मणिपुर: महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने व बलात्कार की वीभत्स घटना; फिर शर्मसार हुई मानवता

मणिपुर बेशर्म घटना पर 77 दिन से सरकार चुप क्यों? वारदात से फिर साबित हुआ है कि भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है और सांप्रदायिक ताक़तों के हौसले बुलंद हैं।
बीते दो दिन से सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित हो रहा है जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने और फिर एक 19 वर्षीय लड़की को खेत में ले जाकर गैंगरेप का मामला सामने आया है।
यह वीडियो मणिपुर में बीते 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के एक दिन बाद 4 मई को राजधानी इंफाल से 35 किमी. दूर कांगपोकपी जिले के ‘बी फैनोम’ गांव की है।
वीडियो में तमाम पुरुष, जो जाहिर तौर पर मेइतेई समुदाय के हैं, दो महिलाओं के साथ चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। इनमें से कुछ को पुरुषों को नग्न महिलाओं को छूते हुए देखा जा सकता है।
चूंकि मणिपुर में 4 मई से ही इंटरनेट बंद है इसलिए ढाई महीने बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया। इस वीडियो से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मणिपुर में बीते ढाई महीने से जारी हिंसा में महिलाओं के साथ किस तरह की यौन बर्बरता हुई होगी, और क्या कुछ घटित हुआ होगा!
उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की हिंसा जातीय, नस्लीय व सांप्रदायिक घृणा की राजनीति का परिणाम है। मैतई आतंकी संगठन कुकी समुदाय का सफाया करने में जुटा है। मणिपुर में पिछले ढाई माह में 140 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, हजारों लोग घायल हुए हैं, 300 से ज्यादा चर्च जला दिए गए हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं।
हिंसा की लगातार घटनाओं पर देश का महिला आयोग तथा महिला राष्ट्रपति मौन साधे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी घटना के ढाई महीने बाद तब बोलने के लिए विवश हुए हैं जब शर्मनाक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और चारों तरफ फजीहत होने लगी।
घटना के समय पुलिस थी मौजूद, लेकिन नहीं किया मदद
घटना की शिकार दोनों पीड़ित कुकी महिलाओं ने द वायर को बताया है कि मणिपुर पुलिस अपराध स्थल पर मौजूद थी, लेकिन उन्होंने उनकी मदद नहीं की।
वीडियो में से एक महिला ने कहा, ‘मणिपुर पुलिस वहां मौजूद थी, लेकिन उन्होंने हमारी मदद नहीं की।’
दूसरी महिला ने कहा कि उन्होंने चार पुलिसकर्मियों को कार में बैठे देखा था, जो हिंसा होते हुए देख रहे थे। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया।’ इन महिला के पिता और भाई भीड़ के इस हमले में मारे गए थे।
एफआईआर दर्ज, शिकायत में वीभत्सता उजागर
बीते 18 मई को कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस द्वारा इस संबंध में ज़ीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया था। एफआईआर में कहा गया है कि एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था।
जीरो एफआईआर में ‘800-1,000’ की संख्या में ‘अज्ञात बदमाशों’ के खिलाफ बलात्कार और हत्या का आरोप है। दायर की गई शिकायत में दावा किया गया है कि इन लोगों पर ‘मेईतेई युवा संगठन, मेईतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरमबाई तेंग्गोल और विश्व मेईतेई परिषद, शेड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी के सदस्य’ होने का संदेह है।
भीड़ पर बी फैनोम गांव में घरों को जलाने और भाग रहे पांच लोगों के एक समूह पर हमला करने का आरोप है। इस समूह में दो पुरुष और तीन महिलाएं थीं।
शिकायत के अनुसार, समूह को तौबुल (सेकमई खुनौ) के पास नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम की ‘हिरासत से जबरन पकड़कर ले जाया गया था’। यह जगह पुलिस स्टेशन से 2 किमी. और 33 एआर सोमरेई पोस्ट से तीन किमी. की दूरी पर स्थित है।
इसमें से एक व्यक्ति को भीड़ ने तुरंत मार डाला था, जिसके बाद सभी महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। 20 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और अन्य दो महिलाएं किसी तरह भाग गईं। जिस महिला के साथ बलात्कार किया गया, उनके भाई की भी इस कृत्य को रोकने की कोशिश के बाद हत्या कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई के लिए अगले शुक्रवार की तारीख तय की है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न कर घुमाने का जो वीडियो सामने आया है, वो वास्तव में परेशान करने वाला है। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, सांप्रदायिक झगड़े के क्षेत्र में महिलाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग करना। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो हम करेंगे। अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। संवैधानिक लोकतंत्र में यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह बहुत परेशान करने वाला है।“
कुकी समुदाय ने की गिरफ़्तारी व कार्रवाई की माँग
कुकी समुदाय की जान माल की सुरक्षा तथा महिलाओं को नग्न को घुमाने व उनके साथ बलात्कार के जिम्मेदार सभी अपराधी तत्वों को गिरफ्तार करने तथा घटना में मूकदर्शक बने पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
कौन है इसका जिम्मेदार?
यूँ तो सदियों से एक ऐसा कृत्य हो रहा है, जिसमें दूसरे समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार या अन्य किसी वीभत्स अपराध द्वारा समुदाय विशेष को अपमानित करना धर्म है। लेकिन वर्तमान में मणिपुर की घटना के पीछे कहीं न कहीं संघ-भाजपा का वह नजरिया है जो उसने महिलाओं के मामले में अपनाया है। साथ ही जातीय-धार्मिक हिंसा व सांप्रदायिकता जिसका हथियार है।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली भाजपा की असलियत जग जाहीर है। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री महिलाओं के सम्मान में कसीदे पढ़ते हैं और उसके बाद ही गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले 11 अपराधियों को छोड़ दिया गया। कठुआ कांड में आसिफा प्रकरण के दौरान भी भाजपा से जुड़े लोगों ने अपराधियों को बचाने के लिए तिरंगा रैली निकाली थी। ऐसी अनंत घटनाएं आए दिन सामने आती हैं, लेकिन हर जगह चुप्पी है।
मणिपुर में भी मैतेई समुदाय का वर्षों से संघ-भाजपा ने हिन्दूकरण किया है और ईसाई धर्म को मनाने वाली कुकी सहित अन्य जनजातियां के खिलाफ नफरत का बीज बोया है जिसकी फसल वे मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान काट चुके हैं।
दरअसल जो भीड़ उन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रही थी और बलात्कार कर रही थी वह पुरुष प्रधान मानसिकता से लैस होने के साथ संघ-भाजपा द्वारा हिन्दूकरण कर साम्प्रदायिकता के बोए बीज से भी लैस थी।
चुप्पी सबसे बड़ा खतरा है जिंदा आदमी के लिए!
बीते ढाई महीने से इसी की परिणित में मणिपुर हिंसा की आग में भयावह रूप से जल रहा है। बहुसंख्यक भीडतंत्र द्वारा अल्पसंख्यकों पर अत्याचार चरम पर है, जिसकी एक बानगी महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने व बलात्कार की वीभत्स घटना के रूप में सामने आया है।
ऐसे मानवता को शर्मसार करने वाले समय में चुप्पी सबसे बड़ा खतरा है। चुप रहना अन्याय-अपराध को सह देना है, उसे बढ़ावा देना है। इसके खिलाफ मुखरता से आगे आना होगा!