मुंबई: भाजपा सरकार ने अगस्त क्रांति दिवस पर रैली निकालने से रोका; गांधीजी के प्रपौत्र हिरासत में

एक शर्मनाक घटना में स्वतंत्रता सेनानी डॉ जी जी पारिख को रोका गया, गांधी जी के प्रपौत्र तुषार गांधी को पुलिस स्टेशन ले जाया गया। 50 कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया।
मुंबई। बुधवार को ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की 81वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में कार्यक्रम को महाराष्ट्र की भाजपा नीत सरकार ने रोकने का प्रयास किया।
स्वतंत्रता सेनानी डॉ जी जी पारिख को अगस्त क्रांति मैदान पहुंचने से रोका गया, गांधी जी के प्रपौत्र तुषार गांधी को शांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले जाया गया। तीस्ता सीतलवाड को उनके आवास से निकलने से रोका गया। उनके साथ 50 कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया।
यह वही मैदान है जहां से महात्मा गांधी ने आजादी के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया था। ऐतिहासिक घटना से जुड़े होने के कारण गोवालिया टैंक को बाद में अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाने लगा।
दरअसल, हर साल ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की बरसी पर पीपुल्स मूवमेंट के तौर पर गिरगांव चौपाटी पर तिलक प्रतिमा से अगस्त क्रांति मैदान तक मार्च निकाला जाता है। पुलिस ने बुधवार सुबह तुषार गांधी और तीस्ता सीतलवाड़ को मार्च में शामिल न होने के लिए कहा था। बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
पुलिस के अनुसार कानून-व्यवस्था एवं सुरक्षा संबंधी मामलों के कारण रैली की अनुमति नहीं दी गई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि तुषार गांधी उपनगर सांताक्रूज में अपने आवास से जब बाहर निकले, तो उन्हें बताया गया कि वह रैली में भाग लेने नहीं जा सकते क्योंकि इसकी अनुमति नहीं दी गई है।
तुषार गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘आजाद भारत के इतिहास में पहली बार मुझे हिरासत में लिया गया है। मैं नौ अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की बरसी मनाने के लिए घर से बाहर निकला था और सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में हिरासत में ले लिया गया। …मुझे अपने दादा-दादी महात्मा गांधी और बा पर गर्व है जिन्हें इसी ऐतिहासिक तारीख पर अंग्रेजों ने हिरासत में लिया था।’’
आयोजकों द्वारा कि गई निंदा-
“भारत छोड़ो के दिन पे, गांधीजी का पड़पोता जेल में!!”
आज, महात्मा गांधी के नेतृत्व में ऐतिहासिक भारत छोड़ो आंदोलन की 81वीं वर्षगांठ पर, हमने महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले शासन द्वारा कठोर कार्रवाई देखी है। हमारे अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी 1943 से ही हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इस महान दिन को याद करते आ रहे हैं। डॉ. जी.जी. पारिख, जो 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेते समय एक युवा छात्र थे, और जो 99 वर्ष की आयु में भी इस मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। घटनाओं के इस विचित्र मोड़ पर वे पूरी तरह से व्याकुल हैं।
यह वास्तव में पहली बार है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इस दिन को मनाने का प्रयास कर रही है, एक ऐसा दिन जिसका उनके वैचारिक पूर्ववर्तियों ने विरोध किया था, यहां तक कि आरएसएस और हिंदू महासभा ने ब्रिटिश साम्राज्य के साथ मिलीभगत की थी। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी विज्ञापन में भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र तक नहीं है। यह एक बार फिर स्पष्ट है कि भाजपा-आरएसएस हमारे स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने और विकृत करने की पूरी या बल्कि सबसे बुरी कोशिश कर रहे हैं।
फिलहाल करीब 50 कार्यकर्ताओं को डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया है और आधिकारिक कार्यक्रम खत्म होने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाएगा।
इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि सुबह-सुबह ही पुलिस तुषार गांधी और तीस्ता सेतलवाड़ के आवास पर गई और उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया कि उन्हें अगस्त क्रांति मैदान में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बाद में, तुषार गांधी को सांताक्रूज़ पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जबकि तीस्ता सेतलवाड़ को घर के अंदर रहने के लिए कहा गया।
हर साल, हम, पीपुल्स मूवमेंट के रूप में, गिरगांव चौपाटी पर तिलक प्रतिमा से अगस्त क्रांति मैदान तक मार्च करके “भारत छोड़ो आंदोलन” मनाते हैं। लेकिन इस वर्ष, हमें इस सांप्रदायिक फासीवादी शासन द्वारा रोका गया है।
हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के इस ऐतिहासिक दिन पर इस अभूतपूर्व कार्रवाई ने हमारे लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर इस हमले का विरोध जारी रखने के हमारे संकल्प को मजबूत किया है। इस दिन, हम अपने स्वतंत्रता संग्राम की परंपराओं के अनुसार जीने और अपने देश और अपने लोगों की रक्षा करना जारी रखने की शपथ लेते हैं।
मधु मोहिते, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, गुड्डी एस.एल. प्रभाकर नारकर, विश्वास उथगी और पूनम कनोजिया।