उत्तरकाशी के सिल्कयारा की घटना प्राकृतिक आपदा नहीं, मुनाफाखोर व्यवस्था द्वारा जनित दुर्घटना है

सुरंग में फंसे मजदूरों के साथ एकजुटता में सभा आयोजित, राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित। केंद्र व राज्य सरकार की मिली भगत से कंपनी सुरक्षा मानकों को धता बताकर निर्माण कर रही है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। 23 नवंबर को शहर स्थित अम्बेडकर पार्क में इंकलाबी मजदूर केन्द्र व मजदूर सहयोग केन्द्र के बैनर तले सिडकुल की यूनियनों व सामाजिक संगठनों ने उत्तरकाशी जिले के सिल्कयार क्षेत्र में सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 मजदूरों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए एक सभा का आयोजन किया गया। सभा के बाद देश के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया।
सभा में वक्ताओं में कहा कि उत्तरकाशी के सिल्कयारा क्षेत्र में घटित घटना कोई प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि मुनाफे पर आधारित इस व्यवस्था द्वारा जनित दुर्घटना है, जिसमें सुरंग बनाने वाली कार्यदायी संस्था द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया और नतीजा 41 मजदूर पिछले 12 दिनों से सुरंग में फंसने के लिए मजबूर हुए हैं।
वक्ताओं ने कहा कि पहले से ही देश के भू-गर्भीय वैज्ञानिकों द्वारा बार-बार यह चेतावनी दी जाती रही की उत्तराखंड के पहाड़ समेत सारे हिमालय क्षेत्र के पहाड़ बहुत कच्चे पहाड़ है। इनमें बड़ी परियोजनाएं लगाना पूरी आबादी के लिए खतरा है, उसके बावजूद केंद्र सरकार और राज्य सरकार विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को लगा रही हैं। इन परियोजनाओं के निर्माण में डायनामाइट व बड़ी-बड़ी मशीनों से पहाड़ों को काटा जा रहा है और इससे पहाड़ काफी कमजोर होते जा रहे हैं ।
वक्ताओं ने यह भी कहा की 2013 में केदारनाथ घाटी में जो आपदा आई थी उसकी भयानकता इसलिए बढ़ गई क्योंकि इन्हीं परियोजनाओं में जो अनियमियताएं थी उसके चलते उस समय आपदा और ज्यादा भीषण हो गई थी। अभी हाल फिलहाल जोशीमठ का पूरा शहर पहाड़ में पड़ी दरारों के चलते अपना अस्तित्व खोने की ओर है, वहां पर पड़ी दरारों के द्वारा लोगों के मकान दुकान टूट चुके हैं लोग वहां से पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

वक्ताओं ने कहा की केंद्र व राज्य सरकार की मिली भगत से परियोजना बनाने वाली कंपनी सुरक्षा मानकों को धता बताकर निर्माण कर रही है। वक्ताओं ने एक स्वर में केंद्र व राज्य सरकार की निंदा की कि 12 दिन के बाद भी मजदूरों को सुरंग से नहीं निकाला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ों का दोहन कर मुनाफा कमाने वाली कम्पनियों को स्थानीय आबादी, काम करने वाले मजदूर व पर्यावरण की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है, इन कम्पनियों को सिर्फ अपने मुनाफे से मतलब है। केन्द्र सरकार व उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों से इन कम्पनियों की सांठगांठ स्पष्ट है इसका उदाहरण है कि सुरंग बनाने वाली कार्यदायी संस्था के खिलाफ अभी तक कोई भी कानूनी कार्रवाई सरकार द्वारा नहीं की गई है।
सभा में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भी पढ़ा गया।
सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र के सुरेंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र से मुकुल, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से राजेश कुमार, भाकपा माले से ललित मटियाली, मजदूर अधिकार संर्घष अभियान (मासा) से कैलाश, इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा से हृदयेश कुमार, पान मोहम्मद, इन्टरार्क मजदूर संगठन पंतनगर से वीरेंद्र पटेल, फिरोज खान, राजेश शर्मा, प्रभु दयाल, रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ से धीरज जोशी, यजाकि वर्कर्स यूनियन से रविंद्र कुमार, धर्मेंद्र कुमार एडविक कर्मचारी संगठन से गिरजेश, विकल कुमार, आनन्द कुमार, आटोलाइन इंप्लाइज यूनियन से प्रकाश मेहरा, समाजसेवी व सीएनजी टैम्पो यूनियन के सुब्रत विश्वास आदि लोगों ने भागीदारी की। संचालन दिनेश ने किया।