मोदी-योगी सरकार की किसानों से धोखा, जनता से धोखा : चुनावी राज्यों में अभियान चलाएंगे किसान

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यूपी के 57 किसान संगठनों के साथ मिलकर एसकेएम उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के चुनाव में लोगों को बताएगा कि कैसे भाजपा ने किसानों के साथ धोखा किया है। सरकार ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया।

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संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में मोदी सरकार की किसानों से वायदाखिलाफी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है।

दिल्ली में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति की अहम बैठक के बाद प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेताओं ने मोदी सरकार की धोखाधड़ी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है।

इसके तहत छोटी-छोटी बैठकें भी की जाएंगी और सरकार की जनविरोधी नीतियों के बारे में बताया जाएगा। केंद्र सरकार ने जो वादे पूरे नहीं किए उसके बारे में जनता के बीच प्रचार किया जाएगा। लखीमपुर खीरी मामले को भी उठाया जाएगा। अभी तक आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने हुए हैं, जबकि उन्हें बर्खास्त करने की मांग किसान संगठनों की ओर से उठी थी।

पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि 5 बिंदु पर सहमति बनी थी और उसी आधार पर हमने आंदोलन को स्थगित किया था। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी पर कानून को लेकर समिति बनाने, किसानों पर मुकदमें को वापस लेने, पराली पर जुर्माने के प्रविधान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना रुख स्पष्ट किया।किसान विरोधी सरकार के खिलाफ चुनाव में पोल खोलने का निर्णय लिया गया है। तय हुआ कि पर्चा छापकर गांव गांव बांटा जाएगा। किसान आंदोलन व लखीमपुर खीरी घटना से भाजपा का ग्राफ गिरा है।

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उल्लेखनीय है कि तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद सहमति के बाकी मुद्दों पर केंद्र सरकार ने धोखा दिया है। केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद ही किसान संगठनों ने दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर धरना खत्म किया था, इसके साथ मांगों को नहीं मानने पर दोबारा आंदोलन की चेतावनी दी थी।

इसके तहत ही 31 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया गया था। इसका उद्देश्य केंद्र व राज्य सरकार को सशक्त संदेश देना था।  इसके तहत देशभर में तहसील स्तर तक भी प्रदर्शन किया था।

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संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार केंद्र सरकार की 9 दिसंबर को दी गई जिस चिट्ठी के आधार पर किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित किया था, उसके लिखित आश्वासन को पूरा न करने के विरोध में किसानों ने 31 जनवरी को देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया था। संयुक्त किसान मोर्चा फिर से आंदोलन को तेज करने की तैयारी में है।

किसान संगठनों की अहम मांगें

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो। प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हों। लखीपुरखीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो। वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है।

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