मराठवाड़ा: पिछले साल के मुक़ाबले 2025 की पहली तिमाही में किसान आत्महत्याओं में 32% की वृद्धि

Farmers-Suicides

वर्ष 2024 की पहली तिमाही में मराठवाड़ा में 204 किसानों ने आत्महत्या की थी और इस साल जनवरी से मार्च की अवधि में 269 किसानों ख़ुदकुशी कर चुके हैं. इस क्षेत्र के आठ जिलों में से बीड में किसानों की आत्महत्या के मामलों में सबसे ज़्यादा तेज़ी देखी गई है.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में जनवरी से मार्च के बीच किसानों की आत्महत्या के 269 मामले दर्ज किए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार (22 अप्रैल) को समाचार एजेंसी पीटीआई ने संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी साझा की. मालूम हो कि वर्ष 2024 की पहली तिमाही में मराठवाड़ा में 204 किसानों ने आत्महत्या की थी और चालू वर्ष में जनवरी से मार्च इसी अवधि में 269 किसानों ने खुदकुशी की है. ये पिछले वर्ष की तुलना में इन मामलों में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

इस क्षेत्र के आठ जिलों में से बीड में किसानों की आत्महत्या के मामलों में सबसे ज़्यादा तेज़ी देखी गई है. 2025 के पहले तीन महीनों में जिले में 71 किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई, जबकि 2024 में यह संख्या 44 थी. जनवरी से मार्च के बीच छत्रपति संभाजीनगर में 50 किसानों ने आत्महत्या की. इसके बाद नांदेड़ में 37, परभणी में 33, धाराशिव में 31, लातूर में 18, हिंगोली में 16 और जालना में 13 किसानों की मौत हुई.

ज्ञात हो कि मध्य महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में कम वर्षा और मानसून की परिवर्तनशीलता के कारण पानी की कमी का सामना करना पड़ता है. पीटीआई के अनुसार, रिपोर्ट जारी होने के बाद पूर्व लोकसभा सांसद और शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली महायुति राज्य सरकार की आलोचना की और कृषि ऋण के लिए छूट की मांग की.

उन्होंने कहा कि सरकार ने 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. शेट्टी ने कहा कि यह ‘धोखाधड़ी जैसा’ है.  टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 2001 से अब तक महाराष्ट्र में 39,825 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 22,193 आत्महत्याएं राज्य में कृषि संकट से संबंधित थीं. यह संकट कम फसल पैदावार, कर्ज के बोझ और सिंचाई के अपर्याप्त साधनों का परिणाम है.

गौरतलब है कि इस मामले में जिला स्तरीय समिति कर्ज, भूमि स्वामित्व और फसल विफलता को ध्यान में रखते हुए किसानों की आत्महत्या के मामलों की जांच करती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मौत कृषि संकट से संबंधित थी. यदि ऐसा पाया जाता है, तो मरने वालों के परिवार मुआवजे के हकदार होते हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश भर में प्रति दिन औसतन 30 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है. मराठवाड़ा संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2023 में महाराष्ट्र के आठ जिलों में 1,088 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई थी. एक अधिकारी ने कहा कि 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 65 अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2023 में मराठवाड़ा क्षेत्र हुईं 1,088 आत्महत्याओं में से बीड जिले में सबसे अधिक 269 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद औरंगाबाद में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी में 103 मौतें हुईं. जालना, लातूर और हिंगोली में क्रमश: 74, 72 और 42 ऐसी मौतें हुईं.

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