इंटरार्क मज़दूरों के धरने का एक साल पूरा; निकाली तिरंगा यात्रा: शोषण-उत्पीड़न नहीं सहेंगे

नहीं मानेंगे हार अपने हक की लड़ाई को अंत तक पहुंचाकर लेंगे दम! इंटरार्क मज़दूर अधिकार और जायज मांगों के साथ 1 साल से कंपनी गेट पर धरनारत हैं और शासन-प्रशासन मौन है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इंटरार्क कंपनी प्रबंधक द्वारा किए जा रहे मज़दूरों के शोषण एवं उत्पीड़न के विरोध में इन्टरार्क मजदूर संगठन ऊधम सिंह नगर व इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा के के बैनर तले कंपनी परिसर के बाहर 16 अगस्त 2021 से शुरू धरना प्रदर्शन आज भी अनवरत जारी है।
15 अगस्त 2022 को इंटरार्क मजदूरों ने श्रमिक संयुक्त मोर्चा एवं संयुक्त किसान मोर्चा और विभिन्न सामाजिक संगठनों संग मिलकर इंटरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर से रूद्रपुर होते किच्छा शहर तक एवं किच्छा से पुनः रुद्रपुर शहर तक सैकड़ों की संख्या में विशाल बाइक तिरँगा यात्रा निकाली और कार्यक्रम के अंत में गांधी पार्क रूद्रपुर में संकल्प सभा की।
इससे पूर्व कंपनी गेट पर झंडारोहण हुआ। उस दौरान इंटरार्क प्रबंधन ने पीने के पानी की सप्लाई बंद करके तुच्छ व गिरी हुई हरकत की और अपना असली चेहरा दिखाया।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज एक तरफ पूरा देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहा है ,जिन मजदूरों मेहनत कशों के वीर सपूतों ने अपनी जान पर खेलकर इस देश को आजादी दिलाई उन्हें नमन कर रहा है। किंतु आज उसी देश में मजदूर और गरीबों के ऊपर शोषण व उत्पीड़न चरम पर है। आज भी भगतसिंह के समाजवादी भारत का सपना अधूरा है। आज मजदूरों, किसानों, छात्रों, महिलाओं की सुनने वाला कोई नहीं है।
वक्ताओं ने कहा कि हर तरफ पूंजीपतियों का ही बोलबाला है, उन्हीं की ही सुनी जाती है। मजदूरों किसानों और आम जनता के खिलाफ काले कानूनों को बनाकर उनके शोषण को घनीभूत करने और उन्हें अधिकार विहीन बनाने की साजिश जोरों पर की जा रही है। हिंदू मुसलमान के नाम पर आम जनता को आपस में लड़वाकर ऊधमसिंह व भगतसिंह की विरासत को कमजोर कर देश की एकता को खंडित करने की साजिश रची जा है। जिसके खिलाफ सबको ऊधमसिंह की ही तरह राम मुहम्मद सिंह आजाद बनकर लड़ना होगा। भगतसिंह के समाजवादी भारत को साकार करने को संगठित होकर संघर्ष करना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि इंटरार्क प्रबंधन के ऊपर कोई कानून लागू नहीं होता है। मगर मजदूरों के ऊपर जो अपने अधिकारों की आवाज उठाते हैं तो उनको दबाने और डराने का काम किया जाता है उन पर झूठे मुकदमे लादकर उनका दमन किया जाता है।
यह गरीब मजदूर अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे डरने वाले नहीं ये इंटरार्क प्रबंधन को समझ लेना चाहिए।
इस दौरान यूनियन नेताओं ने कहा कि 16 अगस्त 2021 से लेकर अब तक एक साल हो चुका है। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव आए। प्रबंधकों द्वारा लगातार किच्छा एवं पंतनगर के मजदूरों को एवं उनके द्वारा चलाए जा रहे व्यापक आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। मजदूरों का मुंह बंद करने की कोशिश की, तमाम गैर कानूनी तरीके अपनाए, लेकिन मजदूरों ने हार नहीं मानी, और अपने जुझारू संघर्ष को तमाम सहयोगी संगठनों के सहयोग से निरंतर आगे की ओर बढ़ाया।
वक्ताओं ने कहा कि कंपनी प्रबंधकों द्वारा गैरकानूनी तालाबंदी कर देने के बाद भी मजदूरों के हौसले बुलंद रहे और मजदूर बहादुरी से संघर्ष के मैदान में डटे रहे। लगभग 4 महीने तक चले भीषण संघर्ष के बाद कंपनी प्रबंधन को अपनी हठधर्मिता का त्याग करते हुए तालाबंदी खोलने पर मजबूर होना पड़ा। परंतु प्रबंधन की कुटिल नीति एवं नियत उसके बाद भी जारी रही। तालाबंदी खोलने का दिखावा करने वाले प्रबंधन ने अपनी बौखलाहट एवं झुंझलाहट तथा अपने ही मजदूरों से द्वेष की भावना दिखाते हुए गैर कानूनी कृत्य एवं षड्यंत्र का अंबार लगा दिया।
यूनियन ने कहा कि तालाबंदी खोलने के बाद जैसे ही मजदूरों ने कंपनी परिसर के भीतर प्रवेश किया तो प्रबंधकों द्वारा मीटिंग के दौरान कहा गया कि जो हम कहे वही करो वरना फिर से तालाबंदी कर दी जाएगी एवं मजदूरों के ऊपर दबाव बनाना शुरू कर दिया। यूनियन तोड़ने की साजिश लगातार जारी रखी। इसमें कामयाब ना होने पर संरक्षित कर्मकार एवं पदाधिकारियों को झूठा आरोप लगाकर निलंबित करना शुरू कर दिया, जिसमें अब तक किच्छा व पंतनगर मिलाकर लगभग 70 श्रमिकों का निलंबित किया जा चुका है। उच्च प्रबंधक जो की दिल्ली से आए थे, उनका कहना था कि फैक्ट्री में यूनियन कैंसर की तरह होता है जिसे काटकर फेंक देना ही सबसे सही तरीका है।
शीर्ष प्रबंधन ने ऐलान किया था कि पदाधिकारियों समेत अपने हक की आवाज बुलंद करने वाले एवं सवालों का जवाब देने वाले 50 से 60 लोगों को एक झटके में बाहर किया जाएगा। उसके बाद धीरे-धीरे करके अन्य श्रमिकों को भी, झूठे आरोप लगाकर बाहर किया जाने लगा। इस दौरान जिला प्रशासन, शासन व श्रम विभाग समेत पूरी सत्ता कंपनी मालिक के पक्ष में खड़ी रही। मजदूरों का दमन कर अनगिनत झूठे मुकदमे मजदूरों व उनके सहयोगियों पर लाद दिये। फिर भी मजदूर विचलित न हुए।
श्रम अधिकारी के पास रुद्रपुर एवं हल्द्वानी में जब यह शिकायत की गई तो उनके द्वारा प्रबंधक पक्ष से सवाल किए गये कि कौन से कानून कि कौन सी धाराओं के अंतर्गत आप ऐसे कृत्यों को लगातार करते जा रहे हो जिसका जवाब प्रबंधक के पास नहीं था। कानून के ढीलेपन का फायदा उठाते हुए प्रबंधन लगातार मनमर्जी करते हुए मजदूरों का शोषण एवं अत्याचार की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश में लगा हुआ है।
कहा कि कभी किच्छा फैक्ट्री से उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर मशीनें निकालता है और मजदूरों द्वारा विरोध करने पर मनमर्जी करते हुए उन्हें निलंबित कर रहा है। पंतनगर में झूठे एवं आधारहीन मनगढ़ंत आरोप लगाकर मजदूरों को गैर कानूनी रूप से निलंबित किया जा रहा है।
शासन प्रशासन एवं श्रम अधिकारियों भी मान्यता है कि प्रबंधन नियम कानून को ताक पर रखकर श्रमिकों के साथ मनमर्जी व्यवहार कर रहा है जो उनके लिए भी सिरदर्द साबित हो रहा है। जिला प्रशासन एवं उत्तराखंड सरकार को हथोर रुख अपनाते हुए कंपनी प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत बनती है जिससे कि न्याय व्यवस्था एवं औद्योगिक शांति का माहौल पुनः स्थापित किया जा सके।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि बलविंदर सिंह मान जी एवं तेजेंद्र सिंह विर्क जी ने कहा कि इंटरार्क के मजदूरों ने किसान आंदोलन के दौरान कैसे अपना योगदान दिया। जिसके फलस्वरूप आज मजदूर किसान एकता के बल पर ही किसान इस आंदोलन से तन मन धन से जुड़े हैं और इसे जीत की मंजिल पर पहुंचाकर ही दम लेंगे।
बताया कि जो भी कारवाही कंपनी प्रबंधक मजदूरों के शोषण व उत्पीड़न के लिए कर रहा है वह निराधार एवं पूर्ण रूप से गैर कानूनी है अतः हम अपने हक एवं अधिकारों की लड़ाई को अपने संघर्ष के माध्यम से जारी रखेंगे और जब तक हमें हमारे हक एवं अधिकार ससम्मान वापस नहीं मिलते हैं तब तक हम संघर्ष को आगे बढ़ाते रहेंगे और प्रबंधन की हर कार्यवाही का मुंह तोड़ जवाब देते रहेंगे।
सभा में सैकड़ों मजदूर एवं किसान व सामाजिक संगठन लोग उपस्थित रहे।
15 अगस्त अमर रहे, इंकलाब जिंदाबाद, भगतसिंह का सपना समाजवाद जिंदाबाद, मजदूर किसान एकता जिंदाबाद, जब तक समाधान नहीं तब तक आराम नहीं आदि नारे लगे।
सभा को इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह व इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मुहम्मद, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता सुब्रत कुमार विश्वास, भारतीय किसान यूनियन उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के प्रभारी बलजिंदर सिंह मान, तराई किसान संगठन के तजिंदर सिंह विर्क, इंकलाबी मजदूर केंद्र कैलाश भट्ट, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, यजाकि वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रविन्द्र कुमार, गुजरात अम्बुजा कर्मकार यूनियन के साथी रामजीत सिंह, शिरडी श्रमिक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष रामगोपाल, बजाज मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष चंदन मेवाड़ी, भगवती-माइक्रोमैक्स के ठाकुर सिंह आदि ने सम्बोधित किया।