लॉकडाउन : मज़दूर बेहाल, पंजाब के मज़दूर संगठनों ने भेजा ज्ञापन

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कोरोना/लॉकडाउन के भयानक हालातों से जूझ रहे फैक्ट्री मज़दूरों को राहत देने की माँग उठी

लुधियाना (पंजाब)। कोरोना महामारी और लॉकडाउन से पैदा स्थितियों में दो पाटों के बीच संकटग्रस्त मज़दूरों की अहम समस्याओं को लेकर पांच सूत्रीय माँगपत्र लुधियाना जिले के 17 मज़दूर संगठनों द्वारा डिप्टी कमिश्नर, लुधियाना एवं पंजाब सरकार को भेजा गया और इसके तत्काल निस्तारण की माँग की गई।

श्रम विभाग चंडीगढ़ द्वारा 28 मार्च, 2020 को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए विभिन्न संगठनों द्वारा साझे तौर पर भेजे गए ज्ञापन में लिखा है कि राज्य भर में स्थानीय श्रम विभागों एवं जिला प्रशासनिक अधिकारियों को जारी पत्र लागू करने से कोरोना/लॉकडाउन के भयानक हालातों से जूझ रहे फैक्ट्री मज़दूरों को कुछ राहत मिलेगी, परंतु यह तभी संभव है यदि – पंजाब सरकार, श्रम विभाग, जिला प्रशासन तुरंत सक्रिय होकर, प्रबंधकों पर दबाव डालकर मज़दूरों की ज़मीनी सच्चाई को समझकर, न्यून स्तर तक सारे बड़े, मध्यम व छोटे औद्योगिक एवं व्यापारिक (मॉल, शो-रूम, दुकानों आदि) उपक्रमों के मेहनतकशों तक उपरोक्त फैसले को लागू करने की गारंटी करे।

ज्ञापन में लिखा है कि श्रम-क़ानूनों तथा मेहनतकशों के हालात पहले से ही ख़राब हैं, वे श्रम क़ानूनों की नाममात्र सुविधाओं से वंचित बेहद कम तनख्वाहों पर काम करने के लिए मजबूर हैं। बढ़ती महंगाई ने पहले ही मेहनतकशों की कमर तोड़ रखी है। अब लॉकडाउन की अवधि बढ़ते जाने से भयानकता की हद तक भूखमरी, डर व भय का माहौल बना हुआ है।

ऐसी हालत में चाहिए तो यह था कि श्रम विभाग एवं जिला प्रशासन एवं सरकार आपातकालीन कदम उठाते ताकि प्रबंधकों द्वारा निर्धारित तिथियों से पहले गुजारे के लिए एडवांस/पूरी तनख्वाह मिलती, जो कि अभी तक नहीं हुआ। कई जगहों पर तो फरवरी महीने की उजरत तक बाकी है।

संगठनों द्वारा की उठाई गई माँगें-

1. सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी औद्योगिक तथा अन्य उपक्रमों के सभी पक्के, कच्चे, ठेका मेहनतकशों की पूरी तनख्वाह यकीनी तौर पर दिलाई जाए। जिन मालिकों/प्रबंधकों ने लॉकडाउन/कर्फ्यू की अवधि की तनख्वाह काटी है, उनके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की जाए। काटी गई तनख्वाह तुरंत दिलाई जाए, दोषी मालिकों/प्रबंधकों पर तुरंत मोटे जुर्माने लगाए जाएं और इनका भुगतान संबंधित मज़दूरों को किया जाए।

लॉकडाउन/कर्फ्यू अवधि का एक भी पैसा ना काटा जाना सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाए। मज़दूरों को व्यक्तिगत एवं सांगठनिक तौर पर प्रबंधकों/मालिकों से तनख्वाह मांगने का जनवादी एवं संवैधानिक अधिकार सख्ती से लागू कराया जाए। अधिकार मांगने वाले मेहनतशों के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई रोकने की गारंटी की जाए।

जिन मेहनतकशों का किए गए काम का पिछले महीनों का वेतन बाकी है, वह तुरंत दिलाया जाए। ऐसा ना करने वालों मालिकों/प्रबंधकों पर भी तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए। मोटे जुर्माने लगाए जाएं, जिनका भुगतान संबंधित मज़दूरों को किया जाए।

2. शहरी एवं ग्रामीण दिहाड़ीदार मेहनतकशों को लॉकडाउन/कर्फ्यू अवधि का प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपए बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए।

3. 5 अप्रैल 2020 को जिला प्रशासन लुधियाना द्वारा उद्योगपतियों से मीटिंग करने के उपरांत एक बयान जारी किया गया है कि उद्योगपति अपने 15,000 से कम वेतन वाले मेहनतकशों को लॉकडाउन/कर्फ्यू अवधि के लिए, गुजारे के लिए 2500 रुपए या खाद्य सामग्री देंगे। यह बयान 28 मार्च 2020 को पंजाब सरकार द्वारा कोरोना के चलते लगाए गए कर्फ्यू की अवधि के दौरान मज़दूरों को पूरा वेतन देने के आदेशों के विपरित है।

ज्ञापन में लुधियाना प्रशासन के इस बयान की निंदा करते हुए माँग की गई है कि लॉकडाउन/कर्फ्यू के दौरान मज़दूरों के वेतन का एक भी पैसा ना काटे जाने की गारंटी की जाए। पंजाब सरकार के आदेशों के उल्ट इस बयान को वापिस लिया जाए।

4. लुधियाना जिले के सारे मज़दूरों को कर्फ्यू अवधि के लिए सरकार द्वारा प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपए का मुआवजा दिया जाए, क्योंकि सरकार ने बिना किसी तैयारी के, मज़दूरों के गुजारे, भोजन, दवा-इलाज व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रबंध किए बिना ही कर्फ्यू लगाया है, जबकि सरकार के पास कोरोना आफत हेतु कदम उठाने के लिए कई महीनों का समय था।

सरकार की इस लापरवाही के चलते मज़दूरों को शारीरिक एवं मानसिक तौर पर भारी नुकसान झेलना पड़ा है। इसकी भरपाई की जाए।

5. आम जनता की सूझ एवं पहल के बिना कोरोना या किसी भी अन्य महामारी की आफत से नहीं निपटा जा सकता। इसीलिए मज़दूरों में गैर-ज़रूरी डर पैदा करने एवं सख्ती करने के रवैये की जगह कोरोना महामारी के बारे में उन्हें समझदार बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

प्रशासनिक लापरवाही एवं अड़ि‍यल रवैये तथा राजनीतिक बेरुखी पर लगाम लगाई जाए। मज़दूरों को भोजन, दवा-इलाज एवं अन्य बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति करके उन्हें इस महामारी से निपटने के लिए सक्षम बनाया जाए।

ज्ञापन लुधियाना जिले के मज़दूरों के जन-संगठनों की ओर से भेजा गया, जिसके हस्ताक्षरकर्ता लखविंदर सिंह, प्रधान, कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब; हरजिंदर सिंह, प्रधान, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन, पंजाब; परमजीत सिंह, जिला प्रधान, सी.टी.यू.; सुरिंदर सिंह, इंकलाबी मज़दूर केंद्र; तरसेम जोधां, उप-प्रधान, सी.आई.टी.यू., पंजाब; विजय नारायण, प्रधान, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन; राजविंदर सिंह, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब; अमरजीत सिंह मट्टू, जिला प्रधान, देहाती मज़दूर सभा, पंजाब; मलकीत सिंह, मज़दूर यूनियन (खन्ना समराला); सुखदेव भूंदड़ी, प्रधान, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल); भजन सिंह, प्रधान, राज मिस्त्री मज़दूर यूनियन (आज़ाद), खन्ना; भुपिंदर सिंह, प्रधान, जल सप्लाई एंड सैनीटेशन कंट्रैक्ट वर्कर्ज़ यूनियन; प्रकाश सिंह हिस्सोवाल, खजांची, लाल झंडा भठ्ठा मज़दूर यूनियन, पंजाब; रमेश, प्रधान, हौज़री वर्कर्ज़ यूनियन; मक्खन सिंह, चेयरमेन, पंजाब रोडवेज़ इम्पलॉइज़ यूनियन (आज़ाद); शमशेर सिंह, पनबस कंट्रैक्ट वर्कर्ज़ यूनियन तथा सुखविंदर सिंह, पावरकॉम एवं ट्रांसको ठेकेदार वर्कर्स यूनियन, पंजाब हैं।