लुधियाना: मज़दूर-नौजवान संगठनों का बिजली संशोधन बिल की प्रतियां जलाकर रोष प्रदर्शन

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यह कानून निजीकरण-उदारीकरण की घोर जनविरोधी नीतियों का अंग है जिससे पूँजीपति वर्ग की सभी पार्टियाँ सहमत हैं। मेहनतकशों को इसके खिलाफ जोरदार संघर्ष के लिए आगे आना होगा।

लुधियाना (पंजाब)। टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन और नौजवान भारत सभा ने 16 अगस्त को मोदी हुकूमत द्वारा पेश बिजली संशोधन बिल को तुरंत रद्द करने की माँग को लेकर लुधियाना के समराला चौक पर रोष प्रदर्शन किया। संगठनों द्वारा बिजली संशोधन बिल की प्रतियाँ जलाई गईं।

रोष प्रदर्शन को टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर, कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर और कलपना, नौजवान भारत सभा के नेता तरण आदि ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून के जरिए मोदी हुकूमत देशी-विदेशी पूँजीपतियों के फायदे के लिए बिजली क्षेत्र के निजीकरण के बड़े स्तर पर अंजाम देना चाहती है। इससे जनता को बिजली और ज्यादा महँगी मिलेगी। इस क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों आदि सहूलतों में कौटती होगी। उनकी बड़े स्तर पर छँटनी की जाएगी।

यह कानून भारत के पूँजीवादी हुक्मरानों द्वारा लागू की जा रही निजीकरण-उदारीकरण की घोर जनविरोधी नीतियों का अंग है जिससे पूँजीपति वर्ग की सभी पार्टियाँ सहमत हैं। उनकी केंद्र और राज्य सरकारें इन नीतियों के धड़ाधड़ लागू कर रही हैं जिसमें भाजपा की सरकारी सबसे आगे हैं।

वक्ताओं ने कहा कि बिजली का मसला संविधान की समवर्ती सूची में आता है। मोदी हुकूमत इस कानून के जरिए राज्यों से बिजली क्षेत्र संबंधी अधिकार छीनना चाहती है। मोदी हुकूमत की केंद्रवादी नीति का सबसे अधिक नुकसान मेहनतकश जनता को हो रहा है।

उन्होंने कहा कि सभी मेहनतकश लोगों को मोदी हुकूमत के इस जनविरोधी कानून के प्रस्ताव को रद्द कराने के लिए जोरदार संघर्ष के लिए आगे आना होगा।