लो अब वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकट में मिलने वाली छूट भी हुई खत्म

तमाम सुविधाओं को छीनने के क्रम में मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों, सहित ज्यादातर श्रेणियों को रेल किराये की रियायतों को पहले कोविड के बहाने स्थगित किया और अंततः खत्म कर दिया।
लॉकडाउन के बाद रेल सेवाएं सामान्य होने से, जो वरिष्ठ नागरिक रेल टिकट में छूट की पुरानी व्यवस्था बहाल होने की उम्मीद कर रहे थे, वे खुश हो लें! जय मोदी के नारे जोर से लगाएं! अब मोदी सरकार ऐसे यात्रियों को कोई रियायत देने से सीधे इंकार कर दिया है।
ऐसा होना भी था! मोदी सरकार आम जनता को सुविधाएं देने नहीं, छीनने का तो काम कर रही है। आखिर थैलिशाहों को सुविधाएं वह कहाँ से देगी! बाकी जनता से छीन कर ही न! वह तो आपदा ने अवसर दे दिया, तो स्थगित करने के नाम पर छिना! वक़्त गुजर गया, सो गुजर गया!
रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने साफ कर दिया है कि पहले से ही यात्रियों का किराया कम है। ऐसे में टिकट पर और रियायत नहीं दी जा सकती है। रेल मंत्री के बयान से साफ है कि कोविड-19 से पहले वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट पर मिलने वाली छूट अब बहाल नहीं की जाएगी।
दूसरी ओर, रेलवे ने एक और मुनाफाखोर फैसला लेते हुए प्रीमियम ट्रेनों में कैटरिंग सर्विस के दरों में कुछ बदलाव किए हैं। नए नियमों के मुताबिक, अब अगर यात्री ने पहले से खाना-नास्ता बुक नहीं कराया तो ट्रेनों में खाना लेने पर 50 रुपये अतिरिक्त सर्विस चार्ज चुकाने होंगे। उन्हें चाय के लिए 20 रुपये का भुगतान करना होगा।
किराए में छूट बहाली का इंतजार न करें
दरअसल, बुधवार को लोकसभा में ट्रेन में सफर करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ शब्दों में कहा कि ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए किराए में छूट को फिर से बहाल करने का इंतजार न करें।
60 से अधिक उम्र के पुरुषों और 58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में रखा जाता है। कोरोना के पहले राजधानी और शताब्दी समेत सभी ट्रेनों में सीनियर सिटीजन को टिकटों पर 50 फीसदी तक की छूट मिलती थी। लेकिन कोरोना काल के बाद रेल सेवा शुरू होने पर इस सुविधा को बहाल नहीं किया गया।
यही नहीं भारतीय रेल ने खिलाड़ी, ट्रांसजेंडर, युद्ध शहीद विधवा, वरिष्ठ नागरिकों सहित 12 श्रेणियों के रियायती किराए की सुविधा को खत्म करके सिर्फ तीन श्रेणियों तक सीमित कर दिया है। इनमें चार श्रेणी के दिव्यांग, 11 कैटेगरी के मरीज और छात्र शामिल हैं।
दरअसल 2020 में मोदी सरकार ने कोरोना की आड़ में वरिष्ठ नागरिकों सहित 53 श्रेणी में टिकट पर मिलने वाली छूट बंद कर दी थी। उस वक़्त तर्क दिया गया था कि इससे यात्री अधिक यात्रा करने से हतोत्साहित होंगे और कोरोना को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। स्पष्ट है कि कोरोना सिर्फ बहाना था।
सुविधा बंद करके रेलवे की हुई बम्पर कमाई
भारतीय रेलवे के अनुसार रेल किराए में दी जाने वाली छूट को बंद करने से रेलवे ने साल 2020 में 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कमाई की थी।
एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 20 मार्च, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2022 तक 7.31 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेनों में सफर किया, जिन्हें किराए में किसी तरह की छूट नहीं दी गई थी।
यानी 7.31 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों के साथ ऐसी छूट का लाभ उठाने वाले करोड़ों जनता पर एक बड़ा हमला है।
यह सुविधाओं को छीनने का दौर है
दरअसल नव उदारवाद के इस दौर में कल्याणकारी राज्य की पूरी अवधारणा ही नष्ट कर दी गई है। जसन, गैस, तेल, बिजली, पनि, दवा-इलाज, शिक्षा, परिवहन से लेकर बुढ़ापे का सहारा पेंशन तक वह सबकुछ छीनता गया, जो तमाम संघर्षों के बाद थोड़ी बहुत राहत व सामाजिक सुरक्षा हासिल हुई थी।
मोदी सरकार ने उदारीकरण के कॉरपोरेटपक्षीय इस घोड़े को चुनावी डर व लोकलज्जा से बेखौफ दबंगाई के साथ बेलगाम कर दिया है, क्योंकि मोदी भक्त सबकुछ सहकार जयजयकार में लगे हुए हैं!