“जनविरोधी यूसीसी क़ानून रद्द करो!” नैनीताल में जोरदार प्रदर्शन; राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

यूसीसी कानून पूर्णतः जनविरोधी, महिला विरोधी व संविधान विरोधी है। इसे मूलतः अल्पसंख्यकों को परेशान करने की दृष्टि से लाया गया है, मगर इससे आम जनता की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
नैनीताल। उत्तराखंड की धामी नीत भाजपा सरकार द्वारा मनमाने तरीके से लागू किए गए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ विभिन्न जन संगठनों ने शुक्रवार, 25 अप्रैल को नैनीताल में जोरदार प्रदर्शन किया। तल्ली ताल रिक्शा स्टैंड स्थित अंबेडकर पार्क में कुमाऊं क्षेत्र के विभिन्न हिस्से से आए हुए जन संघटनों के कार्यकर्ताओं ने धरना एक दिवसीय धरना दिया।
उसके पश्चात धरना स्थल से कुमाऊं कमिश्नरी तक जोरदार रैली निकाली गई। इस दौरान पूरा इलाका यूसीसी कानून रद्द करो, यह मनमानी नहीं चलेगी, समान शिक्षा, समान इलाज, समान काम पर समान वेतन आदि नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।

आयुक्त कार्यालय में आयुक्त कुमाऊँ मण्डल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया और जन विरोधी, काले कानून यूसीसी को रद्द करने की मांग बुलंद हुई।
इस दौरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना, जिसमें 28 लोग मारे गये, के लिए दो मिनट मौन रखा गया, घटना की कड़ी भर्त्सना की गई और पर्यटकों की सुरक्षा में हुई इस भयंकर चूक के लिये मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया।

जन विरोधी है यूसीसी क़ानून
इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विगत 27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता क़ानून लागू हो गया है। इसके अन्तर्गत उत्तराखंड में विगत एक वर्ष से रह रहे लोगों के लिये विवाह, तलाक और लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य है। 18 वर्ष से 100 वर्ष तक के लोगों के लिये 44 कॉलम वाले 16 पेज का फॉर्म भरना अनिवार्य होगा।
ये कानून महिलाओं के अधिकारों पर हमला है। बल्कि इसके द्वारा महिलाओं के ऊपर पितृसत्ता के साथ राज्य की निगरानी को भी थोप गया है। ये कानून महिलाओं के जीवन साथी चुनने व जीवन सम्बंधी निर्णय लेने के अधिकार को सीमित कर देता है। इसके द्वारा मुस्लिम महिलाओं को विरासतन सम्पत्ति में हिस्सा पाने के अधिकार को भी छीन लिया गया है।

वक्ताओं ने कहा कि यूसीसी में पंजीकरण अधिकारी व पुलिस को पूछताछ, निगरानी व निजी जानकारी एकत्र करने के अधिकार देने से समाज में भ्रष्टाचार व उत्पीड़न और अधिक बढ़ जाएगा। इसमें शिकायत करने व जुर्माना व सजा के प्रावधानों द्वारा जनता के स्वतंत्रता, समानता व निजता के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
यूसीसी के तहत पंजीकरण नहीं कराने वाले लोगों को जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करने जैसे प्रावधान भी रखे गये है। पंजीकरण न कराने वालों को जन कल्याणकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जायेगा। सरकारी कर्मचारियों को पंजीकरण न कराने पर वेतन रोकने की धमकी दी जा रही है। विगत मार्च में सरकारी कर्मचारियों द्वारा पंजीकरण नहीं कराने पर उनके वेतन राकने जैसे तुगलकी फरमान जारी किए गये हैं।
वक्ताओं ने कहा कि जनता में इस कानून को लेकर बहुत अधिक नाराज़गी है और उत्तराखंड भर में इसका विरोध हो रहा है। इस जन विरोधी काले क़ानून को भाजपा सरकार तत्काल रद्द करे।

धरने में नैनीताल पीपुल्स फोरम, उत्तराखंड वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, समाजवादी लोक मंच, सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियन्स (CSTU), इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रन्तिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, महिला किसान अधिकार मंच, उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल, भाकपा-माले, उत्तराखंड वन भूमि जन मंच, उत्तराखंड सद्भावना मंच और ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस आदि राजनैतिक दल और जन संगठन के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

भागीदार संगठनों की ओर से रोहित रुहेला, माया चिलवाल, पीसी तिवारी, प्रभात ध्यानी, राजीव लोचन साह, कौशल्या, मुकुल, इंद्रैश मैखुरी, कैलाश पांडे, शिवदेव सिंह, पुष्पा, हीरा जंगपांगी, चंदन, हर्ष काफर, हेमा भवाली, दिनेश उपाध्याय, गिरीश आर्य आदि ने सभा को संबोधित किया।
साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष दुर्गा मेहता, ट्रेन यूनियन नेता यूकेडी की लीला बोरा, एक्टू से के के बोरा, उछास से भावना पांडे, संस्कृतिकर्मी ज़हूर आलम, कांग्रेस नेता मुन्नी तिवारी, त्रिभुवन फर्त्याल, भावना, हल्द्वानी से दीप पांडे, पारिजात, लक्ष्मी, गोपाल लोढ़ियाल, मनमोहन सिंह आदि ने भी सभा को संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन मुनीष कुमार ने किया।