महाराष्ट्र: आशा कार्यकर्ताओं की जीत, वेतन बढ़ा, कोरोना भत्ता भी मिलेगा।

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महाराष्ट्र में क़रीब 70,000 आशा कार्यकर्ता 15 जून से अपने वेतनमान में वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर थीं। आशा कार्यकर्ता 7वें वेतन आयोग के अनुसार न्यूनतम मजदूरी दिए जाने और अन्य सुविधाओं की मांग कर रही थी। महाराष्ट्र सरकार द्वारा इन मांगों को आरंभिक तौर पर नजरअंदाज करने के बाद आखिरकर स्वीकार कर लिया गया है और आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है।

महाराष्ट्र सरकार ने वेतनमान में वृद्धि सहित अन्य सुविधाओं की मांग को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। आशा वर्कर ज्वाइंट एक्शन कमिटी के साथ वार्ता के बाद 23 जुन को महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की कि आशा कार्यकर्ताओं की मांगों को सरकार ने स्वीकार करने का फैसला किया है। आशा कार्यकर्ताओं के मासिक वेतनमान में ₹1000 की वृद्धि की गई है और कोविड-19 संबंधित ड्यूटी के लिए ₹500 विशेष भत्ता भी दिया जाएगा। यह बढ़ोतरी जुलाई से लागू होगी। आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन भी प्रदान किया जाएगा।

अन्य मांगों को स्वीकार करते हुए महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने घोषणा की कि महाराष्ट्र में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं को 50 लाख़ की बीमा सुरक्षा दी जाएगी। कोविड की शिकार आशा कार्यकर्ताओं के परिवार इस बीमा राशि के लिए क्लेम कर सकते हैं और प्रभावित परिवारों को बीमा राशि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू कर दी जाएगी।

इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं का इलाज सरकारी अस्पताल में होगा। ड्यूटी पर आशा कार्यकर्ताओं पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और आशा कार्यकर्ताओं को जिला मुख्यालयों में आवास की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

महाराष्ट्र सरकार की इस घोषणा से करीब 67000 आशा कार्यकर्ताओं और 3000 ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं को वेतनमान में वृद्धि और अन्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा। ब्लॉक कार्यकर्ताओं के वेतनमान में भी 1200 रूपए प्रतिमाह की वृद्धि की गई है और ₹500 का विशेष भत्ता भी दिया जाएगा।

देश में लाखों आशा कार्यकर्ता 1000-3000 के वेतनमान पर काम करती हैं इन्हें श्रमिक का दर्जा ना देकर वॉलिंटियर कहा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहरी क्षेत्रों के एक बड़े हिस्से का प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचा इन आशा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी पर ही चल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान n95 मास्क, पीपीई सूट, दस्ताने और अन्य जरूरी सुविधाओं के बिना आशा कार्यकर्ताओं ने फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका में काम किया। समाज में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के तौर पर आशा वर्कर की महत्वपूर्ण भूमिका है। टीकाकरण से लेकर महिलाओं और शिशुओं की जांच तक का प्राथमिक कार्य भारत आशा कार्यकर्ताओं पर ही है।

आशा वर्कर लंबे समय सरकार की उपेक्षा का शिकार हैं। पिछले 5 सालों से कई राज्यों में आशा वर्कर वेतनमान में वृद्धि और श्रमिक का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर लगातार संघर्षरत है। महाराष्ट्र की आशा कार्यकर्ताओं ने अपने संघर्ष के बल पर महाराष्ट्र सरकार से मांगे मंगवाई है उनकी सुरक्षा और जीवन यापन के लिए अत्यंत आवश्यक था।