मोदी नगर : अवैध फैक्ट्री में विष्फोट, 8 मज़दूरों की दर्दनाक मौत

मोमबत्ती के नाम पर बनता था बम-पटाका, महिलाएँ-बच्चे करते थे काम
गाजियाबाद। कारखानों में हादसों के सिलसिले में एक और कड़ी जुड़ गई। मोदी नगर की एक अवैध फैक्ट्री में विस्फोट होने से 6 महिलाओं व एक किशोर सहित कम-से कम 8 लोगों की मौत हो गई है और 4 लोग बुरी तरह घायल हो गए हैं। कारखाने में अति ज्वलनशील पदार्थ का स्टॉक था।
इस मोमबत्ती फैक्ट्री में काम करने वालों में ज़्यादातर महिलाएं हैं। मरने वालो में 6 महिला कर्मचारी और एक 16 साल का बच्चा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अबतक 10 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है।

भयावह विष्फोट, इलाके में दहशत
उत्तर प्रदेश के मोदी नगर (गाजियाबाद) के बखरवा गांव में स्थित कारखाने में रविवार को दिन में करीब चार बजे विष्फोट हुआ। विस्फोट से छत गिर गई और इमारत भी चपेट में आ गई। पुलिस ने अब भी और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका से इनकार नहीं किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फैक्ट्री में अब भी लगभग 20 लोग फंसे हुए हैं। अचानक हुए धमाके से आसपास के इलाके में लोगों में दहशत का माहौल है। धमाका बहुत तेज था इसकी आवाज़ काफी दूर तक सुनाई दी।

मोमबत्ती की आड़ में बनते थे पटाके
प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर जारी प्रेसनोट में मोमबत्ती की फैक्ट्री बताया गया। जबकि यहां मोमबत्ती नहीं बारूद से पटाखे और बम बनाए जाते हैं। ऐसे में साफ है कि अपनी नाकामी को छुपाने के लिए स्थानीय प्रशासन अंत तक गलत रिपोर्ट देता रहा।
अवैध है फैक्ट्री, न सेफ्टी किट है न है लाइसेंस
रिपोर्ट के अनुसार गांव में चल रही फैक्ट्री में पार्टी वगैरह में केक में लगाए जाने वाली मोमबत्ती बम बनाए जाते हैं। इसमें मज़दूरों को न कोई सुरक्षा उपकरण दी जाती है न ही इसका कोई लाइसेंस है। बस यह फैक्ट्री चल रही है और आज इतना बड़ा हादसा हो गया।
20 दिन पहले हुई थी रेड, फिर भी चलती रही फैक्ट्री
इस अवैध फैक्ट्री में 20 दिन पहले पुलिस और प्रशासन की रेड हुई थी। स्थानीय चौकी इंचार्ज भी आए थे। लेकिन, उसके बाद भी फैक्ट्री चलती रही। फैक्ट्री मालिक और अधिकारियों की मिली भगत का नतीजा है जो इतनी मौते हुई हैं।
50 से ज्यादा औरतें थीं, फैक्ट्री में बच्चे भी काम करते थे
फैक्ट्री में गांव की 50 से ज्यादा औरतें काम करती हैं। 7 तो मौके पर ही मर गए हैं। जबकि, कईयों को अस्पताल पहुंचाया गया है। भूपेंद्र के मुताबिक फैक्ट्री में बच्चे भी अवैध रूप से काम करते हैं।
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कौन है इसका ज़िम्मेदार?
हादसे के बाद मुआवजे की घोषणा तो हो गई, लेकिन यह सवाल एकबार फिर मुह बाए कड़ी है कि ग़रीब मज़दूरों की हत्याओं का ज़िम्मेदार कौन है? मुनाफे की अंधी हवस में श्रम विभाग, प्रशासन व पुलिस की मिली भगत से चलते अवैध कारोबारों पर लगाम क्यों नहीं लगाता?
क्या एक फरमान में सारे श्रम क़ानूनी अधिकारों को तीन साल के लिए निलंबित करने वाली योगी सरकार इसका ज़वाब देगी?