नैनीताल हाईकोर्ट से इंटरार्क मज़दूरों के ट्रांसफर पर लगी रोक, संघर्ष में मज़दूरों की फिर जीत

Intarark_HC-1

नहीं आये काम ऊधमसिंह नगर के शासन, प्रशासन; आखिरकार इन्टरार्क मज़दूरों को उच्च न्यायालय नैनीताल का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जहाँ से राहत मिली। -इंटरार्क मजदूर संगठन

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इंटरार्क कंपनी के सिडकुल पन्तनगर और किच्छा प्लांट के 32 मजदूरों के उत्तराखंड राज्य से बाहर अविधिक रूप से किये गए स्थानांतरण पर आज 24 मई को हाईकोर्ट नैनीताल ने स्टे (रोक) लगा दिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रबंधन पक्ष को काफी लताड़ लगाई।

इंटरार्क मजदूर संगठन ने कहा कि एक फिर से असत्य पर सत्य की जीत हुई और असत्य की हार हुई। इस आदेश के बाद लंबे समय से संघर्षरत इंटरार्क मज़दूरों की कार्यबहाली का रास्ता साफ हो गया।

https://mehnatkash.in/2023/05/07/the-women-of-interarc-workers-roared-in-the-protest-meeting-and-huge-march/

लंबे संघर्ष के बाद हुआ था समझौता

इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. पंतनगर और किच्छा में करीब 16 माह चले लंबे संघर्ष के पश्चात अपरजिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर, पुलिस अधीक्षक एवं सहायक श्रमायुक्त समेत ऊधमसिंह नगर जिले के उच्च अधिकारियों की मध्यस्थता में इंटरार्क प्रबंधन एवं मजदूर यूनियन प्रतिनिधियों के मध्य 15 दिसंबर 2022 को लिखित समझौता संपन्न हुआ था।

समझौते के तहत आंदोलन के दौरान निलंबित 51 मजदूरों एवं बर्खास्त 13 मजदूरों सहित सभी 64 मजदूरों की कार्यबहाली करने और मजदूरों के वेतन में 1700 रुपये की वृद्धि आदि शामिल थे।

64 निलंबित एवं निष्कासित मजदूरों में से 34 मजदूरों को 3 माह की अवधि के लिए ओडी हेतु उत्तराखंड राज्य से बाहर जाना था और शेष 30 मजदूरों की किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट में कार्यबहाली होनी थी।

https://mehnatkash.in/2022/12/18/agreement-concluded-in-interarc-after-a-long-struggle-64-suspended-workers-reinstated/

इंटरार्क प्रबंधन समझौते से मुकर गया

उक्त 34 मजदूर जब ओडी अवधि पूरी करके वापस आये और किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट में ड्यूटी के लिए उपस्थित हुए तो कंपनी प्रबंधन उनकी कार्यबहाली कराने से मना कर दिया और छल कपट की नीति पर चलकर उक्त समझौते से मुकर गया।

प्रबंधन ने समस्त 32 मज़दूरों की गैरकानूनी रूप से राज्य से बाहर स्थानांतरण का आदेश जारी कर दिया। जबकि समझौते के तहत 3 माह की ओडी से वापसी के बाद उनकी अपने प्लांट में ही तैनाती होनी थी। यही नहीं उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा जुलाई 2020 में आदेश जारी कर मजदूरों के उत्तराखंड राज्य से बाहर ट्रांसफर करने पर रोक लगाई हुई है।

लेकिन इंटरार्क प्रबंधन इन सबको ठेंगा दिखलकर मनमानी पर उतारू हो गया। प्रशासन भी समझौते का अनुपालन कराने और उच्च न्यायालय के आदेश का भी पालन कराने से हाथ खड़े करने लगा।

ऐसे में इंटरार्क मजदूर संगठन के नेतृत्व में पंतनगर व किच्छा के मज़दूरों और उनकी महिलाओं व बच्चों ने फिर से आंदोलन की राह पकड़ी। इसी के साथ यूनियन ने उच्च न्यायालय नैनीताल में अपील दायर की, जहाँ से मज़दूरों को जीत मिली है।

https://mehnatkash.in/2023/05/03/children-of-interarc-workers-gave-memorandum-to-kumaon-commissioner/

मज़दूरों के संघर्ष की जीत

इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधम सिंह नगर के महामंत्री सौरभ कुमार ने कहा कि यह जीत यूनियन के उन सभी जुझारू और प्यारे सदस्यों की जीत है जिन्होंने इस मुश्किल समय में भी यूनियन के साथ चट्टान की तरह खड़े रहकर और अपनी कमजोर आर्थिक स्थितियों के बाद भी यूनियन को समय पर चन्दा अदा कर यूनियन के नेताओं का मनोबल बढ़ाया।

इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मुहम्मद ने कहा कि यह जीत उन जुझारू साथियों की जीत है जिन्होंने नकारात्मक बातों को दरकिनार कर हमेशा सकारात्मक माहौल बनाकर यूनियन नेतृत्व पर भरोसा दिलाया और जुझारू साथियों का मनोबल गिराने वाले लोगों को भी यूनियन के प्रति भरोसा करने और बहादुर सिपाहियों की तरह आचरण करने की सीख दी।

दलजीत सिंह ने कहा कि यह जीत इंटरार्क पन्तनगर और किच्छा प्लांट के मजदूरों की अटूट एकता और भाईचारे की जीत है। साथ ही संघर्ष में शामिल होकर मनोबल बढ़ाने वाले श्रमिक संयुक्त मोर्चा और उससे जुड़े समस्त ट्रेड यूनियनों और सामाजिक संगठनों के साथियों की जीत है।

यह जीत वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत और डीएस मेहता की मजबूत पैरवी और इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा सही समय पर दी गई सही सलाह के बदौलत हासिल हुई है।

बीरेंद्र कुमार ने कहा कि नहीं आये काम ऊधमसिंह नगर के शासन, प्रशासन। आखिरकार इन्टरार्क मजदूरों को उच्च न्यायालय नैनीताल का दरवाजा खटखटाना पड़ा और वहाँ से मिली राहत।

यूनियन ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि सभी मजदूर साथी मिलकर पी डी पी एल, माइक्रोमैक्स और जायड्स सहित सभी कंपनियों के संघर्षरत मजदूर साथियों को जीत की मंजिल तक अवश्य ही ले जाएंगे और इस हेतु मजदूर भाईचारे के झंडे को बुलन्द करेंगे।

भूली-बिसरी ख़बरे