रुद्रपुर: जन सम्मेलन में समाज ऑटोमोटिव/पीडीपीएल से निकाले गए मज़दूरों के न्याय की मांग बुलंद

जन सम्मेलन के माध्यम से समाज ऑटोमोटिव कारखाने के स्थायी मजदूरों की कार्यबहाली, श्रम कानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाने, ठेका प्रथा पर रोक लगाने आदि मांगे उठाई गई।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। समाज ऑटोमोटिव कंपनी प्रबंधक द्वारा निकाले गए मजदूरों ने आज अंबेडकर पार्क में जन सम्मेलन आयोजित किया और न्याय की मांग की। इस दौरान समाज ऑटोमोटिव कारखाने के स्थायी मजदूरों की कार्यबहाली, श्रम कानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाने, ठेका प्रथा पर रोक लगाने आदि मांगे उठाई गई।
दरअसल यूनियन बनाने के बाद परफेक्ट डायनामिक्स प्राइवेट लिमिटेड (पीडीपीएल) मालिकों ने कंपनी का मालिकाना व नाम बदलकर समाज औटोमोटिव, प्राइवेट लिमिटेड कर दिया। मजदूर जब 21 अप्रैल को अपनी ड्यूटी पर कंपनी पहुंचे तो गेट पर उनकी नो एंट्री लग गई थी।
विगत 100 दिनों से पीडीपीएल के स्थायी मजदूर कार्यबहाली की मांग को लेकर लगातार संघर्षरत हैं। उसी क्रम में आज 30 जुलाई को जन सम्मेलन आयोजित हुई।
इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के उत्तराखण्ड राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि, सिडकुल श्रम कानूनों के कब्रगाह बने हुए हैं। मजदूरों का सर्वाधिक शोषण यहां हो रहा है। असल में पूंजी निवेश की आड़ में राज्य के संसाधन और मजदूरों के श्रम दोनों का शोषण होता है।
श्रम विभाग द्वारा पीडीपीएल के मजदूरों की कानून सम्मत मांगों की अनदेखी से स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार मजदूरों के हक में बने कानूनों का पालन करने के बजाय पूंजीपतियों के हितों के संरक्षण के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। पूंजीपतियों की चाकरी और उनके स्वार्थों की पूर्ति के लिए हर हद पार कर जाने को तैयार हुकूमत को मजदूरों की संगठित ताकत और जनता की व्यापक एकता के जरिये ही मुकाबला किया जा सकता है।
मजदूरों, किसानों, छात्र, नौजवानों को हिंसा घृणा के माहौल के खिलाफ बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए एकजुट हो कर साझा संघर्षों में उतरना होगा, तभी इस देश और देश वासियों के भविष्य को बचाया जा सकता है।
इंकलाबी मजदूर केंद्र के पूर्व अध्यक्ष कैलाश भट्ट ने कहा कि पूँजीपतियो और सरकार के गठजोड़ ने मजदूरों को उनके हक से वंचित कर दिया है। मजदूरों और उनकी यूनियनों को भी एकता बनाकर मजदूर आंदोलन को मजबूत बनाना होगा।
ऐक्टू राज्य कमेटी सदस्य कैलाश पांडे ने कहा कि पिछले 100 दिनों से समाज ऑटोमोटिव के स्थायी मजदूर कार्यबहाली की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन गैर कानूनी तरीके से कारखाना संचालन व श्रम कानूनों के उल्लंघन् के बावजूद प्रशासन द्वारा कार्यवाही नही करने से स्पष्ट है कि समाज ऑटोमाटिव कारखाने को सरकार का सीधा संरक्षण है। जबकि 12 ठेका मजदूरों के हाथ समाज ऑटोमोटिव का प्रबंधन कटा चूका है।
तराई किसान संगठन के तेजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि मजदूरों के साथ साथ किसान भी भाजपा सरकार के राज में पूँजीपतियो के शोषण का शिकार हैं। किसानो को गुलाम बनाने के लिए मोदी सरकार 3 कृषि कानून लाई थी और अब मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम कोड लागू करने वाली है। इन श्रम कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन करेगा।
इस दौरान मजदूर सहयोग केंद्र गोविंद सिंह बिष्ट, ललित मटियाली, अमनदीप कौर, कांग्रेस नेता हरीश पनेरु, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की रीता कश्यप, ममता पानू, करोलिया इम्पालाइज यूनियन के हरेंद्र सिंह, इंट्रारक मज़दूर संगठन के सौरव कुमार, एडिएंट कर्मकार यूनियन के मिथेलेश जोशी, बड़वे यूनियन के साहेब सिंह, मंत्री मेटलिक्स यूनियन, नील ऑटो यूनियन के संदीप मिश्रा, सन्सेरा मजदूर यूनियन के जोगेंद्र लाल, रैकेट इंडिया के सुरेंद्र सिंह, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के बालम सिंह रावत, किसान नेता आनंद सिंह नेगी, जागीर सिंह आदि ने संबोधित किया।
जन सम्मेलन का संचालन श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने किया।