मोदी सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ और बैंकों के निजीकरण की तैयारी

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देश की सरकारी संपत्तियों को बेचने का अभियान जारी

केंद्र की मोदी सरकार देश के सरकारी व सार्वजनिक संपत्तियों व उपक्रमों को बेचने के अभियान में पूरी तरीके से जुटी हुई है। कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार का महकमा अब सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ और बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी पूरी कर ली है।

सीएनबीसी-आवाज़ को सूत्रों के हवाले से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के (पीएसयू) बैंक निजीकरण पर अंतिम फैसला जल्द हो सकता है। इस पर एनआईटीआई आयोग ने सीसीडी को अपनी सूची सौंप दी है। बता दें कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जाना है उनकी सूचि चैयार करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गई थी।

अब नीति आयोग ने अपनी ये लिस्ट सीसीडी यानी कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज ऑन डिवेस्टेन्ट को सौंप दी है। सरकार को FY22 में 2 बैंक को निजीकरण का भरोसा है।

इस सूचि में शामिल बैंको के बारे में सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन उम्मीद है कि इस लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियान ओवरसीज बैंक शामिल हैं। इसके आलावा कुछ और बैंक शामिल होंगे। इनकी कोई पक्की लिस्ट अभी पता नहीं चली है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार का ये मानना है कि देश में एसबीआई जैसा एक अंबरेला बैंक होना चाहिए जिसके तहत कई छोटे बैंक हो सकते हैं। इसके अलावा देश के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में से हर एक क्षेत्र में लीड बैंक होना चाहिए जो अपने -अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करें।

सूत्रों से ये जानकारी भी मिली है कि जिनका बैंकों का अभी हाल ही में मर्जर किया गया वो निजीकरण की सूची से बाहर रह सकते हैं।

बता दें कि इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, उनके कर्मचारियों के हितों का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाएगा। उनके वेतन या स्केल अथवा पेंशन समेत सभी चीजों को ध्यान में रखा जाएगा।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाना शामिल हैं।

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