विकास और विस्तारीकरण के बीच एयरपोर्ट निजी हाथों में देना गलत
निजीकरण को हरी झंडी मिलने के बाद इसका असर यात्रियों पर सबसे अधिक पड़ेगा। विकास और विस्तारीकरण के दौर से गुजरने के बाद भी एयरपोर्ट निजी हाथों में देना कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है।
वाराणसी के बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का विगत दिनों निजीकरण करने की घोषणा हुई थी। इसके बाद एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से यात्रियों का किराया बढ़ने के साथ एयरपोर्ट पर मिलने वाली अन्य सुविधाएं भी महंगी हो जाएंगी। कर्मचारियों में एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर रोष है। वहीं संविदाकर्मियों को अपनी नौकरी पर खतरा दिखाई दे रहा है।
एयरपोर्ट कर्मियों का कहना है कि इस सरकार ने कई अच्छे कार्य किए हैं लेकिन सरकारी कर्मचारियों के प्रति इनकी नीतियां स्पष्ट नहीं हैं। एयरपोर्ट यदि निजी हाथों में चला जाएगा तो यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। साथ ही यात्री सुविधाओं में भी कटौती होगी।
कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण का फैसला हैरान करने वाला है। क्योंकि एयरपोर्ट लाभ में चल रहा है। यात्रियों की संख्या भी काफी अच्छी है। जहां एक और वाराणसी एयरपोर्ट विकास व विस्तारीकरण के दौर से गुजर रहा है वहीं दूसरी ओर इसके निजीकरण का विरोध शुरू हो गया। संविदाकर्मी अपनी नौकरी पर खतरा की आशंका जता रहे है।
वाराणसी एयरपोर्ट से इस समय दिन और रात मिलाकर कुल 32 विमानों का आवागमन हो रहा है और आठ से 10 हजार यात्रियों का प्रतिदिन आवागमन हो रहा है। अभी एयरपोर्ट पर दो एयरोब्रिज हैं और दो एयरोब्रिज का निर्माण कार्य जारी है। विकास और विस्तारीकरण के दौर से गुजरने के बाद भी एयरपोर्ट निजी हाथों में देना कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है।
अमर उजाला से साभार