नगालैंड में ‘रैट-होल’ खदान में आग लगने से छह मज़दूरों की मौत, चार की हालत गंभीर

रैट-होल खनन – खदान में संकरी सुरंगों के जरिये कोयला निकालने की एक विधि है। जहां तंग, खराब हवादार सुरंगों में असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों में खनिक मज़दूरों के लिए लगातार खतरा बनी रहती है।
नागालैंड के वोखा जिले में एक “रैट-होल” कोयला खदान के अंदर आग लगने से पड़ोसी राज्य असम के कम से कम छह श्रमिकों की मौत हो गई और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि खदान ढहने से सभी 10 मजदूरों की फंसकर मौत हो गई। सूत्रों ने बताया कि गंभीर रूप से झुलसे चार लोगों को बचा लिया गया।
अधिकारियों के अनुसार घटना गुरुवार 25 जनवरी की दोपहर को हुई, लेकिन यह शाम को सामने आई। यह घटना रुचन्यायन गांव में हुई, जहां छह खनिक, चार अन्य श्रमिकों के साथ, संकीर्ण, खतरनाक सुरंग के अंदर काम कर रहे थे। शुरुआती विस्फोट की सूचना मिली, जिसके बाद खदान में आग लग गई।
घटना में गंभीर रूप से घायल चार मज़दूरों को दीमापुर के एक अस्पताल में ले जाया गया। मृतक असम के देवीपुर, सोनापुर और दयालपुर गांवों के थे, जो असम-नगालैंड सीमा पर गोलाघाट जिले में स्थित हैं।
खबर के मुताबिक, आग लगने का सही कारण पता नहीं चल पाया है। संदेह है कि रिसाव के कारण जनरेटर में विस्फोट हुआ, जबकि कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि खदान से निकली गैस के कारण आग लगी।
मीडिया ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से कहा है कि खदान में किसी भी सुरक्षा उपाय का पालन नहीं किया जा रहा था। घटना के वक्त अग्निशमन यंत्र भी उपलब्ध नहीं थे। खबर के मुताबिक घटना के बाद दो खदान मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में ‘अवैध खनन’ बड़े पैमाने पर चल रहा है और इसको रोकने के लिए नगालैंड सरकार, कोई क़दम नहीं उठा रही है। ऐसे प्रबंध नहीं हो रहे हैं कि कोयले को वैज्ञानिक तरीके से निकाला जा सके, जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।
क्या है “रैट-होल-खनन”
रैट-होल खनन – खदान में संकरी सुरंगों के जरिये कोयला निकालने की एक विधि है। ये अनियमित खदानें, जिन्हें अक्सर उचित सुरक्षा उपायों के बिना खोदा जाता है, तंग, खराब हवादार सुरंगों में असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों में काम करने वाले खनिकों के लिए लगातार खतरा पैदा करती हैं।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के 2014 के आदेश के अनुसार यह भारत में प्रतिबंधित है, क्योंकि इसमें शामिल जोखिमों के कारण खनिकों की मौत हो रही है। हालांकि, इसके बावजूद यह अवैध तरीके से संचालित हो रहा है। 2018 में मेघालय में इसी तरह की एक घटना में 15 खनिक मारे गए थे।