देशभर में विरोध: मारुति मज़दूरों का दमन बंद करो; अस्थाई व बर्खास्त मज़दूरों को न्याय दो!

Masa_maruti-14-2

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) द्वारा संघर्षरत मारुति मज़दूरों के समर्थन में घोषित प्रतिवाद दिवस पर 14 अप्रैल को हरियाणा में मुख्यमंत्री आवास पर; बिहार के पटना, रोहतास, गया में; उत्तराखंड के रुद्रपुर आदि स्थानों पर विविध विरोध कार्यक्रम आयोजित हुए।

विरोध प्रदर्शन मारुति सुजुकी मानेसर-गुड़गांव (हरियाणा) के अस्थाई और 2012 से बर्खास्त मज़दूरों के दमन, मारुति प्रबंधन और हरियाणा सरकार के नापाक गठजोड़, मारुति सुजुकी द्वारा स्थाई मज़दूर से काम कराने के अविधिक धंधे आदि के खिलाफ था।

इससे पूर्व बंगाल से पंजाब तक विरोध प्रदर्शन हुए, बिहार में प्रतिवाद सप्ताह चला तो विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली में भी मारुति मज़दूरों की आवाज उठी। दमन के खिलाफ मज़दूर भाईचारा कार्यक्रम जारी है।

भाजपा सरकार और मारुति प्रबंधन के गँठजोड़ से मज़दूरों का दमन

इस दौरान वक्ताओं ने क्षोभ प्रगट करते हुए कहा कि मारुति सुजुकी के 2012 से बर्खास्त मज़दूरों के आंदोलन के साथ अस्थाई मज़दूरों ने मारुति प्रबंधन के अन्यायपूर्ण कृत्यों को उजागर करते हुए जैसे ही अपनी मांगें बुलंद कीं, जापानी सुजुकी प्रबंधन के इशारे पर हरियाणा की भाजपा सरकार और उसका पूरा अमला मज़दूरों के दमन के लिए फिर सक्रिय हो गया।

30 जनवरी को ‘मानेसर चलो’ का आह्वान था और शांतिपूर्ण प्रदर्शन होना था। इसको रोकने के लिए 29 जनवरी से ही गुड़गांव का प्रशासन और भारी पुलिस बल ने विगत चार माह से आईएमटी मानेसर तहसील पर बर्खास्त मारुति मज़दूरों के चल रहे धरना स्थल को तहस-नहस करते हुए टेंट सहित मज़दूरों के सारे सामान नष्ट या जप्त कर लिए। 30 जनवरी को भी पूरे दिन मज़दूरों का दमन और अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों का दौर चला।

वक्ताओं ने कहा कि गुड़गांव सिविल कोर्ट ने कंपनी गेट और सीमा से 500 मीटर दूर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के श्रमिकों के अधिकार को मान्यता दी थी। इसके बावजूद प्रशासन मारुति प्रबंधन के इशारे पर बीएनएसएस की धारा 163 लगाकर मज़दूरों का दमन करने लगा, जो घोर निंदनीय है।

यही नहीं, 31 जनवरी को श्रम अधिकारियों की मध्यस्थता में मारुति सुजुकी अस्थायी मज़दूर संघ और कंपनी प्रबंधन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता होनी थी। लेकिन डीसी ऑफिस में भी बीएनएसएस की धारा 163 का दुरुपयोग करके मज़दूरों पर पुलिस द्वारा लठियाँ बरसाई गईं और गिरफ्तार करके प्रशासन ने सचेतन वार्ता भी नहीं होने दी।

गैरक़ानूनी गतिविधियों में लिप्त मारुति सुजुकी

वक्ताओं ने कहा कि देश की सबसे बड़ी कार उत्पादक कंपनी मारुति 83% श्रम बल को अल्पकालिक अनुबंधों पर नियुक्त करती है। सरकार के संरक्षण में 7 महीने के अनुबंध पर टेम्परेरी वर्कर (TW), कॉन्ट्रैकट वर्कर (CW), स्टूडेंट ट्रेनी (MST), अप्रेंटिस आदि से कार्य कराने की गैर क़ानूनी प्रथा जारी है। अस्थाई पीड़ित मज़दूर इसके खिलाफ एकजुट और आंदोलित हैं।

जहाँ अस्थाई मज़दूर स्थायी प्रकृति के काम पर स्थायी रोजगार, समान काम के लिए समान वेतन, सभी अस्थायी श्रमिकों के लिए 40% वेतन वृद्धि, बोनस, आदि क़ानूनसंगत मांग कर रहे हैं, वहीं 2012 से बर्खास्त मारुति मज़दूर कार्यबहाली की माँग पर विगत विगत 5 माह से संघर्षरत हैं।

हर जगह हुआ कड़ा प्रतिवाद

श्रमिक नेताओं ने ने मारूति-सुजुकी के अस्‍थाई तथा बर्खास्त मज़दूरों के प्रदर्शन व सभा तथा वार्ता को रोकने की कार्रवाई का कड़ा प्रतिवाद व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा में मारुति सहित तमाम कंपनियां सीमित श्रम कानूनों को भी नहीं मानती हैं। नौकरशाही कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। जबकि मज़दूरों के अधिकारों के मामले में देश व प्रदेश की भाजपा सरकार पूंजीपतियों के पक्ष में नग्नता के साथ खड़ी है।

प्रतिवाद प्रदर्शन के दौरान उठी मांगें-

इस दौरान मारुति मज़दूरों का दमन बंद करने; बीएनएसएस की धारा-163 (पूर्व धारा-144) के दुरुपयोग पर रोक लगाने; मारुति मज़दूरों पर दर्ज झूठे मुक़दमें वापस लेने; संघर्षरत मारुति के अस्थाई व बर्खास्त मज़दूरों की न्यायसंगत मांगों का तत्काल समाधान करने;  टेम्परेरी वर्कर (TW), कॉन्ट्रैकट वर्कर (CW), स्टूडेंट ट्रेनी (MST) तथा ठेका, अप्रेंटिस, फिक्स टर्म, नीम ट्रेनी आदि गैरक़ानूनी प्रथा बंद करने; स्थायी काम पर स्थाई रोजगार और समान काम पर समान वेतन लागू करने; मज़दूरों के धरना-प्रदर्शन-हड़ताल करने के जनवादी अधिकार पर हमले बंद करने आदि मांगें बुलंद हुईं।

हरियाणा: मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन व ज्ञापन

कुरुक्षेत्र। मासा के घटक- जन संघर्ष मंच हरियाणा, निर्माण कार्य मज़दूर मिस्त्री यूनियन, मनरेगा मज़दूर यूनियन व जन कल्याण सोसायटी हरियाणा ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवास पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में आयोजक संगठनों के कार्यकर्ताओं के अलावा संघर्षरत मारुति मजदूरों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

प्रदर्शनकारी देवीलाल पार्क पिपली में सभा के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निवास पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन मुख्यमंत्री के ओएसडी कैलाश कुमार को सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने मारुति मज़दूरों का दमन किये जाने, झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने के विरुद्ध गहरा आक्रोश व्यक्त किया।

सभा को मनरेगा मज़दूर यूनियन के महासचिव कामरेड सोमनाथ, जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी, राज्य प्रधान कामरेड फूल सिंह, पाल सिंह, रघुवीर विरोधिया, सतबीर सिंह, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के राज्य प्रधान करनैल सिंह, मनरेगा मजदूर यूनियन के प्रधान नरेश कुमार, जन कल्याण सोसायटी के सुरेश टांक, मारुति मजदूर अभिमन्यु, राजेश सैनी आदि ने संबोधित किया।

उत्तराखण्ड:

रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर)। मासा के घटक संगठनों द्वारा सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू) और इंकलाबी मज़दूर केंद्र (आईएमके) द्वारा रुद्रपुर स्थित श्रम भवन में प्रतिरोध सभा की गई और उप श्रम आयुक्त, उधम सिंह नगर के मार्फत हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा गया।

प्रदर्शन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के महासचिव चन्द्र मोहन लखेड़ा, सीएसटीयू के केन्द्रीय महासचिव मुकुल, आईएमके के शहर सचिव दिनेश चन्द्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, करोलिया लाइटिंग इम्पलाइज यूनियन के हरेन्द्र सिंह, नेस्ले कर्मचारी संगठन के महेन्द्र सिंह, नील मेटल कामगार संगठन के पवन कुमार सिंह, मारूति के अस्‍थाई मजदूर अमरीक सिंह, पारले मजदूर संघ के प्रमोद तिवारी, इन्टरार्क मज़दूर संगठन पंतनगर के सौरभ कुमार, ऑटो लाइन इम्पलाइज यूनियन के प्रकाश सिंह मेहरा, CNG टेम्पो यूनियन के सुब्रत कुमार विश्वास, रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के धीरज जोशी, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के गोविंद सिंह, एडविक कर्मचारी संगठन के राजू सहित सिड़कुल के तमाम मज़दूर मौजूद रहे।

बिहार:

पटना। प्रतिवाद के हिस्से के रूप में मासा से जुड़ी यूनियनों के मज़दूर राजधानी पटना में विभिन्न मज़दूर चौकों, मुख्य सड़क से अलग-अलग टोलियों में जुलूस निकालकर सभा करते हुए पटना जंक्शन के निकट स्थित बुद्धा स्मृति पार्क पहुंचे। इस दौरान मज़दूरों तथा भारत के नागरिकों के जुलूस व सभा करने के संवैधानिक अधिकार पर हमले का कड़ा प्रतिवाद; मारुति मजदूरों के न्यायपूर्ण मांगों का पूरजोर समर्थन; पूंजीपतियों के पक्ष में श्रम कानून में बदलाव का तीव्र विरोध तथा अस्थाई तथा ठेका मज़दूर प्रथा को कानूनी छूट देने की सरकार का विरोध किया।

इस प्रदर्शन में आईएफटीयू (सर्वहारा), बिहार निर्माण व असंगठित श्रमिक यूनियन और ग्रामीण मजदूर यूनियन बिहार के सदस्य व कार्यकर्ता शामिल थे। सभा की अध्यक्षता आईएफटीयू (सर्वहारा) के साथी राधे श्याम और बिहार निर्माण व असंगठित श्रमिक यूनियन के साथी नरेंद्र कुमार ने की।

एक पखवारा चला प्रतिवाद अभियान

बिहार में आईएफटीयू (सर्वहारा), बिहार निर्माण व असंगठित श्रमिक यूनियन और ग्रामीण मजदूर यूनियन बिहार द्वारा 6 फरवरी से विभिन्न जिलों में प्रतिवाद सप्ताह चल और व्यापक प्रचार कार्य चलाए गए और मारुति मज़दूरों के हक़ में आवाज बुलंद हुई। इसी के तहत मासा की ओर से एक पर्चा भी निकाला गया और वितरित हुआ।

आईएफटीयू (सर्वहारा) द्वारा पिछले 15 दिनों से मारुति मजदूरों पर दमन के खिलाफ चलाये जा रहे प्रतिवाद प्रचार अभियान के तहत ये बातें उठाई गईं कि ये दमन कोई आम दमन नहीं है, बल्कि इससे एक फासीवादी राज्य का चरित्र साफ तौर पर दिखाई देता है और अगर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई गई तो आने वाले दिनों में समाज का फासीवादी टेकओवर पूरा हो जाएगा और आम जनता, खासकर मजदूर वर्ग को, विरोध तो दूर, अपनी बात बोलने तक की आजादी नहीं रह जायेगी।

रोहतास के विभिन्न प्रखंड गया जिला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन

मारुति सुजुकी के अस्थायी और बर्खास्त मज़दूरों के आंदोलन के समर्थन और पुलिस दमन के ख़िलाफ ग्रामीण मज़दूर यूनियन बिहार, इंक़लाबी निर्माण कामगार यूनियन बिहार और इंक़लाबी असंगठित कामगार यूनियन बिहार ने रोहतास जिला के करगहर, काराकाट प्रखंड मुख्यालय में तथा गया जिला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन किया।

गया में प्रतिवाद प्रचार अभियान

आईएफटीयू (सर्वहारा) द्वारा गया जिले के विभिन्न इलाकों में नुक्कड़ सभा, माइक प्रचार व पर्चा वितरण किया गया। इस प्रतिवाद प्रचार में नावां, अमर बीघा, परैयां, सियाढ़ी, अहियापुर आदि अन्य गांवों से संगठन के कार्यकर्ता व अगुआ मजदूर साथी शामिल हुए थे। प्रचार के दौरान बाटा मोड़, गेवल बीघा, मेडिकल मोड़, पंचांगपुर बाजार के अंबेडकर चौक, टेकारी बाजार के डाकबंग्ला मोड़, मिर्जा गालिब और सिकड़िया मोड़ पर सभा व पर्चा वितरण किया गया।

मासा के घटक संगठनों द्वारा प्रतिवाद प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न तिथियों पर 24 फरवरी तक आयोजित होगा। उल्लेखनीय है कि मारुति मज़दूरों का संघर्ष जारी है और 24 फरवरी को पुनः ‘मानेसर चलो’ का आह्वान है।

उल्लेखनीय है कि मारुति मज़दूरों के दमन के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में मज़दूर भाईचारा प्रकट करते हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 29 जनवरी को विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रूप से मारुति शो रोम के पास जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था।

इसी क्रम में उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्र रुद्रपुर और हरिद्वार में संयुक्त रूप से पुतला दहन कार्यक्रम हुए थे।

हरियाणा के फरीदाबाद, पश्चिम बंगाल के आसनसोल और झारखंड के धनबाद में कोयला मज़दूरों, ने विरोध प्रकट किया था। पंजाब के लुधियाना में, कर्नाटक के बंगलुरु में भी विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं।

दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में भी मारुति मज़दूरों के समर्थन में कार्यक्रम हुआ।

8 फरवरी को वर्ल्ड बुक फेयर के जन मीडिया स्टॉल पर अंजली देशपांडे और नन्दिता हकसर की पुस्तक “फैक्ट्री जापानी, प्रतिरोध हिंदुस्तानी” पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें मारुति सुज़ुकी के मज़दूरों के संघर्ष के बहाने समग्रता में आज की पतनशील पूँजीवाद के चरित्र और श्रम के अमानवीयकरण पर बात हुई । चर्चा में यह भी रेखांकित किया गया कि किस तरह मुख्यधारा के साहित्य में मज़दूरों की आवाज़ लगभग अनुपस्थित है, और बड़े साहित्यिक महोत्सव, जो विचारों के आदान-प्रदान का ढ़ोंग करते है जबकी असल मे वे कारपोरेट पूंजी के प्रभाव में केवल अभिजात व मध्य वर्ग की रुचियों की पूर्ति के साधन हैं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का उदाहरण देते हुए उन्होने बताया कि कैसे वेदांता और मारुति सुज़ुकी जैसी कंपनियाँ इन आयोजनों को प्रायोजित कर न केवल अपनी छवि सुधारने का काम करती हैं, बल्कि श्रमिकों के संघर्षों को अदृश्य भी बनाती हैं |

‘Workers Unity’ के फ़ेसबुक पेज पर यह कार्यक्रम लाइव था।

भूली-बिसरी ख़बरे