प्रबंधन, श्रम विभाग, पुलिस, शासन-प्रशासन व सरकार के गठजोड़ के खिलाफ बेलसोनिका मज़दूर जुझारू संघर्ष में जुटे हैं। इलाके की अन्य यूनियनों व मज़दूरों को भी साथ खड़ा होना होगा।
मानेसर, गुड़गांव। बेलसोनिका प्रबंधन की तानाशाही, उकसावेपूर्ण कार्रवाइयाँ, छंटनी की कोशिश, प्लांट में बाउंसरो के आतंक के खिलाफ बेलसोनिका यूनियन के आह्वान पर मज़दूरों ने 30 मार्च को एक बार फिर सुबह 7 बजे काम रोक दिया और दो घंटे का टूल डाउन किया।
बेलसोनिका प्रबंधन ने श्रम विभाग व अतिरिक्त उपायुक्त के साथ चल रही संराधन वार्ताओं के दौरान 3 यूनियन पदाधिकारियों को बीते 17 मार्च को निलंबित कर दिया था। 28 मार्च को 2 श्रमिको को आरोप पत्र दिया, 29 मार्च को 2 अन्य यूनियन पदाधिकारियों को भी आरोप पत्र दिया। और अब 30 मार्च को 10 स्थाई श्रमिको को निलंबित कर दिया।
इस बीच खबर है कि 30 मार्च को मात्र दो घण्टे के टूल डाउन से बलेसोनिका प्रबंधन इतना बौखलाया गया और 10 मजदूरों को अगामी आदेश तक निलम्बित कर दिया है।
ज्ञात हो कि बेलसोनिका प्रबंधन जहाँ एक तरफ मज़दूरों की छंटनी की मंशा को गति रहा है, वहीं यूनियन को तोड़ने की हरचंद कोशिश में लगा है। एक ठेका मज़दूर को सदस्यता देने पर प्रबंधन की शह पर ही रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियंस ने नोटिस जारी की थी। इन सबके खिलाफ यूनियन लगातार संघर्ष कर रही है।
बेलसोनिका प्रबंधन अराजक तत्वों के माध्यम से कम्पनी में उकसावेपूर्ण कार्यवाहियों के माध्यम से अशांति पैदा करके तथा आरोप पत्र पर आरोप पत्र जारी करके यूनियन के संघर्ष को कुचलने में लगा हुआ है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर से यूनियन को 30 मार्च को टूल डाउन करना पड़ा।
यूनियन को यह निर्णय तब लेना पड़ा जब प्रबंधन ठेकेदार और दो अन्य बाऊंसरों के माध्यम से लाइन पर 15 साल से काम कर रहे मज़दूरों को जबरन हटाने की कोशिश कर रहा था और साथ ही मारपीट करने की धमकी देकर उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर रहा था।



यूनियन को कमजोर करने की साजिश, सक्रिय मज़दूर हैं टारगेट
बेलसोनिका प्रबंधन हर हथकंडे अपना रही है। अब वह वीआरएस, फ़र्ज़ी दस्तावेज़, कथित अनुशासनहीनता आदि के नाम पर छँटनी का खेल तेज कर दिया है।
यूनियन द्वारा जारी अपील में लिखा है कि बेलसोनिका प्रबंधन छंटनी की मंशा को लेकर लगातार मजदूरो पर हमलावर है। बेलसोनिका प्रबंधन ने पिछले वर्ष 3 स्थाई मजदूरो को नोकरी से बर्खास्त किया उसके बाद 3 यूनियन पदाधिकारियों को निलंबित किया उसके बाद 2 साथियों को आरोप पत्र फिर 2 यूनियन पदाधिकारियों को आरोप पत्र और अब 10 स्थाई श्रमिको को निलंबित कर दिया है।
प्रबंधन ने फैक्ट्री के भीतर बाउंसर व पुलिस को तैनात कर मजदूरो में डर व भय का माहौल बना दिया है। बेलसोनिका प्रबंधन एक एक कर सक्रिय मजदूरो को टारगेट कर यूनियन गतिविधियों को कमजोर कर यूनियन को तोड़ना चाहता है।
बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन की इस मजदूर विरोधी कारवाही का घोर विरोध करती है। तथा अपने मजदूर साथियो को एकजुटता,शांति तथा धैर्य बनाए रखने का आदेश देती है।

लगातार संघर्ष है जारी
मारुति प्रबंधन की सरपरस्ती में बेलसोनिका प्रबंधन की साजिशों और दमन के बीच यूनियन का संघर्ष लगातार जारी है। रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन द्वारा ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने पर जारी नोटिस के खिलाफ यूनियन ने जुझारू तेवर के साथ संघर्ष जारी रखा।
अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा संरधान वार्ताओं के दौरान दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने के निर्देष जारी करने के बावजूद बेलसोनिका प्रबंधन ने अध्यक्ष, महासचिव सहित यूनियन के तीन पदाधिकारियों को निलम्बित करने पर मज़दूरों द्वारा 26 मार्च को लघु सचिवालय पर डी.सी. ऑफिस के सामने 8 घण्टे की भूख हड़ताल पर बैठे थे। उधर प्रबंधन ने अपना हमला और तेज़ कर दिया है।
प्रतिशोधवश प्रबंधन ने 28 मार्च को क्वॉलिटी विभाग के रमेश व पारस नामक दो श्रमिकों को और 29 मार्च को दो यूनियन पदाधिकारियों पिंटू कुमार यादव व दिनेश सिंह को आरोप पत्र दिया और 30 मार्च को 10 मज़दूरों को निलंबित कर मज़दूरों में रोष पैदा कर दिया। जिससे मज़दूरों ने टूल डाउन की राह पकड़ी।
मारुति की मुख्य वेंडर कंपनी है बेलसोनिका
बेलसोनिका (मानेसर) प्लाण्ट हरियाणा ज़िले में ऑटो सेक्टर हब में प्रमुख कम्पनी है जो मुख्यतः मारुति के लिए कलपुर्जे बनाती है। मारुति प्रबंधन की शह पर बेलसोनिका प्रबंधन जहाँ यूनियन तोड़ने पर आमद है, वहीं छँटनी करके अस्थाई मज़दूरों से सस्ते में काम कराना चाहती है।
प्रबंधन के इन गैरक़ानूनी कृत्यों में श्रम विभाग, शासन-प्रशासन और पुलिस सब एकजुट समर्थन सहयोग दे रहे हैं। इन सबके बीच उकसवेपूर्ण कार्यवाही से अराजकता पैदा करके अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
ऐसी स्थिति में प्रबंधन, श्रम विभाग, पुलिस, शासन-प्रशासन व सरकार के गठजोड़ के खिलाफ बेलसोनिका यूनियन मज़दूरों की एकता के साथ जुझारू संघर्ष में जुटे हैं। ऐसे में इलाके के अन्य मज़दूरों और यूनियनों को भी इस संघर्ष में साथ खड़ा होना होगा।