163 दिनों के संघर्ष से छात्रों-कामगारों को मिली बड़ी सफलता
नई दिल्ली। पांच महीने के संघर्ष के बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के कामगारों-छात्रों के संयुक्त संघर्ष को बड़ी जीत हासिल हुई है। रोजगार से वंचित किये गए समस्त 55 सफाई कर्मियों को प्रशासन ने वापस ले लिया है। यह समझौता कामगारों, यूनिवर्सिटी और दिल्ली सरकार के बीच हुआ है।
ज्ञात हो कि यूनिवर्सिटी ने पहले सफाई कार्य का ठेका एक निजी कंपनी को दे कर अपने 55 पुराने सफाई कर्मचारियों को निकाल बाहर किया था। जिसके ख़िलाफ़ मज़दूर 163 दिनों से संघर्षरत थे, जिनके साथ छात्रों ने कंधे-से कन्धा मिलाकर आन्दोलन को गति दी।

समझौते के बिंदु :
15 जून को विश्वविद्यालय प्रशासन, श्रमिकों और छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की दलीलें सुनने और उन पर विचार करने के बाद, दिल्ली के श्रम मंत्री द्वारा निम्नलिखित निर्देश दिए गए हैं:
1. हाउसकीपिंग सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय और नए ठेकेदार ‘राजेंद्र प्रबंधन समूह’ (आरएमजी) के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए परिणाम को तुरंत रद्द कर दिया जाए।
2. नई निविदा प्रक्रिया शुरू करने से पहले, प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के लिए आवश्यक पीडब्ल्यूडी मानदंडों के अनुसार कामगारों के श्रमशक्ति मूल्यांकन।
3. गलत तरीके से हटाए गए 55 सफाईकर्मचारियों को विश्वविद्यालय द्वारा बहाल किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय को सीधे श्रम शक्ति मूल्यांकन और अन्य प्रक्रिया पूरी होने तक सफाईकर्मचारियों को भुगतान करना होगा।
निर्देशों के आधार पर एक लिखित आदेश 2-3 दिनों में श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा।
मज़दूर-छात्र एकता की मिसाल
यहाँ सबसे गौर करने वाली सकारात्मक बात यह रही कि यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सफाई मज़दूरों के साथ निरंतर एकजुटता दिखाई और कामगारों-छात्रों ने मिलकर इस संघर्ष को चलाया। मज़दूर-छात्र एकता की यह शानदार मिसाल है।