29 मार्च को हल्द्वानी में जन सम्मेलन: जी-20 बैठक व सरकारी दावों की हकीकत क्या है?

जन सम्मेलन का पहला सत्र मजदूरों-किसानों व कर्मचारियों पर; दूसरा महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, नागरिक अधिकारों, पर्यावरण पर और तीसरा छात्रों-नौजवानों के नाम रहेगा।
हल्द्वानी (नैनीताल)। 28 से 30 मार्च तक जी-20 की ढिकुली ( रामनगर, नैनीताल ) में होने वाली बैठक और जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम पर मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे विकास के खोखले दावों की हकीकत उजागर करने के मकसद से विभिन्न संगठनों द्वारा एक जन सम्मेलन हल्द्वानी (उत्तराखंड) में आयोजित हो जा रहा है।
इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा आयोजित जन सम्मेलन में तीन सत्र होंगे। पहला सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक चलेगा और मजदूरों-किसानों तथा कर्मचारियों पर केंद्रित रहेगा। दूसरा सत्र दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक चलेगा और महिलाओं, दलितों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, आदिवासियों एवं नागरिक अधिकारों व पर्यावरण की सुरक्षा को समर्पित रहेगा और तीसरा सत्र छात्रों-नौजवानों के नाम रहेगा।
जन सम्मेलन में शामिल होने की अपील के साथ जारी पत्र-
इस बार जी-20 का शिखर सम्मेलन सितम्बर, 2023 में हमारे देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित हो रहा है। इस दौरान इस शिखर सम्मेलन की तैयारी हेतु जी-20 की दर्जनों बैठकें देश के अलग-अलग राज्यों में होनी हैं। इन्हीं में से एक बैठक उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में ढिकुली (रामनगर, नैनीताल) में आगामी 28, 29 और 30 मार्च को होने जा रही है।
जी -20 में विभिन्न साम्राज्यवादी और बड़े पूंजीवादी देश शामिल हैं। इराक, अफगानिस्तान, सीरिया जैसे तमाम मुल्कों की बर्बादी का जिम्मेदार और लाखों निर्दोष नागरिकों, महिलाओंं-बच्चों का हत्यारा अमेरिकी साम्राज्यवाद भी जी-20 में शामिल है और इसका स्वयं भू नेता है तो भारत को करीब 200 साल तक गुलाम बनाकर रखने वाले ब्रिटिश साम्राज्यवादी भी इसमें शामिल हैं। इसी तरह रूस, चीन, जापान जैसे साम्राज्यवादी और दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, तुर्की, भारत, इंडोनेशिया, साऊदी अरब जैसे पूंजीवादी मुल्क भी जी-20 का हिस्सा हैं। आज साम्राज्यवादी देशों की अगुवाई में जी-20 के सभी देशों की सरकारें उदारीकरण-निजीकरण की खुले पूंजीवाद की नीतियों को बढ़-चढ़ कर लागू कर रही हैं। सभी जगह मजदूरों-कर्मचारियों के श्रम अधिकार छीने जा रहे हैं और वेतन-भत्ते, पेंशन और सुविधाओं में कटौती की जा रही है।
हिन्दू फासीवादी मोदी सरकार तो कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के हितों में मजदूरों-कर्मचारियों, किसानों, छोटे व्यवसायियों तथा छात्रों-नौजवानों सभी पर हमलावर है। यह सरकार अडानी-अम्बानी-टाटा सरीखे कार्पोरेट पूंजीपतियो पर देश की सारी सम्पदा लुटा रही है। मोदी सरकार द्वारा मजदूरों पर आजाद भारत का सबसे बड़ा हमला करते हुये घोर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स पारित कर दिये गये हैं।
इस बार जी-20 के शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है और मोदी सरकार इसे अपनी विशेष उपलब्धि बताते हुये विकास के झूठे दावे कर रही है जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है।
सच्चाई यह है कि देश में कर्ज जाल में फंसकर किसान तो भविष्य की ना उम्मीदी में नौजवान बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं। देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। महिलाओं के लिये तो भारतीय समाज बेहद असुरक्षित हो चुका है। महंगाई और बेरोजगारी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। हर मोर्चे पर असफल मोदी सरकार एक ओर अंध राष्ट्र्वादी उन्माद में लोगों को उलझा रही है तो वहीं दूसरी तरफ धर्म की अफीम सुंघाकर लोगों को खाली पेट बजाने को कह रही है। जबकि सरकार का विरोध करने वालों को देशद्रोही करार दिया जा रहा है और फर्जी मुकदमें लगाकर जेलों में ठूंसा जा रहा है।


अपील–
ढिकुली ( रामनगर, नैनीताल ) में 28, 29 और 30 मार्च को होने जा रही जी-20 की बैठक में विज्ञान, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर चर्चा होनी है। गौरतलब है कि जी-20 के इन साम्राज्यवादी और बड़े पूंजीवादी देशों में कोरोना काल में कई करोड़ लोग बेमौत मारे गये हैं, क्योंकि इन देशों की सरकारों ने पिछले चार दशकों में उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों के तहत चिकित्सा-स्वास्थ्य को बाजार के हवाले करते हुये इसकी सरकारी- सार्वजानिक व्यवस्था को एकदम जर्जर बना दिया है। इनके अंधे पूंजीवादी विकास के कारण आज दुनिया के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उत्तराखंड में जोशीमठ का धंसना अंधे पूंजीवादी विकास का ही परिणाम है। ऐसे में विज्ञान को अपने मुनाफे को बढ़ाने का औजार मात्र समझने वाले इन देशों के प्रतिनिधि इस बैठक में क्या चर्चा करेंगे इस पर हमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिये।
इस बैठक को आयोजित कराने के लिये पंतनगर से लेकर रुद्रपुर और रामनगर तक सड़क किनारे ठेला, फड-खोखा लगाकर गुजर करने वाले सैंकडों लोगों को प्रशासन ने उजाड़ दिया है, ताकि विदेशियों को देश की असलियत न मालूम पड़े! असल में भारत की मोदी सरकार समेत जी-20 में शामिल सभी देशों की सरकारों के ये नुमाइंदे अपने-अपने देशों की मजदूर-मेहनतकश गरीब जनता का नहीं बल्कि कार्पोरेट पूंजीपतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऐसे में जी-20 की ढिकुली (रामनगर,नैनीताल) में होने जा रही इस बैठक और जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम पर मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे विकास के खोखले दावों की हकीकत उजागर करने के मकसद से आगामी 29 मार्च को एक जन सम्मेलन हल्द्वानी (उत्तराखंड) में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आप सादर आमंत्रित हैं।
तीन सत्र में होगा जन सम्मेलन
29 मार्च, 2023 को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बुद्ध पार्क, तिकोनिया, हल्द्वानी (नैनीताल) में आयोजित जन सम्मेलन में तीन सत्र होंगे। पहला सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक चलेगा और मजदूरों-किसानों तथा कर्मचारियों पर केंद्रित रहेगा। दूसरा सत्र दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक चलेगा और महिलाओं, दलितों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, आदिवासियों एवं नागरिक अधिकारों व पर्यावरण की सुरक्षा को समर्पित रहेगा और तीसरा सत्र छात्रों-नौजवानों के नाम रहेगा।
इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन।