8 मई को उठी आवाज – इलाज़ करो या गद्दी छोडो, हर मरीज़ है सरकार की ज़िम्मेदारी

Janhastkshep

उत्तराखंड में लोगों ने घर से सोशल मीडिया तक उठाई आवाज़

कोरोना के बीच ध्वस्त स्वास्थ्य सुविधाओं के विरोध में 8 मई को उत्तराखंड में ‘इलाज़ करो या गद्दी छोडो, हर मरीज़ है सरकार की जिम्मेदारी!’ नारों के साथ लोगों ने अपने घरों में पोस्टर के साथ धरना दिया। राज्य में आयोजित इस विरोध कार्यक्रम के तहत लोगों ने सोशल मीडिया पर #सरकारकीज़िम्मेदारी से धरने की फोटो भी शेयर किये।

जन हस्तक्षेप की ओर से 8 मई 11 बजे से 12 बजे तक हुए धरना में सात विपक्षी दल, राज्य के विभिन्न जन संगठन और औद्योगिक क्षेत्र के व दिहाड़ी मज़दूरों से बुद्दिजीवियों तक हर वर्ग के लोग शामिल हुए।

राज्य के हर जिला से लोगों ने भागीदारी की।  लोग अपनी फेसबुक पेज और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर #सरकारकीज़िम्मेदारी से धरने की फोटो भी शेयर किये।

प्रमुख माँगें :

  • सरकार हर जनपद एक ही नंबर चलाये जिससे अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, टेस्ट और एम्बुलेंस की सही जानकारी मिले। अभी मरीज़ों को 10 – 40 नंबर तक फ़ोन करना पड़ रहा है और उनमें से अधिकांश नंबर काम नहीं करते हैं।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में ICU, स्वास्थ्य व्यवस्था, PPE किट को तुरंत उपलब्ध कराया जाये ।- प्राइवेट हॉस्पिटलों के रेट पर कैप हो औरमें जैसे आंध्र प्रदेश सरकार ने किये हैं, मरीज़ों के खर्चों को सरकार को उठाना। चाहिए।
  • सरकार मुफ्त में तुरंत वैक्सीन के लिए व्यवस्था करे और डोर टू डोर व्यवस्था द्वारा उसको सारे लोगों को लगा दे।
  • हॉस्पिटल और ऑक्सीजन का प्रभंदन पूरी तरह से  पारदर्शकता के साथ किया जाना चाहिए ताकि लोगों के बीच में अफवाएं न फैलाये।

आन्दोलनकारियों ने कहा कि सरकार पूरे एक साल सोई रही और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये सरकार ने कोई काम नहीं किया, कोई पहल नहीं की। अस्पतालों में ऑक्सिजन नहीं है, दवाईयाँ नहीं हैं, बेड्स नहीं हैं, ICUs नहीं हैं, CCUs नहीं हैं। इसलिए प्रदेश भर में लोगों को आवाज़ उठाना पड़ रहा है।

https://mehnatkash.in/2021/05/07/cure-government-responsibility-join-the-may-8-protest-with-the-hashtag/

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