मध्य प्रदेश: यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने का नागरिक संगठनों ने किया विरोध

WhatsApp-Image-2025-02-17-at-17.59.14-e1739795580302

भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के संगठनों ने मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को जलाए जाने से होने वाली पर्यावरणीय क्षति से बचने के लिए सरकार को इस कचरे को अमेरिका भेजने की सलाह दी है, जैसा कि साल 2003 में तमिलनाडु के यूनिलीवर थर्मामीटर संयंत्र के कचरे के साथ किया गया था.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में सोमवार (17 फ़रवरी) को भोपाल यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के चार संगठनों- गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को जलाने के मुद्दे पर एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सरकार को पर्यावरणीय क्षति से बचने के लिए एक कानूनी रास्ता सुझाया.

प्रेस वार्ता के दौरान इन संगठनों ने कुछ ऐसे दस्तावेज साझा किए जिससे यह सामने आया है कि दिसंबर 2024 में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट को जल संरक्षण अधिनियम, 1974 का उल्लंघन करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इन दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि यूनियन कार्बाइड के हानिकारक कचरे को जलाने के लिए अत्यधिक मात्रा में डीजल का इस्तेमाल होता है जिससे अत्यधिक मात्रा में खतरनाक राख उत्पन्न होता है.

संगठनों ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद 337 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर भेजा चुका है. पीथमपुर और आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों की स्वास्थ्य चिंताओं को ध्यान में रखते हुए संगठनों ने सरकार को इन खतरनाक कचरे को अमेरिका भेजने की व्यवस्था करने की सलाह दी, जैसा कि साल 2003 में तमिलनाडु के कोडाइकनाल में यूनिलीवर थर्मामीटर संयंत्र से कचरे के साथ किया गया था. उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड एक अमेरीकी कंपनी है, इसलिए उन कचरों को अमेरिका भेजा जाना चाहिए. भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पुरस्कार से सम्मानित रशीदा बी ने कहा, ‘सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि जब साल 2015 में यूनियन कार्बाइड से 10 टन खतरनाक कचरा जलाया गया था, तब लगभग 80 हजार लीटर डीजल का उपयोग किया गया था. यह साल 2010 से 2012 तक किसी अन्य स्रोत से खतरनाक कचरे को जलाने के लिए किए गए डीजल के उपयोग से 30 गुना अधिक था. अत्यधिक मात्रा में डीजल जलाने से न केवल गंभीर प्रदूषण होगा, बल्कि इस धुएं में खतरनाक डाइऑक्सिन और फ्यूरन्स के स्तर की सही जानकारी नहीं मिल पाएगी.’

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक दस्तावेज़ के हवाले से भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, ‘यह दस्तावेज़ स्पष्ट करता है कि पीथमपुर के संयन्त्र में यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने से 900 टन से अधिक राख बनने की गुंजाइश है. इस राख में भारी मात्रा में ऐसी धातुएं होंगी जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं. पीथमपुर संयन्त्र के संचालकों ने अपने लैंडफिल में मोटी पन्नियों के ज़रिए इस राख को सुरक्षित करने की योजना बनाई है. इस बात की पूरी आशंका है कि इन भारी धातुओं के कारण संयन्त्र के आसपास भूजल में ज़हरीला प्रदूषण हो सकता है.’ उन्होंने यह भी बताया कि पीथमपुर बचाओ समिति की हालिया भूजल जांच रिपोर्ट में डाइक्लोरोबेजीन और ट्राइक्लोरोबेंजीन जैसे ज़हरीले रसायनों की उपस्थिति बताई गयी है, और यही दोनों रसायन भोपाल के प्रदूषित भूजल में भी पाए गए हैं.

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने हाल ही में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त दस्तावेज पेश करते हुए कहा, ‘मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल निवारण अधिनियम, 1974 के उल्लंघन के लिए पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट के संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिससे पता चलता है कि लैंडफिल से रिसाव पहले से ही संयन्त्र के आसपास के भूजल को दूषित कर रहा था. यह काबिलेगौर है कि अगस्त और दिसंबर 2024 की ये रिपोर्टें यह बताती हैं कि संयन्त्र में ‘स्टॉर्म ड्रेन, सम्प और सर्कुलेटरी सिस्टम’ जैसी वैधानिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव है.’

उन्होंने यह भी कहा कि पीथमपुर का संयन्त्र यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिए तैयार है या नहीं इस पर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से अंतिम रिपोर्ट आज तक उपलब्ध नहीं है. भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को अमेरिका भेजने की  वकालत की. वह कहते हैं, ‘साल 2003 में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूनिलीवर को अपने लगभग 300 टन खतरनाक कचरे को कोडाइकनाल से न्यूयॉर्क ले जाने के लिए मजबूर किया था. इस कचरे को एक क्लोज़्ड लूप संयंत्र में सुरक्षित रूप से निपटाया गया था. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तमिलनाडु के बोर्ड द्वारा स्थापित मिसाल का पालन क्यों नहीं कर रहा है.’ उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर अमेरिकी सरकार हमारे नागरिकों को बेड़ियों में जकड़ कर वापस भेज सकती है, तो क्या हमारी सरकार कानूनी रूप से वैध रास्ता अपनाकर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा अमेरिका नहीं भेज सकती?