इंटरार्क मज़दूरों-महिलाओं की पदयात्रा व डीएम आवास पर सामुहिक उपवास: अदालती आदेश लागू करो!

यूनियन ने दी चेतावनी- प्रशासन द्वारा करवाए समझौते व अदालत के आदेशों का परिपालन हो अन्यथा जन प्रतिनिधियों के आवास पर धरना-प्रदर्शन और सामूहिक भूख हड़ताल होगा।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। माननीय राष्ट्रीय लोक अदालत के आदेश को लागू कराने की मांग को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज 26 नवंबर 2023 को इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर व किच्छा (उत्तराखंड) के पीड़ित मजदूरों के परिवारों की महिलाओं के नेतृत्व में इंटरार्क मजदूर संगठन के बैनर तले अंबेडकर पार्क रुद्रपुर से डीएम आवास तक पदयात्रा निकली और डीएम आवास के निकट सामुहिक रूप से एकदिवसीय भूख हड़ताल हुई।
इस दौरान प्रशासनिक कमेटी द्वारा कराए गए समझौते व अदालत के आदेशों के परिपालन में समस्त श्रमिकों की कार्यबहाली हो और न्याय मिले। यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन नहीं चेता तो जन प्रतिनिधियों के आवास पर धरना-प्रदर्शन और सामूहिक भूख हड़ताल होगा।
इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि माननीय राष्ट्रीय लोक अदालत, पीठ संख्या -09 द्वारा वाद संख्या -25/2022 पर पारित आदेश दिनांक 11/02/2023 में जिला प्रशासन की मध्यस्थता में संपन्न हुए त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 15/12/2022 पर 7A/3,7A/4 एवं 7A/5 अंकित करके उसे अपने उक्त आदेश का भाग बनाया गया है।
जिसके बिंदू संख्या-3 में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि आंदोलन के दौरान निलंबित 64 मजदूरों में से जिन 34 मजदूरों की घरेलू जांच कराई जाएगी उन्हें जांच के दौरान एवं पश्चात नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जायेगा। किंतु कंपनी प्रबंधन द्वारा उक्त 34 मजदूरों में से 11 मजदूरों की एकतरफा घरेलू जांच कार्यवाही करके नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। शेष मजदूरों की अब तक भी मूल नियोजक कंपनी में कार्यबहाली नहीं की गई है।
और उक्त समझौते के बिंदू संख्या 7 और 8 के अनुसार उनकी वेतन वृद्धि भी नहीं की गई है। उक्त 34 मजदूरों को इस बार बोनस भी नहीं दिया गया है। यह पूरा कृत्य माननीय राष्ट्रीय लोक अदालत के उक्त आदेश की घोर अवमानना है। इसके अलावा माननीय राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा एसे ही 12 अन्य दूसरे मामलों में भी इसी तरह के 12 आदेश पारित किए गए।
वक्ताओं ने कहा कि 9 माह से भी अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी इंटरार्क कंपनी प्रबंधन द्वारा उक्त आदेशों को लागू नहीं किया जा रहा है और जिला प्रशासन द्वारा उन्हें लागू नहीं कराया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संसद द्वारा पारित कानून विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 एवं भारतीय सविधान में और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि लोक अदालतों द्वारा पारित आदेशों को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है और ऐसे आदेश दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होंगे।
इसके बाद भी इंटरार्क कंपनी मालिक द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा पारित उक्त 13 आदेशों का पालन कर उक्त त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 15/12/2022 को लागू नहीं किया जा रहा है, जो कि राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा पारित आदेशों और इस संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय आदेशों, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम-1987 एवं भारतीय संविधान का घोर उल्लंघन है।

वक्ताओं ने कहा कि उक्त गैरकानूनी कृत्यों पर रोक लगाकर अपने संवैधानिक एवं नैतिक कर्तब्यों का निर्वाह करने के स्थान पर जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है और इंटरार्क कंपनी प्रबंधन के साथ उक्त अविधिक कृत्यों में स्वयं भी लिप्त हो गया है और इस गैरकानूनी और अनैतिक कृत्यों में लिप्त इंटरार्क कंपनी प्रबंधन को पूरी तरह से संरक्षण दे रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिला प्रशासन की नजरों में लोक अदालत, सर्वोच्च न्यायालय एवं भारतीय संविधान और भारतीय कानूनों की कोई भी अहमियत नहीं है बल्कि इंटरार्क कंपनी मालिक के उक्त अविधिक कृत्य ही सर्वोपरि हैं।
वक्ताओं ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि इससे स्पष्ट है कि जिला प्रशासन द्वारा पूंजीपतियों के हित में विधि द्वारा स्थापित कानून ब्यवस्था को ताक पर रख दिया गया है। जबकि यह वही प्रशासन है जो किसी छोटी कोर्ट का आदेश जारी होते ही मजदूरों को कंपनी गेट से तत्काल ही बिजली की गति से खदेड़ देता है, उन पर अनगिनत फर्जी मुकदमे लगा देता है, उन्हें जेल भेजने में भी कोई देरी नहीं करता है और मजदूरों को सिडकुल में धरना प्रदर्शन करने से रोकने को आदेश पारित कर देता है।
उच्च न्यायालय की शरण लेने के पश्चात ही मजदूरों को राहत मिलती है। किंतु कंपनी मालिकों के खिलाफ न्यायालय द्वारा आदेश पारित करने पर प्रशासन मूकदर्शक बन जाता है। ऐसे में मजदूरों व आम जनता के पास सामुहिक संघर्ष करने के अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं बचता है।
वक्ताओं ने कहा कि कंपनियों में श्रम कानूनों के घोर उल्लंघन पर पहले से ही मूकदर्शक बन चुके प्रशासन व श्रम विभाग द्वारा अब मजदूरों के पक्ष में अदालतों द्वारा पारित आदेशों को भी लागू नहीं कराए जाने की इस प्रवृत्ति के गंभीर परिणाम सामने आने तय हैं। इस इस गलत प्रवृत्ति के खिलाफ बिना देर किए हुए एकजुट संघर्ष करना ही आज की जरूरत है।
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि जब तक लोक अदालत द्वारा पारित उक्त आदेश का पालन करके उक्त त्रिपक्षीय समझौते को लागू नहीं किया जाएगा तब तक संघर्ष जारी रहेगा ।
सभा को इंटरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह के अध्यक्ष दलजीत सिंह, महामंत्री सौरभ कुमार, इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के अध्यक्ष हृदेश कुमार और महामंत्री पान मुहम्मद, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर के अभिलाख सिंह, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी,मजदूर सहयोग केन्द्र के विजय, टीवीएस लुकास के हरिश अधिकारी, सीएनजी टेम्पो यूनियन अध्यक्ष सुब्रत कुमार विश्वास, समता सैनिक दल के गोपाल भारती, परिवर्तन कामी छात्र संगठन के चंदन, जोशना साहु, गुड़िया देवी, उमा देवी, शोभा, शिवनारायण मिश्रा, बीरेंद्र पटेल, भूपेन्द्र पटेल, आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में मजदूर साथियों एवं महिलाओं ने भागेदारी की।