रुद्रपुर: ठेकेदारी में शोषण, हादसे, बर्खास्तगी, माँगपत्रों को उलझाने के खिलाफ श्रम भवन में प्रदर्शन

गैरक़ानूनी ठेका प्रथा और मज़दूरों के शोषण के खिलाफ आवाज़ बुलंद हुई। कहा, श्रम अधिकारी द्वारा मज़दूरों को न्याय देने की जगह विवादों को लेबर कोर्ट भेजने की मनमानी परंपरा बंद हो!
रुद्रपुर (उत्तराखण्ड)। सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू), उत्तराखंड की ओर से सिड़कुल औद्योगिक क्षेत्र में ठेकेदारी में शोषण सहित विभिन्न मांगों को लेकर 25 फरवरी को श्रम भवन, रुद्रपुर में विरोध प्रदर्शन किया गया।
मज़दूरों ने आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि श्रम अधिकारियों द्वारा शोषण पर रोक लगाने, मज़दूरों को न्याय देने की पुरानी परंपरा की जगह प्रबंधन की इच्छा अनुरूप सभी मामले श्रम न्यायालय संदर्भित करने की मनमानी परंपरा बंद हो!
इस दौरान उप श्रमायुक्त महोदय की अनुपस्थिति में श्रम प्रवर्तन अधिकारी को 4 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया गया। उन्होंने मुद्दों के समाधान और डीएलसी से वार्ता का आश्वासन दिया।

चार सूत्रीय मांगों का ज्ञापन
दिए गए ज्ञापन में गैरकानूनी ठेका प्रथा पर रोक लगाने; ठेकेदारी में शोषण, वेतन, पीएफ, ईएसआई, बोनस में धोखाधड़ी बंद करने; समान काम पर समान वेतन व स्थाई काम पर स्थाई नौकरी का क़ानूनी प्रावधान लागू करने; फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन व दुर्घटनाओं पर रोक, पीड़ित मज़दूरों को उचित मुआवजा व स्थाई नौकरी देने; हक़ की आवाज उठाने पर मनमाने निलंबन-बर्खास्तगी पर रोक और प्रतिशोधवश बर्खास्त मज़दूरों की बहाली; सभी लंबित माँगपत्रों का सर्वसहमती से निस्तारण; सम्पन्न समझौतों के उल्लंघन पर रोक आदि की माँग की गई।


सीएसटीयू ने उपरोक्त समस्याओं के समाधान की माँग की। साथ ही उपरोक्त प्रकरण के संबंध में श्रम अधिकारी के साथ वार्ता करने और संबंधित आवश्यक तथ्य प्रस्तुत करने की बात की। कहा कि यदि समाधान नहीं निकला और जारी शोषण बंद नहीं हुआ तो मज़दूर आंदोलन तेज होगा।

ठेकेदारी में शोषण बेलगाम
इस दौरान सभा में वक्ताओं ने कहा कि लगभग सभी कंपनियों में अविधिक रूप से अस्थाई/ठेका मज़दूरों से काम कराना आमबात हो गई है। साथ ही ठेका मज़दूरों के साथ गैरक़ानूनी शोषण भयावह रूप ले चुका है।
मज़दूरों से 12-14 घंटे हाड़तोड़ काम कराना, सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन, क़ानूनन बोनस न देना परंपरा बन गई है। ठेकेदार मज़दूरों की दिहाड़ी और पीएफ व ईएसआई का पैसा भी मार जाते हैं। ज्यादातर मामले श्रम विभाग तक नहीं पहुंचते हैं, और जो कुछ मामले श्रम अधिकारी तक पहुंचते हैं, उनमें भी वे न्याय देने की जगह टरकाने का काम करते हैं।

फैक्ट्रियों में हादसे मज़दूरों को बना रही हैं विकलांग
वक्ताओं ने असुरक्षित कार्य परिस्थितियों और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से फैक्ट्रियों में लगातार बढ़ते हादसों का सवाल उठाते हुए कहा यह कि मज़दूर विकलांग हो रहे हैं, अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं। लेकिन पीड़ित मज़दूर को मुआवज़ा नहीं मिलता, घायल मज़दूरों का समुचित इलाज नहीं होता।
कंपनियाँ/ठेकेदार निजी अस्पताल में मामूली इलाज कराकर पीड़ित को उसके हाल पर, अथवा ईएसआई में भटकने को छोड़ देते हैं। विकलांग होने के साथ उनकी नौकरी भी खत्म हो जाती है। ऐसे मामलों में भी श्रम विभाग मज़दूरों को न्याय देने की जगह उन्हें भ्रमित करता है और सुनवाई तक नहीं करता।

निलंबन-बर्खास्तगी कंपनियों की परंपरा बन चुकी
वक्ताओं ने करोलिया लाइटिंग, इंटरार्क, डॉल्फिन, एलजीबी, वोल्टास, सीआईई, महिंद्रा, असाल, पारले, पीडीपीएल, एएलपी, जायडस, नील मेटल, बजाज मोटर्स, गुजरात अंबुजा आदि कंपनियों के उदाहरण से बताया कि यूनियन बनाने, माँगपत्र देने के साथ मज़दूरों का दमन, निलंबन-बर्खास्तगी कंपनियों की परंपरा बन चुकी है।
श्रमिक नेताओं ने बताया कि पहले ज्यादातर विवाद श्रम अधिकारियों की मेज पर निस्तारित होते रहे हैं। लेकिन आज हालात ये हैं कि निस्तारण की जगह वार्ताओं की कुछ खानापूर्ति करके श्रम न्यायालय संदर्भित कर दिया जाता है। कई बार प्रबंधन समझौतों का खुला उल्लंघन करता है। लेकिन श्रम अधिकारी इसमें भी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। जिससे मज़दूरों में आक्रोश बढ़ रहा है।

वे हमें बाँट रहे हैं, हमें एकजुट होना है
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पूँजीपतियों के हित में खड़ी केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकारें और आरएसएस पूरे समाज में नफरत का ज़हर फैला रही हैं और आम मेहनतकश जन को खतरनाक सम्प्रदाईकता में बाँट कर लुटेरे पूँजीपतियों को लाभ पहुँच रही हैं। दूसरी तरफ़ प्लांट स्तर पर स्थाई, ठेका, ट्रेनी आदि के नाम पर विभाजन पैदा कर दी हैं। सरकार और मालिकों की इन साजिशों को पहचानना होगा और मज़दूरों को अपनी संग्रामी एकता बनानी होगी। तभी मज़दूरों की खुशहाली आएगी।

दर्जनों यूनियनों ने की भागीदारी
सभा को सीएसटीयू के केन्द्रीय महासचिव मुकुल, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के महासचिव चंद्र मोहन लखेड़ा, आईएमके के शहर सचिव दिनेश चन्द्र, करोलिया लाइटिंग इम्पलाइज यूनियन के हरेन्द्र सिंह, नेस्ले कर्मचारी संगठन के महेन्द्र सिंह, नील मेटल कामगार संगठन के पवन कुमार सिंह, इन्टरार्क मजदूर संगठन पंतनगर के वीरेन्द्र कुमार, एल जी बी वर्कर्स यूनियन के गोविंद सिंह, एडविक कर्मचारी संगठन के निर्जेश यादव, टाटा ऑटो कॉम मजदूर संघ के चंदन सिंह रौतेला, भगवती इम्पलाइज यूनियन के ठाकुर सिंह, रॉकेट रिद्धि सिद्धा कर्मचारी संघ के सुरेन्द्र, आनंद निशिकवा इम्पलाइज यूनियन के कुलवंत सिंह, गुजरात अंबुजा श्रमिक संगठन सितारगंज के रामजीत सिंह, सीआईई इन्डिया श्रमिक संगठन के डूंगर सिंह, एडीएंट कर्मकार संगठन के चंदन नाथ, टाटा असाल कर्मकार यूनियन राज पासवान, वेलराइस वर्कर्स यूनियन के साहब सिंह, सीएसटीयू उत्तराखंड के अध्यक्ष शंभू शर्मा आदि ने संबोधित किया।

सीएसटीयू उत्तराखंड के महासचिव धीरज जोशी ने कार्यं का संचालन किया। इस दौरान सिड़कुल की तमाम कंपनियों के मज़दूर मौजूद रहे। CSTU टीम द्वारा क्रांतिकारी गीत भी प्रस्तुत हुए। जोरदार नारों से मज़दूरों ने अपने जज्बे को पेश किया।