नैनीताल हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का दिया आदेश। अतिक्रमण क्यों? बस्ती खाली कराने गए रेलवे प्रशासन के खिलाफ लोगों ने की नारेबाजी, विरोध के बाद फिलहाल प्रशासन गया वापस। हल्द्वानी, नैनीताल। रेलवे द्वारा नगीना कॉलोनी, लालकुआं (नैनीताल) उत्तराखंड को खाली करने का नोटिस लगाये जाने के विरोध में 17 मई को नगीना कॉलोनी बचाओ संघर्ष समिति, लालकुआं (नैनीताल) द्वारा बुद्ध पार्क, तिकोनिया हल्द्वानी में प्रतिरोध सभा आयोजित की। प्रतिरोध सभा के बाद बुद्ध पार्क से उप जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकालते हुए उप जिलाधिकारी के माध्यम से कुमाऊं कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा गया। नागरिकों के सिर पर बेदखली की तलवार, लोगों का प्रतिरोध 17 मई को हाईकोर्ट नैनीताल में लालकुआं रेलवे भूमि कथित अतिक्रमण मामले पर सुनवाई हुई। जिसमें मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने कालोनी वासियों की याचिका को निरस्त करते हुए रेलवे को बस्ती खाली कराने के आदेश दे दिये। इस बीच शाम को रेलवे प्रशासन की ओर से बस्ती को खाली कराने की घोषणा के लिए टीम गई। बस्ती खाली कराने गए रेलवे प्रशासन के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की। विरोध के बाद फिलहाल प्रशासन वापस चला गया, लेकिन नागरिकों के सिर पर बेदखली की तलवार लटकी हुई है। https://mehnatkash.in/2023/05/08/uttarakhand-voice-raised-in-lalkuan-against-the-notice-issued-by-the-railways-to-vacate-the-houses/ प्रतिरोध सभा में कहा- बस्ती अवैध कैसे? हल्द्वानी प्रदर्शन के दौरान चली प्रतिरोध सभा में वक्ताओं ने कहा कि पिछले 40-50 से अधिक सालों से लोग नगीना कॉलोनी में निवास कर रहे हैं। 3 मई को रेलवे ने 10 दिन के अंदर कॉलोनी खाली करने का नोटिस लगाया है। जोकि सरासर गलत है। रेलवे इससे पहले भी कई बार कॉलोनी में नोटिस चस्पा कर चुका है। कॉलोनी वासियों के पास वोटर कार्ड सहित विभिन्न पहचान पत्र हैं। यहां बिजली-पानी कनेक्शन, सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, राशन की दुकान (कंट्रोल), स्थाई निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र इत्यादि भी मौजूद हैं। ऐसे में यह कालोनी भला कैसे अवैध है? नगीना कालोनी में रहने वाले लोग गरीब, मजदूर-मेहनतकश है। जो राजमिस्त्री, बढ़ई, मजदूरी, फड़, ठेला, सेंचुरी कंपनी में ठेका मजदूर, गौला नदी में मजदूरी इत्यादि जगह मज़दूरी का काम करते हैं। गरीब, मजदूर-मेहनतकश अपनी मेहनत और हुनर से लालकुआं शहर सहित आस-पास के इलाकों को भी बनाने और सजाने-सवारने का काम करते हैं। वे देश की लोकसभा हेतु सांसद और प्रदेश की विधानसभा हेतु विधायक भी चुनकर भेजते हैं। लेकिन इसके बावजूद उनकी कालोनी को अवैध बताकर खाली करने का नोटिस लगाया जा रहा है और बार-बार लगाया जा रहा है। जो कि सरासर अन्याय है। कॉलोनी में सरकारों ने पिछले कई वर्षों से एक नागरिक के बतौर नागरिक की सुविधाएं दी गई हैं। (2014 में इस कॉलोनी को बिन्दुखत्ता नगर पालिका में शामिल किया गया था। बाद में नगरपालिका वापस हो गई थी।) पहले उत्तर प्रदेश सरकार फिर उत्तराखंड सरकार ने तो अपनी भूमि पर ही यह सुविधाएं दी। फिर क्यों बार-बार नोटिस लगाकर कॉलोनी वासियों को परेशान किया जा रहा है? वक्ताओं ने कहा कि हमारे देश के अंदर जहां भी गरीब, मेहनतकश लोग रहते हैं, उनके साथ में सरकारें इसी तरह का अन्याय कर रही हैं। कहीं रेलवे की भूमि के नाम पर, कहीं किसी अन्य नाम पर मेहनतकशों की जमीन खाली कराई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था 'जहां झुग्गी, वहां मकान'। यहां नगीना कॉलोनी में तो उल्टा हाल किया जा रहा है। कच्चे मकान और झुग्गी झोपड़ी वालों को पक्के मकान देने की जगह उनके झोपड़ियों को ही हटाया जा रहा है । प्रधानमंत्री जी के इन बातों का क्या हुआ? अभी हाल ही में हल्द्वानी के बनभूलपुरा के हजारों लोगों को उनके घरों से बेदखल करने का आदेश उच्च न्यायलय, उत्तराखंड ने दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये स्टे के उपरांत फिलहाल रुका हुआ है। सरकारें गरीबों के घरों को उजाड़ रही हैं ताकि उनकी जगहों पर देशी-विदेशी कॉर्पोरेट पूंजीपति अपने होटल, रिजॉर्ट, माल इत्यादि बना सके और मुनाफे के केन्द्र खोल सकें। गरीब, मजदूर लोग उनके कच्चे मकान, झुग्गी झोपड़ियां खाली हो जाएंगी तो वह कहां जाएंगे? उनके छोटे-छोटे दूध मोहे बच्चों सहित स्कूल पढ़ने वाले छात्र कहां जाएंगे? गर्भवती महिलाओं, बीमार, बूढ़े लोगों का क्या होगा। इन्हीं सब चिंताओं के बावजूद भी कॉलोनी के लोग लंबी लड़ाई के लिए कमर कस रहे हैं। वह संघर्षों के लिए मज़बूती से आगे बढ़ रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं, मज़दूरों, छात्र-नौजवानों ने भागीदारी की। प्रतिरोध सभा का संचालन नगीना कॉलोनी बचाओ संघर्ष समिति की अध्यक्ष बिंदू गुप्ता और सचिव अंचल कुमार ने संयुक्त रूप से किया। प्रतिरोध सभा में प्रगतिशील महीला एकता केंद्र से रजनी, पुष्पा, परिवर्तनकामी छात्र संगठन से महेश, चंदन, प्रियंका, अनुराग, इंकलाबी मजदूर केंद्र से कैलाश, सुरेंद्र, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी.सी. तिवारी, प्रगतिशील युवा संगठन से रमेश, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से मोहन, इंट्रार्क मजदूर संगठन से देवेन्द्र के अलावा बड़ी संख्या में कालोनी वासियों ने भागीदारी की।