पंतनगर : अशोका लीलैंड के छात्र श्रमिकों का नौकरी के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

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आशीर्वाद योजना के तहत चार साल का डिप्लोमा और दो साल की ट्रेनिंग के बहाने पूरा काम लेकर श्रमिकों को कंपनी निकाल देती है, सर्टिफिकेट को दूसरी कंपनी भी मान्यता नहीं देती।

पंतनगर (उत्तराखंड)। सिड़कुल पंतनगर स्थित अशोका लीलैंड कंपनी में डिप्लोमा के बाद तय शर्तों के मुताबिक नियुक्ति ना मिलने के खिलाफ छात्र-श्रमिकों ने कलेक्ट्रेट गेट पर धरना प्रदर्शन किया। छात्र श्रमिकों का आरोप है कि अशोक लेलैंड कंपनी द्वारा उनके साथ छल किया गया है, जिससे सैकड़ों युवा बेरोजगार हो चुके हैं।

जिलाधिकारी कार्यालय पर घेराव के दौरान गेट पर ही पुलिस बल द्वारा उन्हें रोक दिया गया। जिससे वे सड़क पर ही बैठकर नारेबाजी करने लगे। स्थिति देखकर उप जिलाधिकारी प्रत्युष सिंह पहुंचे लेकिन उन्होंने जिलाधिकारी से मिलने के लिए दबाव बनाया। जिसके बाद 25 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को जिलाधिकारी से मिलने की अनुमति मिली।

जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि इस मामले में एडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी जो 2 दिन के भीतर जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी और उसके बाद इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।

एनटीटीएफ का धंधा : डिप्लोमा कराने के बहाने फ़ोकट की मज़दूरी

दरअसल, मोदी सरकर द्वारा कंपनियों को फोकट के मज़दूर उपलब्ध करने के लिए नीम ट्रेनी जैसे कई तरीके इजाद किए हैं, उनमे से एक एनटीटीएफ है। अशोक लेलैंड जैसी कम्पनियाँ नेत्तुर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन (एनटीटीएफ) के तहत डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और कौशल विकास के बहाने दो से चार साल के लिए भर्ती करती हैं, काम लेती हैं फिर उन्हें निकल देती हैं और नए बैच भर्ती कर लेती हैं।

एनटीटीएफ और सरकार द्वारा चलाई जा रही आशीर्वाद योजना के नाम पर चार साल का डिप्लोमा और दो साल की ट्रेनिंग करवाने के बाद छात्र श्रमिकों (फ़ोकट के मज़दूरों) को ना स्थाई रोजगार प्राप्त होता है, और ना ही उस डिप्लोमा सर्टिफिकेट को अन्य कंपनी मे मान्यता दी जाती है।

पहले भी हुआ था आंदोलन

पूर्व में 9 फरवरी को अपने भविष्य और रोजगार के प्रति खिलवाड़ और चिंता को देखते हुए एनटीटीएफ के लगभग 800 श्रमिक अपने स्थाई रोजगार की माँग को लेकर आंदोलन चलाया था। तब प्रशासनिक कमेटी ने एक समझौता कराया था, लेकिन इन छात्र मज़दूरों के सामने रोजगार का वही संकट है, जिससे वे एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं।

https://mehnatkash.in/2021/02/09/ashok-leyland-workers-demonstrate-at-company-gate/

छात्र-मज़दूरों का कहना है कि कंपनी के द्वारा पांच वर्ष तक फर्जी कोर्स कराया गया, जो अशोका लिलैंड के अलावा किसी भी कंपनी में मान्य नहीं है। इस बीच पांच वर्ष ट्रेनिंग के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया व नये लोग अधिक वेतन में भर्ती कर लिये गए। जिसको लेकर सभी कर्मचारियों का संघर्ष जारी है।

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