जालोर हत्या कांड पर गुड़गांव के सामाजिक संगठनों व मज़दूर यूनियनों का प्रदर्शन
जहाँ एक ओर मीडिया और संघ परिवार घटना को हादसे की शक्ल देने में लगे हुए हैं वहीँ देश भर में इसके ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।

21 अगस्त, गुड़गांव । 13 अगस्त को राजस्थान के जालोर जिले के सुराना गाँव के 9 वर्षीय बालक इन्दर मेघवाल की मृत्यु ने भारत की ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ को एक आएना दिखा दिया। हेडमास्मटर के मटके से पानी पीने के लिए दर्दनाक तरीके से पीटे जाने की वजह से बच्चे की मौत इस बात का दर्दनाक प्रतीक है की हमारे देश में जनता के सबसे शोषित तबके की क्या हालत है। इस घटना की प्रतिक्रिया में उठे प्रतिरोधों की कड़ी में 20 अगस्त 2022 को गुरुग्राम डीसी ऑफिस के सामने क्रांतिकारी नौजवान सभा द्वारा प्रदर्शन करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया। प्रतिरोध सभा में मारुती सुजुकी मानेसर की यूनियन, बेलसोनिका एम्प्लोयीज़ यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र गुड़गांव और नौजवान भारत सभा के साथी भी शरीक हुए और अपना प्रतिरोध दर्ज कराया।
मृत बालक इन्दर मेघवाल और उसके परिवार वालों के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने सरस्वती विद्या मंदिर और आरएसएस द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न स्कूलों पर रोक लगाने की मांग की, जो जातिवादी संस्कृति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। बठानी टोला, रोहित वेमुला, हाथरस बलात्कार कांड और भीमा कोरेगांव का उदाहरण देते हुए वक्ताओं ने ज़ोर दिया की आज ऐसी घटनाओं में अक्सर अपराधियों को छूट मिल जाती है और अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले या सामाजिक कर्मी, छात्र, अध्यापक इत्यादि के ख़िलाफ़ ही कार्यवाही चलाई जाती है।
बिलकिस बानों के बलात्कारियों को सज़ा की उठी मांग
जालोर की घटना पर आक्रोश दर्ज करने के साथ ही सभा ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार के अपराधियों को मिली माफ़ी का पुरज़ोर विरोध किया। वक्ताओं ने इन दोनों ही घटनाओं में संघ परिवार और भाजपा को ज़िम्मेदार बताया और देश में बढ़ाए जा रहे जातिवादी – फासीवादी अजेंडे को पूंजीपतियों से मिल रहे समर्थन पर सवाल उठाए। इसके साथ ही राखी के दिन फरीदाबाद में 12 साल की बच्ची की खुले में शौचालय जाने के समय बलात्कार और हत्या की घटना पर भी प्रतिरोध ज़ाहिर किया गया। यह सवाल उठाया गया की चाहे वो इन्दर मेघवाल हो, बिलकिस बानो, या फरीदाबाद में मारी गयी बच्ची, यह समाज का मेहनतकश गरीब तबका ही है जो अधिकतर मौकों पर इस दहशत का शिकार बनता है।
एकत्रित हुए मेहनतकश नौजवानों और मज़दूर परिवारों से आने वाले छात्रों ने यह आक्रोश ज़ाहिर किया की अगर अब भी आवाज़ नहीं उठी तो आज जो इन्दर के आठ हुआ है वो उनके साथ भी हो सकता है। उन्होंने पुछा की क्यों वे दिन रात मेहनत करके भी अपना पेट नहीं पाल सक रहे, जबकि अडानी – अंबानी सोते वक्त भी करोड़ों रूपए कमाते रहते हैं। ऐसा क्यों है कि जहाँ उनमें से अनेकों की प्राइवेट स्कूलों में बकाया हुए फीस माफ़ नहीं की गयी, जिसके कारण उनकी पढ़ाई तक छूट गयी, लेकिन बिलकिस बानों के बलात्कारियों को माफ़ी मिल गयी।
उपस्थित यूनियन प्रतिनिधियों ने क्षेत्र में मज़दूरों के बद से बदतर होते हालातों पर रौशनी डालते हुए जाति – धर्म आधारित राजनीति को ध्वस्त करने की ज़रुरत पर जोर दिया। नेताओं ने बताया कैसे मज़दूरों को भी किस तरह अलग अलग श्रेणियों – ठेका, कैजुअल, ट्रेनी, परमानेंट – में बाँट कर मज़दूर आन्दोलन को बांटा जा रहा है। गुड़गांव क्षेत्र में भी पिछले कुछ सालों में बढ़ते धार्मिक टकराव की चुनौती को भी रखा गया।
अपना मांग पत्र प्रशासन को दे कर प्रतिरोध सभा का समापन किया गया।