मारुति-सुजुकी के 3 हजार से अधिक अस्थायी मज़दूर एकजुट; स्थायी नौकरी, समान वेतन की माँग
मारुति सुजुकी अस्थायी मज़दूर संघ की स्थापना, मांगपत्र तैयार और हस्ताक्षरित; 10 जनवरी को ठेका, प्रशिक्षु, अपरेंटिस, टीडब्ल्यू, सीडब्ल्यू, एमएसटी आदि श्रमिक देंगे माँगपत्र।
गुड़गांव। एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, मारुति सुजुकी के तीन हजार से अधिक पूर्ववर्ती अस्थायी श्रमिक रविवार, 5 जनवरी को गुरुग्राम के कृष्ण चौक के पास एक बड़े जनसभा के लिए एकत्र हुए। यह सभा मारुति सुजुकी अस्थायी मज़दूर संघ की स्थापना के अवसर पर आयोजित की गई थी।
हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों के अतिरिक्त बिहार, झारखंड, राजस्थान, ओडिशा और अन्य राज्यों से श्रमिक रातभर की यात्रा करके इस सभा में शामिल होने पहुंचे।
इस बैठक में श्रमिकों द्वारा अपना मांगपत्र तैयार और हस्ताक्षरित किया गया। श्रमिकों ने 10 जनवरी को गुरुग्राम के डीसी कार्यालय पर बड़ी संख्या में एकत्र होकर श्रम विभाग और कंपनी प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगों को प्रस्तुत करने का आह्वान किया। इस सभा में आगे की गतिविधियों के समन्वय के लिए प्रतिनिधी मंडल का भी चुनाव किया गया।
अस्थाई श्रमिकों ने साझा किए अपने अनुभव
देशभर से आए अस्थायी श्रमिकों ने कंपनी में काम करने के अपने अनुभव और उसके बाद बेरोजगारी के संघर्ष की अपनी-अपनी कहानियां साझा कीं। गंगानगर के एक श्रमिक ने बताया कि कैसे वे तीन साल से अधिक समय तक आकस्मिक श्रमिक के रूप में काम करने के बाद कंपनी द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में असफल होने पर कंपनी के गेट पर ही टूट कर रो पड़े थे।
बहादुरगढ़ जिले के सुमित ने कहा कि सात महीने तक मारुति में अस्थायी श्रमिक के रूप में मिले ₹30,000 वेतन ने उनके परिवार में झूठी उम्मीदें पैदा कर दीं, जो बाद में कंपनी-दर-कंपनी चकनाचूर होती रही और उन्हें कहीं काम करने योग्य नहीं छोड़ा।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव के एक श्रमिक ने बताया कि यदि अस्थायी श्रमिक एक तिमाही में दो से अधिक छुट्टियां लेते हैं तो उनके पैसे काटे जाते हैं, जबकि नियम अनुसार वे सात छुट्टियों के हकदार होते हैं। एक अन्य श्रमिक ने बताया कि हरियाणा सरकार की नौकरी के लिए उनकी उम्मीद इसलिए टूट गई क्योंकि मारुति द्वारा दिया गया अनुभव पत्र किसी विशेष कौशल का उल्लेख नहीं करता और वास्तव में एक बेकार कागज का टुकड़ा मात्र है।
बिहार के विवेक ने उनकी जिंदगी की तुलना एक फुटबॉल से की, जिसे हर छह से सात महीने में कंपनियां लात मार कर बाहर फेंक देती हैं। उन्होंने मारुति में TW1 और TW2 के रूप में काम करने के अलावा हीरो मोटोकॉर्प और होंडा में भी काम किया था। इन कहानियों के साथ श्रमिकों के मन में अन्याय के प्रति गुस्से का एक जबरदस्त ज्वार उमड़ पड़ा कि कैसे उन्होंने अपने जीवन के सबसे अच्छे साल कंपनी को दे दिए, जिसने बदले में उन्हें भविष्य के लिए कोई आशा नहीं दी।
प्लांट का पूरा उत्पादन अस्थायी श्रमिकों पर निर्भर
वर्तमान में मारुति सुजुकी गुड़गांव स्थित अपने चार कारखानों में 36,000 श्रमिकों को रोजगार देती है, जिनमें से मात्र 17% स्थायी हैं और बाकी श्रमिक अस्थायी श्रेणियों, जैसे अस्थायी श्रमिक 1 और 2, आकस्मिक श्रमिक, प्रशिक्षु, ठेका श्रमिक और छात्र प्रशिक्षुओं में विभाजित हैं।
प्लांट का पूरा उत्पादन अस्थायी श्रमिकों पर निर्भर है, जबकि स्थायी श्रमिकों की भूमिका अधिकांशतः पर्यवेक्षी कार्यों तक सीमित है। स्थायी और अस्थायी श्रमिकों के वेतन में बड़ी खाई है, जहां स्थायी कर्मचारियों का औसत वेतन ₹1,30,000 है, वहीं अस्थायी श्रमिकों का वेतन ₹12,000 से ₹30,000 के बीच है। अस्थायी श्रमिकों को केवल सात महीने के लिए नियुक्त किया जाता है।
एक अन्य बड़ा हिस्सा छात्र प्रशिक्षु कार्यबल का है, जिन्हें प्रशिक्षुता और आईटीआई शिक्षा के नाम पर मुख्य उत्पादन कार्य में लगाया जाता है, लेकिन दो साल बाद उन्हें एक ऐसा प्रमाणपत्र दिया जाता है जिसका श्रम बाजार में कोई महत्व नहीं होता।
सभी अस्थाई श्रमिकों को स्थायी नौकरी, समान वेतन, वेतन वृद्धि की माँग
श्रमिकों द्वारा तैयार किए गए मांगपत्र में उन सभी श्रमिकों के लिए स्थायी रोजगार की मांग की गई है, जो स्थायी प्रकृति के कार्यों में लगे हैं। श्रमिकों ने मौजूदा तीन कारखानों में रू 30,000 स्थायी पद सृजित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी मांग की है कि इन सभी पदों पर और सोनीपत के खरखौदा में प्रस्तावित नए प्लांट के पदों पर केवल उन्ही लोगों नियुक्ति की जाए, जिन्होंने किसी भी मारुति प्लांट में अस्थायी श्रमिक के रूप में काम किया हो।
इसके अलावा, सभी अस्थायी श्रमिकों के लिए 40% वेतन वृद्धि और स्थायी व अस्थायी श्रमिकों के वेतन में अंतर के बराबर की एक ‘क्लियरेंस राशि’ दिए जाने की मांग की गई है, जो उनके कंपनी में काम करने के प्रत्येक महीने के लिए लागू हो। कंपनी द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण प्रक्रिया को लेकर, श्रमिकों ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की कि कंपनी द्वारा नियुक्त छात्र प्रशिक्षु वास्तव में कौशल वृद्धि कर सकें और उन्हें उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिकों के रूप में न लगाया जाए।
2012 से बर्खास्त मारुति श्रमिकों का भी सक्रिय समर्थन
यह बैठक चारों प्लांट्स में काम कर रहे अस्थायी श्रमिकों की ओर से मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी द्वारा डीएलसी को मांग पत्र जमा करने की धारावाहिकता में आयोजित की गई है। इस बैठक को 2012 में कंपनी से बर्खास्त किए गए मारुति श्रमिकों का भी सक्रिय समर्थन और सहायता प्राप्त हुई। ये श्रमिक सितंबर से आईएमटी मानेसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं और अपनी बर्खास्तगी को अनुचित बताते हुए बकाया वेतन के साथ पुनः बहाली की मांग कर रहे हैं।