजगार नहीं छपी हुई बेरोजगारी है!
- 2012 में गैर कानूनी तरीके से निकाले गए मज़दूरों को काम पर वापस लिया जाए!