सिलीगुड़ी : चाय बागानों के श्रमिकों ने न्यूनतम मज़दूरी महज 10 रुपए बढ़ाने का प्रस्ताव ठुकराया

Cayabagan_shramik

चाय बागान मालिक अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। उत्तर बंगाल के लगभग साढ़े चार लाख चाय बागान श्रमिकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। आंदोलन ही रास्ता। -एसोसिएशन

सिलीगुड़ी। मालिकों की हठधर्मिता से चाय बागानों के श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी में वृद्धि तय करने को लेकर शनिवार को श्रमिक भवन में हुई त्रिपक्षीय बैठक बेनतीजा रही। यह वर्ष 2015 से अब तक 18वीं बार हुई बैठक थी। इसमें शासन-प्रशासन की ओर से पश्चिम बंगाल राज्य के श्रम मंत्री बेचाराम मन्ना व अन्य विभागीय अधिकारी, चाय बागान मालिकों के कई यूनियनों के प्रतिनिधि एवं चाय बागान श्रमिकों के कई यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में श्रमिक यूनियनों की ओर से वर्तमान समय, महंगाई आदि का हवाला देते हुए चाय बागान श्रमिकों की वर्तमान न्यूनतम दैनिक मजदूरी 202 रुपये को बढ़ा कर कम से कम 660 रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। इसे चाय बागान मालिकान पक्ष ने एकबारगी ही एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इतनी ज्यादा वृद्धि असंभव है।

इस पर, शासन-प्रशासन पक्ष की ओर से श्रम मंत्री ने जब मालिकान का रुख जानना चाहा कि आखिर वे कितने तक वृद्धि करने को तैयार हैं? तो, मालिकान बोले कि, वे अधिकतम 212 रुपये दैनिक मजदूरी दे पाने में सक्षम हैं। इसे श्रमिकों के पक्ष ने नकार दिया। इस पर काफी हुज्जत हुई। मगर, कोई फायदा नहीं हुआ और बैठक बेनतीजा रही।

संवाददाताओं से बातचीत करते हुए, श्रमिकों के 26 यूनियनों के ज्वाइंट फोरम के संयोजक जियाउल आलम ने कहा कि चाय बागान मालिकों का रवैया एकदम सही नहीं है। वे अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। उत्तर बंगाल के लगभग साढ़े चार लाख चाय बागान श्रमिकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। मालिकों की मनमानी के चलते ही यहां के लगभग 40 प्रतिशत चाय बागान श्रमिक अपना यह परंपरागत काम छोड़ अन्य राज्यों में जा कर मजदूरी-बेगार करने को मजबूर हो गए हैं। शासन-प्रशासन भी कुछ प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। अब हम लोगों के पास आंदोलन के अलावा और कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। अब हम आंदोलन ही करेंगे।

वहीं, चाय बागान मालिकान की ओर से तराई इंडिया प्लांटर्स एसोसिएशन (टीपा) के अध्यक्ष महेंद्र बंसल ने श्रमिकों की माँग को नकारते हुए कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि श्रमिकों की मांग न्यायसंगत है या नहीं है। मगर, इतनी अधिक वृद्धि संभव नहीं है।

पश्चिम बंगाल राज्य के श्रम मंत्री बेचाराम मन्ना ने कहा कि, चाय बागान श्रमिकों की ओर से न्यूनतम दैनिक मजदूरी का जो प्रस्ताव दिया गया, इसे मालिक पक्ष मानने को तैयार नहीं हुए। बैठक बेनतीजा रही। मगर, इतना है कि बातचीत अग्रगति की ओर है। जल्द ही बैठक कर मसले का बेहतर निकालेंगे।

अगली बैठक कब और कहां होगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल दिन व जगह तय नहीं है। मगर, जल्द ही इसे तय कर दिया जाएगा व सभी को इसकी पूर्व सूचना भी दी जाएगी।

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