साजिशन हिंसा के बाद संसद मार्च स्थगित, 30 को देश भर में होगा अनशन

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पुलिस का दमन और मीडिया का दुष्प्रचार हुआ तेज

ऐतिहासिक ट्रैक्टर परेड के दौरान दीप सिद्धू, लक्खा सिधाना समूह द्वारा फैलाई गई अराजकता के बाद किसान संगठनों ने 1 फरवरी के संसद मार्च को टाल दिया है। 30 जनवरी को देश भर में जनसभाएं और भूख हड़ताल होंगी। इस बीच दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं सहित अब तक 25 एफआईआर दर्ज की है और तकरीबन 200 लोगों को हिरासत में लिया है।

ज्ञात हो कि देश के किसान जनविरोधी कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पिछले दो माह से दिल्‍ली की सरहदों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। आंदोलन के क्रम में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ओर से निकाली गई ट्रैक्टर परेड अभूतपूर्व और ऐतिहासिक थी।

ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली की जनता किसानों का जबरदस्त स्वागत करती रही और जगह-जगह फूलों की बारिश भी हुई।

छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो इतना बड़ा और व्यापक ट्रैक्टर परेड शांतिपूर्ण रहा। हालांकि इस दौरान साजिशन हिंसा फैलाई गई। अराजकता और हिंसा की खबर मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के निर्देश पर परेड में शामिल लोग उसी अनुशासन के साथ धरना स्थलों पर वापस लौट गए।

https://mehnatkash.in/2021/01/27/parade-was-peaceful-anti-social-elements-infiltrated-kisan-morcha/

घटनाएं साजिश का परिणाम, आंदोलन रहेगा जारी

किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मंगलवार की घटनाओं के पीछे एक साजिश थी और उन्होंने इस संबंध में जांच कराए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन चलता रहेगा।

किसानों ने बुधवार को कहा कि उन्‍होंने 1 फरवरी यानी सोमवार को बजट सत्र के दौरान संसद तक मार्च करने की अपनी योजना को टाल दिया है। इसी के साथ बताया कि 30 जनवरी को देश भर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी।

किसान नेता दर्शन पाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए कहा, “ट्रैक्टर परेड सरकारी साजिश से प्रभावित हुई थी। दीप सिद्धू आरएसएस का व्यक्ति है। पुलिस ने लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने के बाद उसे जाने दिया।” सिद्धू अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल के पूर्व सहयोगी हैं।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बवाल के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आंदोलन आगे भी जारी रहने के ऐलान के साथ बुधवार को मीडिया से कहा, “कल दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई। अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन ज़िम्मेदार रहा है। कोई लाल किले पर पहुंच जाए और पुलिस की एक गोली भी न चले। यह किसान संगठन को बदनाम करने की साजिश थी।”

ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए बवाल को लेकर 26 किसान नेताओं पर एफआईआर

दिल्ली पुलिस का दमन हुआ तेज

इस बीच दिल्ली पुलिस ने अब तक 25 एफआईआर दर्ज की है और तकरीबन 200 लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने कहा है कि मामले में किसान संगठनों की भूमिका की भी जांच की जाएगी। 

26 किसान नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें डॉक्टर दर्शन पाल, योगेंद्र यादव, सतनाम पन्नू, जोगिंदर सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, सरवन सिंह, सतनाम पन्नू, हरपाल सांगा, भोग सिंह मनसा, जोगिंदर सिंह, वीएम सिंह, सतनाम सिंह, मुकेश चंद्र, ऋषि पाल अंबावत, प्रेम सिंह गहलोत, कृपाल सिंह नाटूवाला, जोगिंदर सिंह, सुरजीत सिंह फूल, प्रेम सिंह गहलोत, सुखपाल सिंह डाफर, बूटा सिंह, बलदेव सिंह सिरसा, जगबीर सिंह टाडा का नाम प्रमुख है।

https://mehnatkash.in/2021/01/27/neoliberal-farming-system-possession-of-alliances-of-indigenous-foreign-capital/

मीडिया को मिला दुष्प्रचार तेज करने का मौका

किसाान आंदोलन के खिलाफ बिल्कुल शुरू से ही दुष्प्रचार फैला रही कॉरपोरेट मीडिया को एक बड़ा मौका मिल गया है। जो मीडिया किसान आंदोलन को या तो ब्लैकआउट करती आ रही थी या फिर उन्हें खालिस्तानी, अड़ियल, विपक्षी दलों का कार्यकर्ता, गुमराह किसान, विदेशी फंड पर पिकनिक मनाने आए पंजाबी आदि बता रही थी, वो मंगलवार दोपहर बाद से अचानक चिल्लाने लगी।

https://mehnatkash.in/2021/01/27/deep-sidhu-who-hoisted-the-flag-on-the-red-fort-special-of-bjp-mp-sunny-deol/

दरअसल मीडिया संयुक्त किसान मोर्चा के ट्रैक्टर परेड को नहीं बल्कि भाजपा एजेंट दीप सिद्धू के ट्रैक्टर परेड को कवर कर रही थी। गोदी मीडिया लाल किला और आईटीओ की दो घटनाओं के फुटेज को बार-बार बढ़ा चढ़ाकर दिखाती रही। आरएसएस-भाजपा समर्थक दीप सिद्धू, लक्खा सिधाना समूह की करतूतों को किसान आंदोलन की करतूत बताती रही।

दरअसल सरकार के भोंपू बन चुके ये टीवी चैनल मुख्य उपद्रवी दीप सिद्धू की जगह पूरे किसान आंदोलन को ही बदनाम करने में पूरी ताकत से जुट गई है।

किसान परेड में हंगामाः मुख्य उपद्रवी दीप सिद्धू के नाम से मीडिया को परहेज

आंदोलन, साजिशों व दमन के इस दौर को करेगा पार

किसान आंदोलन के इस पूरे दौर में यह एक महत्वपूर्ण मुकाम है। लेकिन जिस योजनाबद्ध तरीके से और धैर्य से वे इस शानदार आंदोलन को चल रहे हैं, उससे यह उम्मीद बलवती हो रही है कि वे इन सारी साजिशों और दमन के इस दौर को भी पार कर लेंगे।

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