जंतर मंतर पर जोरदार प्रदर्शन के बीच पुलिस ने कार्यकर्ताओं को जबरिया बस में बैठा कर थाने ले गई। लगभग तीन घंटे तक हिरासत के दौरान थाने में ही सभा और नारेबाजी हुई। दिल्ली। फिलिस्तीन पर विध्वंसक इज़रायली हमले के ख़िलाफ़ दिल्ली के मजदूर संगठनों की पहल पर 22 नवंबर को जंतर मंतर पर जोरदार प्रदर्शन हुआ। पूर्व में आवेदन देने के बावजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और जबरिया बस में बैठा कर मंदिर मार्ग थाने ले गई। जहाँ लगभग तीन घंटे तक हिरासत में रखा। इस दौरान थाना परिसर में ही जोरदार सभा और नारेबाजी हुई। संगठनों ने इसे मोदी सरकार की तानाशाही बताया। मोदी सरकार दमन पर आमादा प्रदर्शनकारियों ने कहा कि फिलिस्तीन पर इज़रायली शासकों की बमबारी एवं विध्वंसक हमले के खिलाफ उसे रोकने के लिए दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, लेकिन भारत में बैठी हिंदू फासीवादी मोदी सरकार फिलिस्तीनियों के समर्थन में कोई भी प्रोग्राम नहीं होने दे रही है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि डीसीपी संसद मार्ग थाना को जंतर मंतर पर 22 नवंबर के प्रदर्शन की अनुमति के लिए 10 नवंबर को ही आवेदन किया गया था। लेकिन मोदी सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया। फिर मजदूर संगठनों ने पुलिस की अनुमति के बिना ही इज़रायली हमले के खिलाफ फिलिस्तीनी जनता के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी दोपहर 2.00 बजे पालिका केंद्र के बस स्टैंड से जुलूस निकालते हुए जंतर मंतर तक गए। इस दौरान 'फिलिस्तीन की जनता पर इसराइली हमले के खिलाफ एकजुट हो!', 'फिलिस्तीन में इज़रायली बमबारी पर रोक लगाओ!', 'फिलिस्तीन पर यूएन प्रस्ताव को लागू करो!' ' इजरायली कब्जा व गुलामी के खिलाफ फिलिस्तीनी जनता के आजादी के लिए संघर्ष के साथ एकजुट हो!' 'गाजा पट्टी में खाना, पानी, बिजली, दवाई इत्यादि जैसी जरूरी सामानों की आपूर्ति बहाल करो!' 'अमेरिका इजरायल के साथ मोदी सरकार का नापाक गठजोड़ मुर्दाबाद!', 'जो नेतन्याहू का यार है, वह इंसानियत का गद्दार है!', 'जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा!' इत्यादि जोरदार नारे लगाए गए। हिरासत के दौरान थाने में भी प्रदर्शन पुलिस के रोकने के बावजूद प्रदर्शनकारियों द्वारा जंतर मंतर के बैरिकेड पर लगभग आधे घंटे तक प्रदर्शन के साथ नारेबाजी चलती रही। अन्ततः पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। वह बस में बैठा कर मंदिर मार्ग थाने ले गई। वहां पर पुलिस ने लगभग तीन घंटे तक हिरासत में रखा। इस दौरान मंदिर मार्ग थाना परिसर में ही जोरदार सभा और नारेबाजी की गई। इस दौरान कई साथियों ने क्रांतिकारी गीतों से प्रदर्शन में जोश भरते रहे। अंत में पुलिस ने शाम 6:00 बजे के बाद सभी प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया। फिलिस्तीनी नागरिकों का नरसंहार बंद करो! इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि फिलिस्तीन के गाजा पट्टी में इज़रायल की 7 अक्टूबर से जारी विध्वंसक बमबारी से 11000 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई है, जिनमें 5000 से ज्यादा अबोध बच्चे हैं। इजरायली सेना फिलिस्तीन के दूधमुहें बच्चों को भी नहीं छोड़ रही है। गाजा पट्टी में अधिकतर मकानों को जमींदोज कर दिया गया है। 17 लाख से अधिक आबादी को बेघर कर पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है। इज़रायली सेना ने फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक पर भी भयंकर बमबारी कर सैकड़ो नागरिकों को मार डाला है तथा उनके मकानों को जमींदोज कर दिया है। इज़रायली बमबारी एवं विध्वंसक हथियारों से की जा रही हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत को प्रदर्शनकारियों ने नरसंहार करार दिया। जन संगठनों की माँग- प्रदर्शनकारियों ने मांग किया कि- बमबारी व इजरायली सेना की विध्वंसक कार्रवाई को तत्काल रोका जाए। गाजा पट्टी में तत्काल खाना, पानी, बिजली, दवाई, इत्यादि जैसे जरूरी सामानों की आपूर्ति बहाल किया जाए। फिलिस्तीन को इज़रायली कब्जा व गुलामी से आजाद कर संप्रभु राष्ट्र घोषित किया जाए। भारत सरकार फिलिस्तीनियों के आजादी के संघर्ष का खुला समर्थन करे। भारत सरकार जियोनवादी नेतन्याहू सरकार से सभी तरह के संबंधों को तत्काल खत्म कर दे। मोदी सरकार इज़रायली कंपनियों के लिए मजदूरों को भेजने की कार्रवाई पर रोक लगाए। प्रदर्शन का आह्वान एआईएफटीयू, आईएफटीयू, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, आईएफटीयू (सर्वहारा), मजदूर एकता केंद्र, मजदूर एकता कमेटी, बिगुल मजदूर दस्ता, आईसीटीयू, इंकलाबी मजदूर संगठन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। प्रदर्शन में प्रगतिशील महिला संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, आरडब्ल्यूपीआई, वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया और जन हस्तक्षेप आदि ने भी भागीदारी की।