ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण बर्दस्त नहीं, आर-पार का होगा संघर्ष

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निजीकरण के हर कदम का पुरजोर तरीके से विरोध होगा। कर्मचारी किसी भी हाल में ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण नहीं होने देंगे। इसके खिलाफ बिजली कर्मी एकजुट होकर संघर्ष करेंगे।

प्रयागराज : केंद्र सरकार ऊर्जा क्षेत्र निजी हाथों में सौंपना चाहती है। इससे न केवल कर्मचारियों का शोषण होगा वरन उनका हक भी मारा जाएगा। इसलिए इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। यह चेतावनी अखिल भारतीय विद्युत कामगार महासंघ के महासचिव मोहन शर्मा ने गुरुवार को यहां दी।

राजर्षि टंडन मंडपम में उप्र बिजली कर्मचारी संघ के 49वें तीन दिवसीय राज्य महासम्मेलन के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मी एकजुट होकर संघर्ष करेंगे। देशभर के नियमित, संविदा और आउट सोर्स कर्मचारी एकजुट हैं। निजीकरण के हर कदम का पुरजोर तरीके से विरोध होगा। कर्मचारी किसी भी हाल में ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण नहीं होने देंगे। अखिल भारतीय विद्युत कामगार महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष सदरुद्दीन राना का कहना था कि यदि सरकार ने जनविरोधी नीतियां नहीं बदली तो वही नहीं बचेगी। देश का किसान और मजदूर परेशान है, पर उनकी आवाज कुचली जा रही है। पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता अनुग्रह नारायण सिंह ने बिजली कर्मचारियों की हर लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने की बात कही। प्रकाश चंद्र यादव ने प्रदेश में संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण का आरोप लगाते हुए कहा कि इसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो चला है। एटक के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष जवाहर लाल विश्वकर्मा का कहना था कि किसानों और आमजनता को न्यूनतम दरों पर बिजली उपलब्ध करना हमारा उद्देश्य है। सम्मेलन का शुभारंभ ध्वजारोहण कर सदरुद्दीन राना ने किया। वक्ताओं में कृष्णा धोमर, जय प्रकाश, मुख्य अभियंता विनोद गंगवार, हेमंत नंदन ओझा, विजय वैश्य आदि मुख्य थे। महासम्मेलन का उद्घाटन प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर पटेल को करना था। सुबह अचानक पता चला कि कतिपय कारणों से वह नहीं आ सकेंगे। पदाधिकारियों का कहना है कि संभवत: वह शुक्रवार को महासम्मेलन में प्रतिभाग करेंगे।

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