मानेसर: हक़ की आवाज़ उठा रहे हिताची के अगुआ ठेका मज़दूर का गेट बंद

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हिताची के ठेका मज़दूर काफी लम्बे समय के स्थाई होने की मांग कर रहे हैं। जिनका नेतृत्व पांच अगुवा मज़दूरों द्वारा किया जा रहा है। संदीप उन्ही मज़दूरों में से एक हैं।

आईएमटी मानेसर में स्थित हिताची मेटल्स इण्डिया का प्रबंधन मज़दूरों को लगातार काम से निकालने की धमकियां दे रहा है और निकाल भी रहा है। आखिकार हिताची में मज़दूरों के अधिकारों की आवाज उठने वाले पांच अगुवा मज़दूरों में से एक मज़दूरों को काम से निकाल दिया है।

पीड़ित ठेका मज़दूर का कहना है कि उनके ऊपर बिना जानकारी दिए छुट्टी लेने का झूठा आरोप लगाया गया है। जबकि उनका कहना है कि उन्होंने व्हाट्स ऐप्प मैसेज के माध्यम से इस बात की जानकारी प्रबंधन के अधिकारीयों को दी थी।

पीड़ित ठेका मज़दूर संदीप शुक्ल पिछले चार सालों से हिताची में काम करते थे। बीते एक हफ्ते पहले बीमार होने के कारण उन्होंने एक दिन की छुट्टी ली थी और इस बात की जानकारी उन्होंने अपने अधिकारी को व्हाट्स ऐप्प मैसेज के माध्यम से दी थी। ठीक होने के बाद जब वह प्लांट वापस गए तो कंपनी ने उनका गेट बंद (नौकरी से निकालना) कर दिया था।

संदीप ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि 28 सितम्बर को बीमारी से कारण मैं छुट्टी पर था । मैंने छुट्टी सम्बन्धी जानकारी प्रबंधन को दी थी। लेकिन प्रबंधन के अधिकारी उनको ऊपर बिना बताये छुट्टी लेने का आरोप लगा रहे हैं और जबरन झूठा पत्र लिखने का दबाव भी बनाया गया। जब मैंने पत्र लिखने से मना कर दिया तो कंपनी ने मेरा गेट बंद कर दिया।

उन्होंने बताया कि इस बात की जानकारी मुझे तब हुई जब में 29 सितम्बर को सी शिफ्ट में प्लांट गया। गेट पर खड़े गार्ड में मुझे इस बात की जानकारी दी थे आप का गेट बंद कर दिया गया हैं। जिसके बाद मैंने अपने ठेकेदर को फ़ोन किया, तो उन्होंने अगले दिन सुबह बात करने के लिए बोला।

अगले दिन (30 सितम्बर) जब मैं सुबह प्लांट गया तो प्रबंधन का कोई भी अधिकारी बात करने को राजी नहीं था। बहुत इंतज़ार के बाद लगभग एक बजे मुझको प्लांट के अंदर बुलाया गया। जब में अंदर गया तो वहां अधिकारीयों के साथ 10 – 12 ऐसे लोगों मौजूद थे जिनको मैंने प्लांट में पहले कभी भी नहीं देखा था। मौजूद सभी लोग इस बात का दबाव बनने लगे की में छुट्टी का फर्जी पत्र लिख कर दूँ। जब मैंने इस बात का विरोध किया तो वहां मौजूद दबंग लोगों ने मुझे मरने-पीटने की धमकियां दीं।

संदीप का आरोप है कि उन्होंने छुट्टी की जानकारी प्रोडक्शन असिस्टेंट मैनेजर दीपक गर्ग को दी थी लेकिन उन्होंने ठेकेदार को बहुत बाद में इस बात की जानकारी दी थी। जिसके कारण मेरा गेट बंद कर दिया गया। उनका कहना है कि दीपक गर्ग ने पहले भी प्लांट में राजनीती दिखते हुए ठेका मज़दूरों को काम से निकलवाया है।

संदीप ने अपने साथ हुए इस अभद्र व्यवहर और जबरन पत्र लिखवाने की शिकायत बालगांव थाने में दर्ज करवाई थी। आज सुबह थाने में इस बात का समझौता हुआ हैं कि अब हिताची प्रबंधन की ओर से पीड़ित मज़दूरों पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जायेगा। जिसके बाद संदीप ने अपना केस वापस ले लिया हैं।

संदीप का आरोप हैं कि हिताची प्लांट में अधिकारीयों की तानाशाही अपने चरम पर हैं। जिसका शिकार वहां काम करने वाले ठेका मज़दूर हो रहे हैं। प्रबंधन लगातार बिना कारण बताए ठेका मज़दूरों का गेट बंद कर रहा है। जिसके कारण प्लांट में काम करने वाले मज़दूरों में दहशत का माहौल है।

आप को बता दें कि हिताची के ठेका मज़दूर काफी लम्बे समय के स्थाई होने की मांग कर रहे हैं। जिनका नेतृत्व पांच अगुवा मज़दूरों द्वारा किया जा रहा है। संदीप उन्ही मज़दूरों में से एक हैं।

हिताची में काम करने वाले एक अन्य मज़दूर का कहना है कि प्रबंधन की इन हरकतों से मज़दूर डरने वाले नहीं है। हम अपनी मांगों का संघर्ष जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि देश में ठेका मज़दूरों पर प्रताड़ना के मामले लगातार बढ़ते जा रही हैं इसके पीछे सब से बड़ा कारण यह है कि फैक्टर यूनियन के सदस्य ठेका मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता नहीं दे रहे हैं। जिसके कारण ठेका मज़दूरों जब भी अपने हकों के आवाज़ उठाते है, तो उनको नौकरी से निकाल दिया जाता है।

साभार: वर्कर्स यूनिटी

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