एसकेएम की बैठक, सरकार के लिखित प्रस्ताव पर माँगा स्पष्टीकरण; कल पुनः बैठक में होगा निर्णय

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एसकेएम ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय से एक लिखित मसौदा प्रस्ताव प्राप्त होने की पुष्टि की है। एसकेएम प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगेगा और कल फैसला करेगा।

केंद्र सरकार ने लंबित माँगों पर भेजा लिखित प्रस्ताव, कुछ मुद्दों पर संशय

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बड़ी मीटिंग हुई जिसमें सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर गहन चर्चा की गई है। किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 6 मांगे रखी थीं, उसपर भारत सरकार की तरफ से लिखित प्रस्ताव आया है।

संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस बुलेटिन (376वां दिन, 7 दिसंबर 2021)

संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत सरकार से एक लिखित मसौदा प्रस्ताव प्राप्त होने की पुष्टि की है। आज सिंघू मोर्चा पर एसकेएम की बैठक में किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव पर रचनात्मक चर्चा की। मोर्चा सरकार के प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर और स्पष्टीकरण मांगेगा, और आगे की चर्चा के लिए कल दोपहर 2 बजे फिर से बैठक करेगा। मोर्चा को सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।

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उल्लेखनीय है कि 19 नवंबर को 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के तुरंत बाद, एसकेएम ने भारत के प्रधानमंत्री को 21 नवंबर को एक पत्र भेजा था। 

21 नवम्बर को पीएम को भेजे गए पत्र में एसकेएम की मांगें

  1. सभी कृषि उपजों पर सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी (सी 2 + 50% स्तर पर) का कानूनी अधिकार और खरीद सुनिश्चित हो,
  2. विद्युत संशोधन विधेयक 2020/2021 वापस हो,
  3. किसानों को दिल्ली वायु गुणवत्ता विनियमन से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा जाए, और “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021” से धारा 15 को हटाया जाए,
  4. वर्तमान आंदोलन में हजारों किसानों पर लगाए गए सैकड़ों मुकदमे वापस लिया जाए,
  5. भारत सरकार के मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी हो,
  6. आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास सहायता और सिंघू मोर्चा पर उनकी याद में एक स्मारक के निर्माण हेतु जमीन आवंटित किया जाए।
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किसानों को भेजे गए सरकार के पत्र के मुख्य बिंदु

  1. एमएसपी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक समिति बनाने की घोषणा की है। इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ कृषि वैज्ञानिकों को भी शामिल किया जाएगा। इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य भी शामिल होंगे।
  2. 2. जहां तक किसानों पर आंदोलन के दौरान मुकदमों का सवाल है, उस पर यूपी और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूरी तरह सहमति दे दी है। आंदोलन वापस लेने के बाद तत्काल ही ये मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे।
  3. 2(ए). किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और केंद्रशासित प्रदेशों में हुए आंदोलन के दौरान भी केस वापस लिया जाएगा।
  4. 3. जहां तक मुआवजे का सवाल है, उस पर भी यूपी और हरियाणा सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। पंजाब सरकार ने पहले ही इसको लेकर सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर दी है। 
  5. 4. जहां तक बिजली संशोधन बिल का प्रश्न है, संसद में इस विधेयक को पेश किए जाने से पहले सभी संबंधित पक्षों से राय मशविरा किया जाएगा।
  6. 5. पराली के मुद्दे पर सरकार ने जो कानून पारित किया है, इसमें धारा 14 और 15 में आपराधिक जवाबदेही से किसानों को अलग कर दिया गया है।
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विभिन्न मुद्दों पर किसानों को सरकार के प्रस्ताव पर ऐतराज

मुकदमों की वापसी: आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों की वापसी पर सरकार को एक समयसीमा देनी चाहिए। मोर्चा ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर ऐतराज जताया है, जिसमें कहा गया है कि आंदोलन समाप्ति की शर्त पर ही किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे।

मुक़दमें वापसी पर महज आश्वासन पर भरोसा नहीं। जाट आंदोलन को भी सरकार ने इसी तरह खत्म कराया था, लेकिन किसान अभी भी केस भुगत रहे हैं। इसलिए समस्त मुक़दमें वापस हों।

दरअसल अकेले हरियाणा में 48 हजार किसानों पर केस दर्ज हैं। यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्यप्रदेश में केस दर्ज हैं। देश भर में रेलवे ने भी सैकड़ों केस दर्ज किए हैं। इसके लिए कोई समय-सीमा होनी चाहिए।

एमएसपी: सरकार ने एमएसपी के मामले में कमेटी में ऐसे लोग नहीं होने चाहिए, जो सरकार के साथ कानून बनाने में शामिल रहे। कमेटी में किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

मुआवजा: मुआवजे पर सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दी है, लेकिन केंद्र सरकार पंजाब मॉडल की तरह मुआवजे की मांग को माने, जिसमें 5 लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी का जिक्र है।

बिजली बिल और पराली: बिजली संशोधन बिल वापस लिया जाए। पराली के बारे में सरकार ने मार्च महीने में जरूर कुछ चीजें हटाईं, लेकिन उसमें एक सेक्शन डालने से फिर से किसानों को दिक्कत हो सकती है। किसान नेताओं ने इस सेक्शन को भी हटाने की मांग की है।

इसके अलावा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा और उसके पिता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाने पर सरकार खामोश है।

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किसान नेताओं का कहना है कि ”सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। कुछ मुद्दों पर किसान नेताओं ने स्पष्टीकरण की मांग की है। उनकी राय सरकार को भेजी जाएगी. उम्मीद है कि कल सरकार का जवाब आएगा। इसके बाद कल 2 बजे फिर बैठक होगी।”