पंतनगर विश्वविद्यालय : ठेका मज़दूरों को फिर नहीं मिला वेतन, आश्वासन से लौटे काम पर

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जुलाई माह के लंबित वेतन और पूरे माह काम में भेदभाव को लेकर ठेका मजदूरों ने विश्वविद्यालय के एचआरसी में किया काम बंद कर दिया था, डायरेक्टर के आश्वासन पर ही काम पर लौटे।

ठेका मज़दूरों में भेदभाव व वेतन लंबित होने से लगातार आक्रोश है

पंतनगर (उत्तराखंड)। विश्वविद्यालय के होर्टीकलचर रिसर्च सेंटर में कार्यरत  ठेका मज़दूरों ने अपने पिछले माह जुलाई 2021 का लम्वित वेतन भुगतान कराने और भेदभाव को समाप्त करते हुए माह में 26–27 कार्यदिवस मासिक वेतन भुगतान कराने को लेकर ठेका मजदूरों ने आज 1 सितंबर को काम बंद कर दिया। डायरेक्टर के आश्वासन के बाद ही मजदूर काम पर लौटे।

ठेका मजदूरों ने बताया कि वे विश्व विद्यालय में पिछले 18–20 सालों से लगातार कार्यरत हैं। उन्हें श्रम कानूनों द्वारा देय बोनस, बीमा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया हैं। अप्रैल माह से ईएसआई अंशदान कटौती हुई है। लेकिन अभी तक ईएसआई कार्ड निर्गत नहीं किया गया है। तमाम लोग बीमारी और दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं उन्हें ईएसआई से इलाज नहीं मिल पा रहा है। कभी समय से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है।

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अभी तक पिछले माह जुलाई 2021 का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। जबकि नियमानुसार ठेका मजदूरों को हर महीने की 07 तारीख तक वेतन भुगतान किया जाना चाहिए। हालांकि विश्व विद्यालय प्रशासन द्वारा हर महीने के 07 तारीख एवं विलम्वित 10 तारीख तक वेतन भुगतान करने के आदेश दिए हैं।

स्वयं कुलपति द्वारा आदेश जारी कर ठेका मजदूरों को हर माह के प्रथम सप्ताह में वेतन भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया है। और हर माह 26 कार्यदिवसों का भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया है। परंतु आज तक इन आदेशों का पालन नहीं किया गया है। महीने में 15-20 दिन काम, आदेश के बावजूद माह में 26 कार्यदिवसो का भुगतान नहीं किया जा रहा।

इतना ही नहीं एक ही यूनिट में करीब 18 मजदूरों को पूरे माह में 26 कार्यदिवसो का वेतन भुगतान किया जा रहा है। और चालीस लोगों को 15–17 दिन मासिक वेतन भुगतान किया जा रहा है। ठेका मजदूरों में भेदभाव किया जा रहा है।

लम्बे समय से कार्यरत ठेका मजदूरों की उम्र काफी ज्यादा हो गई है, शासन द्वारा विश्वविद्यालय के बजट में लगातार कटौती हो रही है। धन कम होने का बहाना बनाकर निकाला बैठाली की धमकी दी जा रही है। प्रशासन द्वारा भेदभाव कर श्रम कानूनों का उलंघन किया जा रहा है।

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समय से वेतन भुगतान  और पूरे माह 26 कार्यदिवसो के वेतन भुगतान किए जाने को लेकर ठेका मजदूर कल्याण समिति द्वारा शासन प्रशासन से लम्बे समय से लगातार लिखित मौखिक अनुरोध किया जा रहा है। परंतु शासन- प्रशासन द्वारा ठेका मजदूरों की उपेक्षा की जा रही है। शोषण उत्पीड़न पर रोक नहीं लगाई जा रही है।

समय से वेतन भुगतान नहीं करने के कारण ठेका मजदूरों के परिवारों के भरण पोषण, बच्चों की स्कूल फीस, राशन, सब्जियों को लेने में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।

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मजदूरों ने कहा कि शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए अतिशीघ्र वेतन भुगतान किया जाए और भेदभाव खत्म करते हुए सभी मजदूरों को पूरे माह में 26 कार्यदिवसो का वेतन भुगतान हो, अन्यथा उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

वार्ता में डायरेक्टर द्वारा सभी ठेका मजदूरों को महीने में समान कार्य दिवसों का वेतन भुगतान किए जाने और शीघ्र जुलाई माह का लंबित वेतन भुगतान किए जाने का आश्वासन दिया गया उसके बाद ही मजदूर काम पर लौटे।

प्रदर्शन और वार्तालाप में बलराम, बब्लू, संजय, अशोक, अमरजीत, कामेश्वर, मनोज, शफीआलम, अजय गुप्ता, यश, आसमां, सुरस्वती, विंदरावती,  शकुंतला आदि मजदूर शामिल रहे।