गोमूत्र-गोबर विरोधी पोस्ट पर लगा एनएसए, सुप्रीम कोर्ट ने दिया तत्काल रिहाई का आदेश

प्रतिशोध : मणिपुर के पत्रकार वांगखेम और एक्टिविस्ट एरेन्द्रो की हुई थी गिरफ्तारी
मणिपुर के एक्टिविस्ट एरेन्ड्रो लीचोम्बम को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। फेसबुक पोस्ट ‘गोबर या गोमूत्र से कोविड का इलाज नहीं होगा’ पर एरेन्ड्रो को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। उनके पिता ने इसको चुनौती दी थी।
एक्टिविस्ट लीचोम्बम के पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्टिविस्ट एरेन्ड्रो लीचोम्बम एक दिन भी हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। उसकी लगातार हिरासत अनुच्छेद 21 -जीने के अधिकार- का उल्लंघन करती है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि एक्टिविस्ट को आज शाम 5 बजे तक 1000 रुपये के निजी मुचलके के साथ रिहा किया जाना चाहिए।
गोमूत्र और गोबर से कोरोना ठीक नहीं होगा लिखना बना गुनाह
दरअसल मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम और राजनीतिक एक्टिविस्ट एरेन्द्रो लेइचोमबम के खिलाफ ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए)’ के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन दोनों के खिलाफ भाजपा महासचिव पी प्रेमानंद मितेई और पार्टी के उपाध्यक्ष उषम देबाम की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था।

मणिपुर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर साइखोम टिकेंद्र सिंह के निधन के बाद इन दोनों ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखा था कि गोमूत्र और गोबर से कोरोना ठीक नहीं हो सकता।
क्या लिखा था पोस्ट में?
वांगखेम ने लिखा था, “गोबर और गोमूत्र कोरोना को ठीक नहीं कर सकते। ये एक आधारहीन तर्क है। अब कल हम मछली खाएँगे।” वहीं लेइचोमबम ने लिखा था, “कोरोना गोबर व गोमूत्र से नहीं, बल्कि विज्ञान और कॉमन सेन्स से ठीक होता है। प्रोफेसर जी की आत्मा को शांति मिले।”
इन्हें 13 मई 13, 2021 को गिरफ्तार कर के पुलिस कस्टडी में भेजा गया था। बाद में इन दोनों को अदालत से जमानत मिल गई थी।
इस बीच 17 मई को इम्फाल वेस्ट के डीएम द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार 40 वर्षीय लेइचोमबम और 41 वर्षीय वांगखेम के खिलाफ एनएसए की धाराएँ लगाई गईं।
एरेंड्रो के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
मणिपुरी कार्यकर्ता एरेंड्रो लीचोम्बम के पिता ने एनएसए के तहत उनकी नजरबंदी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। लीचोम्बम के वकील शादान फरासत ने कहा कि कार्यकर्ता की नजरबंदी गोबर की वकालत करने के लिए भाजपा नेताओं के खिलाफ उनकी आलोचना के लिए एक प्रतिशोध है।
गिरफ्तारी भाजपा का प्रतिशोध है
बार और बेंच ने याचिका का हवाला देते हुए कहा, “मणिपुरी के राजनीतिक कार्यकर्ता, इरेंड्रो को पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की आलोचना के लिए दंडित करने के लिए हिरासत में लिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि पूरी तरह से संवैधानिक रूप से संरक्षित और जनहित में किए गए पूरी तरह से अहानिकर भाषण को रोकने के लिए निवारक निरोध कानून के दुरुपयोग का एक चौंकाने वाला उदाहरण है।
याचिका में कहा कि कार्यकर्ता की नजरबंदी 30 अप्रैल, 2021 को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवमानना थी, जिसमें कोविड-19 के स्वत: संज्ञान मामले में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि किसी को भी दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
40 दिन से जबरिया हिरासत में
सोशल मीडिया पर कोविड नीतियों की आलोचना के लिए, एरेन्ड्रो ने याचिका दायर करने की तारीख तक 40 दिन हिरासत में बिताए हैं। आलोचना के लिए शुरू किए गए आपराधिक मामलों के अनुसार 4 दिन पुलिस हिरासत में, और शेष 36 दिन जमानत देने के बाद निवारक हिरासत में हैं।
इंफाल पश्चिम जिला मजिस्ट्रेट, टी. किरणकुमार ने 17 मई को कड़े एनएसए के तहत उन्हें इस आधार पर हिरासत में लेने का आदेश दिया कि उनके पद “सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव को खतरे में डाल सकते हैं”। तब से, दोनों इंफाल की साजीवा जेल में बिना किसी मुकदमे के बंद हैं।