स्कीम वर्कर – आशा, मिड डे मील और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मियों ने की आवाज़ बुलंद
कोरोना महामारी के विकट दौर में, जान जोखिम में डालकर गली, मोहल्ले से लेकर गांव-शहर में दिन के धूप में संक्रमित को ट्रैक कर रहे आशा वर्कर, आगनबाडी कार्यकार्ता को वेतन तो दूर, आवश्यक सुरक्षा उपकरण भी नहीं मिले। लेकिन अब करीब 6 लाख आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर 3 दिन की हड़ताल पर हैं। जबकि कर्नाटक में 11 जुलाई से वे हड़ताल पर हैं।
केन्द्रीय यूनियनों के आह्वान पर 7-9 जुलाई की इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में आशा व अन्य स्कीम वर्कर शामिल हैं।

आशा कर्मियों की प्रमुख मांगे-
आशा वर्कर्स की मांग है कि सभी आशा व स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा देकर प्रतिमाह 21000 रु. न्यूनताम वेतन भुगतान करना, 10000 रु. विशेष कोरोना लॉकडाउन भत्ता, कोरोना चिकित्सा कार्यों में लगे कर्मियों को केंद्र सरकार स्तर पर 50 लाख जीवन बीमा व 10 लाख रु. राज्य स्वास्थय बीमा योजना लागू किया जाए।
साथ ही उनकी माँग है कि कोरोना ड्यूटी में मृत कर्मियों के परिजनों को 50 लाख रु. विशेष भत्ता कोरोना चिकित्सा में लगे सभी कर्मियों ज़रूरी मेडिकल किट की अविलम्ब उपलब्धता तथा संक्रमितकर्मियों की विशेष चिकित्सा सुविधा की गारंटी इत्यादि दी जाए।

बिहार
बिहार की आशाकर्मी व अन्य स्कीम वर्कर्स केंद्र व बिहार सरकार की उपेक्षा और वादाखिलाफी के खिलाफ 6 से 9 जुलाई तक हड़ताल पर हैं। बिहार आशाकर्मी संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर राजधानी पटना समेत राज्य के लगभग सभी जिलों– प्रखंडों के स्वस्थ्य केन्द्रों में कार्यरत एक लाख से भी अधिक अधिकांश आशाकर्मी हड़ताल पर चली गयी हैं।

उत्तराखंड
11 सूत्रीय मागों को लेकर उत्तराखंड की आशा कार्यकर्ता तीन दिन की हड़ताल पर चली गई हैं। राजधानी देहरादून, उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा समेत सभी जनपदों में अपनी मागों को लेकर धरना-प्रदर्शन जारी है।

प्रदर्शन के दौरान यूनियन की अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा कि वह विपरीत परिस्थितियों में हाई रिस्क जोन में कार्य कर रही हैं, लेकिन सरकार का रवैया उनके प्रति उपेक्षित बना हुआ है। एकमुश्त मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। जिसके विरोध में शनिवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में एकत्र होकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।

कर्नाटक
बैंगलोर। मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) की 10 जुलाई से हड़ताल पर चली गईं थी। कर्नाटक के ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर से जुड़े आशा कार्यकर्ताओं ने काफी समय से अपने इस विरोध को जारी कर रखा है। उन्होंने 12000 प्रति माह वेतन के साथ कार्यकर्ताओं ने पीपीई किट की भी मांग की थी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 42 हजार आशा कार्यकर्ता हैं। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कार्यकर्ताओं ने वारियर्स की तरह काम किया है और लगातार कर रही हैं। इस दौरान की आशा कार्यकर्ताओं पर हमले की खबरें भी सामने आई।