हरियाणा बॉर्डर पर किसानों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी

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किसान शुक्रवार को फिर दिल्ली की ओर कूच कर गए

कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी है। हरियाणा के पानीपत के टोल प्लाजा स्थित हाईवे पर गुरुवार को रुकने के बाद किसान शुक्रवार को फिर दिल्ली की ओर कूच कर गए। सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। पुलिस ने यहां कंटीले बाड़ों से लेकर वॉटर कैनन तक का इंतजाम किया है। हालांकि, इसके बावजूद करीब 50 हजार किसानों की शाम तक दिल्ली बॉर्डर तक पहुंचने की योजना है।

इससे बीच पंजाब से हरियाणा के रास्ते दिल्ली आ रहे प्रदर्शनकारी किसानों को पकड़कर हिरासत में रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल सरकार से 9 स्टेडियम को अस्थायी जेल बनाने की मांग की थी। हालांकि, केजरीवाल सरकार ने ऐसी कोई भी मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया। दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि केंद्र को किसानों की बात माननी चाहिए और उन्हें जेल में डालना समस्या का समाधान नहीं है।

इससे पहले रोहतक में एक 45 वर्षीय किसान की आज सुबह ही सड़क हादसे में मौत हो गई। इसे लेकर किसान यूनियन ने हरियाणा सरकार की ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग को जिम्मेदार ठहराया और हंगामा किया। किसान यूनियन ने मृतक के परिवार के लिए 20 लाख रुपए का मुआवजा भी मांगा। बता दें कि किसानों के कूच की वजह से दिल्ली पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगे बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है।

कृषि कानूनों के विरोध में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान ‘दिल्ली चलो’ रैली निकाल रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन ने मिलकर यह मार्च आयोजित किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि किसानों के प्रदर्शन को अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे में राजधानी की कई सीमाओं को सील कर दिया गया और भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया। दिल्ली-एनसीआर में चलने वाली मेट्रो सेवाएं किसान आंदोलन की वजह से शुक्रवार को रद्द रहेंगी।

अंकित ओझा

जनसत्ता से साभार

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