मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देश भर में प्रदर्शन

कोरोना आपदा के बहाने श्रम क़ानूनों में डकैती, निजीकरण आदि के ख़िलाफ़ आवाज़ हुई बुलंद
सरकार की मजदूर विरोधी तथा तानाशाही पूर्ण फासिस्ट नीतियों के खिलाफ 3 जुलाई को देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए। विरोध का आह्वान केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वाराहुआ था। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने इसका समर्थन करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया और इसको मज़दूर वर्ग के निरंतर, जुझारू और निर्णायक संघर्ष की तरफ ले जाने का आह्वान किया।
ज्ञात हो कि ये प्रदर्शन तब हो रहे हैं जब कोयला क्षेत्र के मजदूर सरकारी नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर हैं, ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री के कर्मचारी आन्दोलन की तैयारी कर रहे हैं और करोड़ों की संख्या में बेरोज़गारी और भुखमरी की मार झेल रहे प्रवासी मजदूर रोजी-रोटी को लेकर परेशान हैं।
प्रदर्शन पूरे देश के लगभग सभी राज्यों में हुआ। छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों ने इसे भूमि अधिकार आंदोलन से जोड़ दिया।

नेताओं की गिरफ्तारियां
कोलकोता के रानी राशमोनि रोड से ट्रेड यूनियन के नेताओं को प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही पुलिस ने उठा लिया और लाल-बाज़ार थाना ले गई। आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में भी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा डीटेन किया गया। इलाहाबाद के सिविल लाइन्स पर ट्रेड यूनियनों ने पुलिस-बल की भारी तैनाती के बीच संयुक्त प्रदर्शन किया, जिसमें रेल कर्मचारियों ने भी भागीदारी की।
मासा और उसके घटक संगठनों का आह्वान
मासा के विभिन्न घटक संगठनों ने कहा कि कोरोना-संकट और लॉकडाउन ने साफ तौर पर दिखा दिया है कि कैसे देश के सत्ताधारी वर्ग को देश के मेहनतकश अवाम की परेशानियों से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने इस संकट को कैसे मेहनतकश जनता का और तेजी से शोषण-दमन किये जाने के ‘अवसर’ में बदल डाला है।
मासा ने कहा कि हमला जितना तेज है, उसमे कुछ एक विरोध प्रदर्शनों या सालाना हड़तालों से कुछ खास होने वाला नहीं है। आने वाले समय में इस संघर्ष को मज़दूर वर्ग के निरंतर, जुझारू और निर्णायक संघर्ष की तरफ ले जाना होगा।
देश व्यापी विरोध प्रदर्शन की कुछ झलकियाँ
दिल्ली
मासा के घटक संगठन इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, दिल्ली के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन-

मासा के घटक आईएफटीयू सर्वहारा द्वारा भारत विहार दिल्ली में प्रदर्शन-

केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का दिल्ली श्रम मंत्रालय पर प्रदर्शन
10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने राजधानी दिल्ली स्थित श्रम मंत्रालय के दफ्तर श्रम शक्ति भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने के बावजूद नियोक्ता अपने सभी कर्मचारियों को काम पर नहीं ले रहे हैं। जिन कर्मचारियों को वापस लिया भी गया है, उन्हें कम वेतन की पेशकश की गयी है और ‘लॉकडाउन’ के दौरान का पारितोषिक नहीं दिया गया है।

उत्तराखंड
रुद्रपुर। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के बैनर तले मज़दूर सहयोग केंद्र व इंकलाबी मज़दूर केंद्र द्वारा शहर के अंबेडकर पार्क में धरना प्रदर्शन हुआ, जिसमें सिडकुल की यूनियनें नेस्ले कर्मचारी संगठन, एलजीबी वर्कर्स यूनियन, एडविक कर्मचारी संगठन, इंटरार्क मज़दूर संगठन, रॉकेट सिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ, भगवती इंप्लाइज यूनियन, आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन आदि ने भागेदारी की।

काशीपुर में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र द्वारा प्रदर्शन-

राजस्थान
नीमराना। एसडीएम ऑफ़िस, नीमराना पर मज़दूर सहयोग केंद्र अलवर, मज़दूर संघर्ष समिति अलवर, डाइकिन एयरकंडिशनिंग मज़दूर यूनियन, निसिन ब्रेक मज़दूर यूनियन प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को एसडीएम नीमराना के माध्यम से ज्ञापन भेजा।

हरियाणा
गुड़गांव में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, मजदूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मारुति, बेल्सोनिका, मुंजाल शोआ, नेपिनो आदि जैसे प्लांट स्तर की यूनियनों सहित विभिन्न यूनियनों और श्रमिक संगठनों द्वारा संयुक्त विरोध कार्यक्रम हुआ।

गोहाना शहर में जन संघर्ष मंच, हरियाणा द्वारा प्रदर्शन हुआ और एसडीएम के माध्यम से भारत के प्रधान मंत्री को ज्ञापन दिया गया।

करनाल उप तहसील निगदू स्तर पर मासा के घटक संगठन जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन, निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

कुरुक्षेत्र में जन संघर्ष मंच हरियाणा ने अपने तमाम सहयोगी संगठनों मनरेगा मजदूर यूनियन, व निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन किया व ज्ञापन भेजा।

कैथल में मासा के घटक संगठन जन संघर्ष मंच हरियाणा प्रदर्शन के साथ प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सोंपा।

जींद में जन संघर्ष मंच हरियाणा और उसके सहयोगी संगठनों ने प्रदर्शन किया।

पश्चिम बंगाल
हावड़ा में एसडब्ल्यूसीसी द्वारा विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम-

कनोरिया जूट मिल, फुलेश्वर सूती मिल और विभिन्न श्रमिक वर्ग इलाकों के कारखाने के गेट पर SWCC, SSU और MASA की ओर से विरोध कार्यक्रम-

हावड़ा के बावरिया में एसडब्ल्यूसीसी द्वारा विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम-

कनोरिया जूट मिल

मुर्शिदाबाद में एसडब्ल्यूसीसी का विरोध प्रदर्शन-

एसडब्ल्यूसीसी द्वारा कोलकाता व बेहाला, कोलकाता में विरोध कार्यक्रम-

एसडब्ल्यूसीसी द्वारा कल्यानी में विरोध प्रदर्शन-

बर्धमान। आईएफटीयू (सर्वहारा) के बैनर तले हरिपुर, पश्चिम बर्धमान में प्रदर्शन-

उत्तर प्रदेश
मऊ में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र ,ग्रामीण मज़दूर यूनियन और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

बलिया क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) व इंक़लाबी मज़दूर केंद्र (इमके) द्वारा स्थानीय ग्रामीणों सहित विरोध प्रदर्शन किया।

बिहार
मासा के घटक संगठन ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार ने रोहतास जिले के कई प्रखंडों में रैली व सभा के माध्यम से विरोध कार्यक्रम का समर्थन किया।

पटना में आईएफटीयू (सर्वहारा) द्वारा लेबर चौक पर प्रदर्शन हुआ-

तेलंगाना/आंध्र प्रदेश
हैदराबाद में प्रदर्शन करते आईएफटीयू के कॉमरेड-

कोठागुडम में मासा के घटक आईएफटीयू द्वारा आईएफटीयू कार्यालय पर प्रदर्शन-

वारंगल में आईएफटीयू द्वारा प्रदर्शन-

Maha_bad तेलंगाना में आईएफटीयू का प्रदर्शन-

उड़ीसा
भुवनेश्वर में पारले लिंगराज बिस्कुट कंपनी के सामने टीयूसीआई के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन

भुवनेश्वर में टीयूसीआई व घरयी महिला श्रमिक यूनियन का प्रदर्शन

मासा द्वारा उठाई गई माँगें-
मासा ने देश के विभिन्न प्रदेशों में विरोध प्रदर्शन के साथ 8 सूत्रीय माँग प्रस्तुत किया-
- लॉकडाउन के पूरे समय के लिए सभी मज़दूरों को पूरा वेतन दिया जाए. लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हुए लोगों को 10 हज़ार रुपये प्रति परिवार सरकारी सहायता दी जाए तथा उनके लिए रोजगार का प्रबंध किया जाए।
- श्रम कानूनों में किये गए सभी मज़दूर विरोधी संशोधनों को तत्काल रद्द किया जाए। विभिन्न सरकारों द्वारा 12 घंटे के कार्यदिवस किये जाने का मजदूर विरोधी फैसला तुरंत रद्द किया जाए। DA और DR रद्द करने और PF में कटौती करने का फरमान तुरंत वापस लिया जाए।
- सबका फ्री कोरोना टेस्ट व संक्रमित का फ्री इलाज करवाया जाए। इसके लिए निजी हस्पतालों का अधिग्रहण करके उनका राष्ट्रीयकरण किया जाए।
- घर वापस गए प्रवासी मज़दूरों को आर्थिक सहयोग दिये जाने के साथ साथ उनके गांव में ही उपयुक्त स्वास्थ्य सुविधा और आजीविका का बंदोबस्त किया जाए। उन्हें मनरेगा कार्य दिया जाए। मनरेगा मजदूरी में वृद्धि तथा साल में प्रति व्यक्ति दो सौ दिन की रोजगार गारंटी दी जाए। मनरेगा की तर्ज पर शहरी मज़दूरों के लिए भी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए।
- सभी स्वास्थकर्मियों और सफाईकर्मियों की सुरक्षा का इन्तजाम किया जाए। भोजन माता (मिड डे मील), आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों को ‘कर्मचारी’ का दर्ज़ा देकर सभी सुविधाएँ दी जाएं।
- कोरोना संकट के बहाने उद्योगों में लगातार की जा रही छंटनी और वेतन काटे जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- विरोध करने के लोकतान्त्रिक अधिकार पर हमला, अंध-राष्ट्रवाद के आधार पर युद्ध का माहौल पैदा करना, मेहनतकश जनता के बीच धर्म-जाति और क्षेत्र के आधार पर विभाजन और नफ़रत पैदा करने की राजनीति बंद की जाए। यूएपीए जैसा काला कानून रद्द किया जाए।
10 केन्द्रीय यूनियनों का साझा आह्वान था
विरोध का आह्वान इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), ट्रेड यूनियन कॉर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एआईसीसीटीयू), एसईडब्ल्यूए, यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) और लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) ने संयुक्त रूप से किया था।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय श्रमिक संगठनों का 3 जुलाई 2020 को विरोध प्रदर्शन श्रम कानून में बदलाव, सरकारी विभागों और केंद्रीय लोक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ तथा असंगठित क्षेत्र के कामगारों के अधिकारों के लिये किया गया।’’
बयान के अनुसार विरोध प्रदर्शन देश के अन्य भागों में भी किये गये। विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों ने इसमें भाग लिया।