निजीकरण के विरोध में साधारण बीमा कंपनियों में एक दिन की हड़ताल सफल

सोमवार को बगैर चर्चा केंद्र सरकार ने किया था विधेयक पारित
मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के चार साधारण बीमा कंपनियों (जीआईसी) के निजीकरण के फैसले के विरोध में बीमा कर्मचारी बुधवार को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर रहे। ये कंपनियां नंबर वन स्थान पर हैं।
लोकसभा में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित किए जाने के बाद पीएसजीआई कंपनियों के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे की सोमवार को बैठक हुई और इन कंपनियों के निजीकरण के सरकार के फैसले का विरोध करने का फैसला किया।
बुधवार को नेशनल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और न्यू इंडिया इंश्योरेंस के अधिकारी और कर्मचारी देशभर में हड़ताल पर रहे। हड़ताल को बैंक अधिकारियों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन ने भी समर्थन दिया है।

मुनाफे वाली सरकारी कंपनियां निजी मुनाफाखोरों के हवाले
इस दौरान नेताओं ने सरकार पर बीमा कंपनियों को निजी हाथों में देने का आरोप लगाया। कहा कि ये कंपनियां बीमा प्रीमियम संग्रह और दावा के निपटान में नंबर वन स्थान पर हैं। जल्द संशोधन ऐक्ट वापस नहीं लिया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार बीमा कंपनियों की 51 फीसदी हिस्सेदारी कम कर रही है। इससे बीमा कंपनियों को बेचने का रास्ता साफ हो गया है। सरकारी बीमा कंपनियों के सभी अधिकारी व कर्मचारी ऐक्ट के संशोधन का विरोध करते हैं।
अखिल भारतीय सामान्य बीमा कर्मचारी संघ के महासचिव के. गोविंदन ने कहा कि यूनियनों ने लोकसभा में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित किए जाने के खिलाफ एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया। पीएसजीआई की सभी चार कंपनियों के कर्मचारी दिन भर की हड़ताल पर रहे।

अलोकतांत्रिक तरीके से बगैर चर्चा विधेयक पारित
पेगासस जासूसी और अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के लगातार विरोध के बीच लोकसभा ने सोमवार को बिना चर्चा के लोकसभा में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित कर दिया। यह विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पेश हुआ। विधेयक से केंद्र सरकार किसी बीमा कंपनी में 51 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी रख सकती है।
इस प्रकार विदेशी पूँजी के लिए भी रास्ता खोलने के साथ, मुनाफे वाली इन कंपनियों का निजीकरण किया जा सकता है।
मंत्री का तर्क हास्यास्पद
अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ (एआईआईईए) ने कहा कि इन उपायों के चलते सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की सभी चार सामान्य बीमा कंपनियों और पुनर्बीमाकर्ता जीआईसी का निजीकरण कर सकेगी। एआईआईईए ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री का यह तर्क हास्यास्पद लगता है कि यह निजीकरण नहीं है, बल्कि अधिक से अधिक निजी भागीदारी की दिशा में उठाया गया कदम है।’’