SC: कोरोना पीड़ितों की आर्थिक सहायता पर 6 सप्ताह में गाइडलाइंस जारी हो

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को COVID-19 महामारी के मद्देनजर वित्त आयोग के 15 वीं रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपायों के संबंध में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस अशोक भूषण और एमआर शाह की पीठ कोविड के कारण मरने वालों के आश्रितों के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मांग और कोविड से संबंधित कठिनाइयों से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
वित्त आयोग की 15 वीं रिपोर्ट के 8 वें अध्याय के अनुसार वर्ष 2021-2022 से लेकर 2025-2026 तक के लिए अनुमानित रिपोर्ट में पारंपारिक गतिविधियों और राहत कार्यों से जुड़े आपदा जोख़िम प्रबंधन के दायरे को बढ़ाते हुए आपदा से निपटने के लिए तैयारी, शमन और पुनर्निर्माण जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मरे लोगों के परिजनों के लिए 4 लाख़ रुपए सहायता राशि प्रदान करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करने या निर्देश देने से इंकार करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के पीडितों के लिए एक्स ग्रेशिया सहायता राशि पर निर्णय वित्त आयोग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की जिम्मेदारी है।
शीर्ष अदालत ने एनडीएमए को 6 सप्ताह में एक्स ग्रेशिया राशि को लेकर गाइडलाइंस तैयार करने का आदेश दिया है। एक्स ग्रेशिया राशि को लेकर अभी तक एनडीएमए ने कोई अनुशंसा नहीं की है जो एनडीएमए की विफलता को दर्शाता है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर हलफनामे में यह कहा कि उसके पास पैसे नहीं है और इस वजह से अन्य स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा योजनाओं की फंडिंग प्रभावित हो सकती है।
वहीं एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये भी कहा कि कोविड की वजह से हुई मृत्यु के मामलों में मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र पर “कोविड की वज़ह से मौत” स्पष्ट लिखना होगा।
अगर कोविड पॉजिटिव होने के बाद घर पर या अस्पताल पर कहीं भी मृत्यु होती है तो मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु की वजह कोविड लिखनी होगी।
हालांकि इन सभी याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का बचाव करते हुए सारी जिम्मेदारी दूसरी संस्थाओं की घोषित कर दी।