आयुध कारखानों में हड़ताल पर प्रतिबंध का दमनकारी क़ानून पारित

“अवैध” हड़ताल पर जेल, जुर्माना व बर्खास्तगी भी होगी
इस विधेयक द्वारा मोदी सरकार ने मज़दूर वर्ग पर एक और हमला बोल दिया है। यह रक्षा क्षेत्र के औद्योगिक प्रतिष्ठान के श्रमिकों की हड़ताल को प्रतिबंधित करने और “अवैध” हड़ताल पर जेल, जुर्माना व बर्खास्तगी का अधिकार देता है।
मोदी सरकार ने रक्षा से जुड़े कारखानों में हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने की गरज से लोक सभा में आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया। पहले अध्यादेश अब विधेयक के रूप में यह ऐसे समय में पारित हुआ है, जब ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ करीब 80000 कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।
इस विधेयक द्वारा मोदी सरकार ने मज़दूर वर्ग पर एक और हमला बोल दिया है। यह कर्मचारियों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ विरोध करने से वंचित करेगा। इसमें कानून के प्रावधान औपनिवेशिक कानूनों की तरह है जो गुलामी की नियम शर्तें निर्धारित करते हैं। यह दमनकारी कानून एस्मा 1968 के तर्ज़ पर लाया गया है।
उल्लेखनीय है कि संसद के चालू मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे और विरोध के बीच लोकसभा ने मंगलवार को दो विधेयक, न्यायाधिकरण सुधार विधेयक 2021 और आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 पारित कर दिए। इसके बाद दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया है।
रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं और संचालन, या सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के रखरखाव में शामिल कर्मचारी, साथ ही रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव में संलग्न कर्मचारी, इसके दायरे में शामिल हैं। देश भर में 41 आयुध कारखानों में लगभग 80,000 लोग काम करते हैं।
निजीकरण के खिलाफ हड़ताल का ऐलान, लाया था अध्यादेश
आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के विरोध में मान्यता प्राप्त रक्षा संघों द्वारा बुलाए गए अनिश्चितकालीन हड़ताल के मद्देनजर 30 जून को भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘द एसेंशियल डिफेंस सर्विसेज ऑर्डिनेंस, 2021’ (आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021) शीर्षक वाली एक गजट अधिसूचना जारी की गई थी।
23 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे एक पत्र में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के अंतर्गत आने वाली 41 फैक्ट्रियों से सम्बंधित ट्रेड यूनियन फेडरेशन ने यह चेतावनी दी थी कि वे ओएफबी को भंग करने के सरकार के फैसले के विरोध में कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। 8 जुलाई को हड़ताल का नोटिस भी दिया जाने वाला था।
इसलिए आनन-फानन में आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 पारित किया गया। और अब उसे पूर्ण कानूनी रूप देने के लिए विधेयक के रूप में पूरी दादागिरी से पारित कर दिया गए। इसका उद्देश्य सरकारी आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकना है।
हड़ताल करने पर जेल, दंड और बर्खास्तगी का प्रावधान
यह देश में श्रमिक संगठनों के हड़ताल और विरोध को दबाने के लिए कठोर क़ानून है। यह नरेंद्र मोदी सरकार को रक्षा उपकरण उत्पाद, सेवाओं के उत्पादन और सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा की मरम्मत और रखरखाव में कार्यरत कर्मचारियों की हड़ताल को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी करने का अधिकार देता है।
इस कानून के प्रावधानों के अनुसार “कोई भी व्यक्ति, जो “अवैध” हड़ताल शुरू करता है या ऐसी किसी भी हड़ताल में भाग लेता है, तो उसे एक वर्ष के कारावास से दंडित किया जा सकता है या दस हजार रुपये जुर्माना या फिर दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है। यही नहीं अवैध घोषित हड़ताल में भाग लेने वाले, या इस तरह के कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले, और उकसाने वालों को भी दंडित किया जाएगा।
“आवश्यक रक्षा सेवाओं के उत्पादन प्रक्रिया, सुरक्षा या रखरखाव” को सुनिश्चित रूप से चलाने के नाम पर यह अध्यादेश, पुलिस बल के इस्तेमाल की अनुमति देने के साथ-साथ प्रबंधन को बिना किसी घरेलू जांच के हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों को सीधे बर्खास्त करने का अधिकार भी देता है।
यह ज्यादा दमनकारी क़ानून है
जिस तरह एस्मा कानून के इस्तेमाल से स्वास्थ्य, बिजली, रेलवे, डाक आदि सार्वजनिक उपक्रमों में हड़ताल करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया और पब्लिक यूटिलिटी सर्विस के नाम पर स्पेशल इकोनामिक जोन में हड़ताल या रैली, धरना, प्रदर्शन को रोकने का षड्यंत्र रचा गया है, आयुध फैक्ट्री के लिए लागू यह नया क़ानून उससे ज्यादा दमनकारी है।
नया आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 हाल के दिनों में देखे गए सबसे दमनकारी कानूनों में से एक है। यह केंद्र सरकार को “आवश्यक रक्षा सेवाओं” के रूप में परिभाषित कारखानों में हड़ताल पर रोक लगाने की ताकत देता है। हालाँकि इस कानून में “आवश्यक रक्षा सेवाओं” की परिभाषा लगभग किसी भी प्रतिष्ठान या उपक्रम को इस परिभाषा में लाने के लिए पर्याप्त है क्योंकि इसमें ऐसा कोई भी प्रतिष्ठान या उपक्रम शामिल है जो “रक्षा से जुड़े किसी भी उद्देश्य के लिए आवश्यक वस्तुओं या उपकरणों के उत्पादन से संबंधित है”।
जाहीर है कि यह केवल रक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य लोगों तक भी सीमित है। इसमें ऐसी कोई अन्य सेवा भी शामिल हो सकती है जिसे केंद्र सरकार एक आवश्यक रक्षा सेवा घोषित कर दे। इसलिए, यह एक बहुत ही खतरनाक क़ानून है।
शताब्दी पुराना है देश का आयुध कारखाना
भारतीय आयुध कारखाने सबसे पुराना और सबसे बड़ा औद्योगिक सेटअप है जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के तहत कार्य करता है। आयुध कारखाने रक्षा हार्डवेयर और उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के लिए एक एकीकृत आधार बनाते हैं, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक युद्धक्षेत्र उपकरणों से लैस करना है।