रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों का देशव्यापी विरोध, गिरफ़्तारी की माँग

विभिन्न राज्यों में पुलिस को मुक़दमा दर्ज करने का दिया पत्र
ऐलोपैथी पर रामदेव की आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ चिकित्सकों ने देशभर में मोर्चा खोल दिया है। आज मंगलवार को देशभर में चिकित्सकों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत जोरदार प्रदर्शन किया। चिकित्सकों की माँग है कि या तो रामदेव बिना शर्त माफी मांगें या उनके खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने प्रदर्शन का आह्वान 29 मई को किया था और इस बात पर जोर दिया था कि आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होने दी जाएंगी।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और फेमा समेत देश व राज्य स्तर के संगठनों ने रामदेव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
प्रदर्शन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, झारखंड, बंगाल राजस्थान आदि के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टर्स और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी हिस्सा लिया।

‘रामदेव पैथी में तेल नहीं, कोरोना का इलाज खेल नहीं‘
चिकित्सकों ने विरोध संदेश लिखे प्लेकार्ड ले रखे थे जिसपर लिखा गया है कि, ‘रामदेव पैथी में तेल नहीं, कोरोना का इलाज खेल नहीं’, ‘रामदेव पैथी हटाओ, देश बचाओ’, ‘जिन्हें कोरोना शहीदों का सम्मान नहीं, हमें उनका सम्मान नहीं’। कुछ चिकित्सकों ने ऐसी पीपीई किट पहन रखी थीं, जिनके पीछे ‘काला दिवस प्रदर्शन’ व #रामदेव को गिरफ्तार करो लिखा था।

रामदेव को एलोपैथी के बारे में बोलने की योग्यता नहीं
फोर्डा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह तो ऐलोपैथी के बारे में बोलने तक की योग्यता नहीं रखते हैं। इससे चिकित्सकों का मनोबल प्रभावित हुआ है जो (कोविड-19) महामारी से हर दिन लड़ रहे हैं।
फोर्डा के अधिकारी ने बताया, विरोध स्वरूप कई चिकित्सकों ने बांहों पर काली पट्टी बांधी है। अन्य शहरों के चिकित्सक भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।

फोर्डा इंडिया ने एक बयान में शनिवार को कहा था कि रामदेव के बयानों के प्रति आपत्ति जताए जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किए बिना कार्यस्थलों पर एक जून, 2021 को राष्ट्रव्यापी काला दिवस प्रदर्शन की घोषणा कर रहे हैं।
फोर्डा ने यह भी आरोप लगाया कि रामदेव की टिप्पणी ने लोगों में टीकों को लेकर हिचकिचाहट भी बढ़ाई है।
एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा कि रामदेव की ऐसी ‘‘अपमानजक टिप्पणियां स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ हिंसा भड़काएंगी और इससे जन स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह ठप हो जाएगी।’’
सारे संगठनों की माँग है कि वह सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगे या उनके खिलाफ महामारी रोग कानून, 1897 की प्रासंगिक धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।

रामदेव ने मारी पलटी, डॉक्टर असन्तुष्ट
गौरतलब है कि एक वायरल वीडियो क्लिप में, रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “कोविड-19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग मर गये।” उन्हें कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए भी सुना जा सकता है।
यही नहीं, रामदेव ने ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ‘‘खुले पत्र’’ में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) से 25 प्रश्न पूछे। जिसका डॉक्टरों ने बिंदुबर जवाब देकर लाला रमादेव की हेंकड़ी बंद कर दी।

चिकित्सकों के संघ के जबरदस्त विरोध के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ बयान वापस लेने के लिए कहा। इसके बाद ही रामदेव ने अपना बयान वापस लिया था। हालांकि आइएमए और डॉक्टर्स रामदेव की सफाई से संतुष्ट नहीं हुए हैं और विवाद बरकरार है।
चारों तरफ से घिरते जा रहे लाला रामदेव ने अब पलटी मरते हुए कहा कि हमारा अभियान एलोपैथी या एलोपैथिक चिकित्सकों के खिलाफ नहीं उन ड्रग माफियाओं के खिलाफ है, जो दो रुपये की दवा को दो हजार रुपये की बेचते हैं।
देशभर में विरोध प्रदर्शन की झलकी

दिल्ली :
दिल्ली के रेजिडेंट चिकित्सकों ने काली पट्टियां और रिबन पहनकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में एम्स, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज-अस्पताल, हिंदूराव अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, बी.आर. आंबेडकर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों के डॉक्टर्स शामिल हुए।

गुजरात :
अहमदाबाद : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की गुजरात इकाई और अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ डॉक्टरों एवं पदाधिकारियों ने नवरंगपुरा पुलिस को अलग-अलग आवेदन दिए तथा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
संगठनों ने पुलिस से रामदेव के विरुद्ध महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की अपील की।
पश्चिम बंगाल :
कोलकाता : भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की बंगाल इकाई ने रामदेव के खिलाफ कोलकाता के सिंथी थाने में शिकायत दर्ज कराई है जिसमें रामदेव पर महामारी के दौरान “भ्रामक और झूठी जानकारी” देने के साथ जनता के बीच भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया गया है।
उत्तराखंड :
उत्तराखंड के निजी व सरकारी चिकित्सक रामदेव की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मंगलवार को काला दिवस मनाया। इस दौरान चिकित्सक काली पट्टी बांधकर काम किया। सरकारी एवं निजी मेडिकल कालेजों के छात्र भी इस आंदोलन में शामिल हुए हैं।
इधर, प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ ने स्वास्थ्य कर्मियों से पतंजलि के सभी उत्पादों के बहिष्कार और अपने नाते-रिश्तेदारों को भी इस ओर प्रेरित करने की अपील की है। इसके अलावा झारखंड और गुजरात में भी डाक्टर बाबा के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं।
रामदेव के खिलाफ आइएमए की उत्तराखंड शाखा पहले ही एक हजार करोड़ की मानहानि का नोटिस भेज चुकी है। वहीं, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की जा रही है।

पंजाब :
पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (PCMSA) ने रामदेव के “अपमानजनक, भड़काऊ और गैर-इरादतन” बयानों के बावजूद सरकार द्वारा निष्क्रियता दिखाने पर काला दिवस मनाया। राज्य भर के पीसीएमएस डॉक्टरों ने ड्यूटी के दौरान काला बिल्ला पहने रखा। पीसीएमएस ने कहा कि महामारी से लड़ते शहीद हुए हमारे साथी कोविड योद्धाओं द्वारा बलिदान का मजाक पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

“किसी का बाप उसे गिरफ्तार नहीं कर सकता”
दरअसल लाला रामदेव ऐसे व्यापारिक साम्राज्य के अगुआ है, जो एक तरह से सब कुछ बेचता है- साबुन, तेल, बिस्किट, आटा, तेल, घी, डिटर्जेन्ट, जीन्स, जड़ी-बूटी वाली दवाएं और गोमूत्र तक। लेकिन वह ऐसे ‘टीवी पर दिखने वाले चेहरे’ हैं जो योग सिखाते हैं और सिखाते-सिखाते ही अपनी जड़ी-बूटी वाली दवाओं का प्रचार करने लगते हैं। भारतीय जनता पार्टी के साथ उनके पुराने और गहरे रिश्ते हैं।
मीडिया में रामदेव के खिलाफ बहुत कुछ न छपने-दिखाने की बड़ी वजह यह है कि पतंजलि समूह बड़ा विज्ञापनदाता है। उसे सरकार का संरक्षण भी प्राप्त है इसलिए मुख्यधारा का मीडिया उसके खिलाफ कुछ छापने-दिखाने से कतराता है।
इसीलिए वह कहता है कि किसी का बाप उसे गिरफ्तार नहीं कर सकता!